Vanmali Katha Magazine - February 2024
Vanmali Katha Magazine - February 2024
Go Unlimited with Magzter GOLD
Read Vanmali Katha Magazine along with 9,000+ other magazines & newspapers with just one subscription View catalog
1 Month $9.99
1 Year$99.99 $49.99
$4/month
Subscribe only to Vanmali Katha Magazine
1 Year$11.88 $2.99
Buy this issue $0.99
In this issue
जब पहली बार मुझे एक अदालत में हाजिर होने का सम्मन मिला, अजब दहशत हुई। अपने सात जनम के सभी
कर्म-कुकर्म याद आये। इतनी होशियारी बरतने के बावजूद कहाँ गच्चा ऽा गया मैं कि विधि ने यह दिन दिऽाया।
पढ़ी-लिऽी पत्नी ने ठीक से सरकारी कागज पढ़ा और हमेशा की तरह समझाया कि किसी दोस्त के मामले में
गवाही देने जाना है, तब कहीं कुछ चैन पड़ा और कुछ ऽुशी भी हुई। सजा मुझे नहीं दोस्त को होना है। अपने
सभी मिलने-जुलने वालों और मित्रें को गर्व से बताया कि अपना काम निपटाने में आज न्यायपालिका को भी
मेरी सख्त जरूरत पड़ गयी। लेकिन लोगों के चेहरों के भाव बदल रहे थे। वहाँ अविश्वास और सन्देह की जब पहली बार मुझे एक अदालत में हाजिर होने का सम्मन मिलाए अजब दहशत हुई। अपने सात जनम के सभी
कर्म.कुकर्म याद आये। इतनी होशियारी बरतने के बावजूद कहाँ गच्चा ऽा गया मैं कि विधि ने यह दिन दिऽाया।
पढ़ी.लिऽी पत्नी ने ठीक से सरकारी कागज पढ़ा और हमेशा की तरह समझाया कि किसी दोस्त के मामले में
गवाही देने जाना हैए तब कहीं कुछ चैन पड़ा और कुछ ऽुशी भी हुई। सजा मुझे नहीं दोस्त को होना है। अपने
सभी मिलने.जुलने वालों और मित्रें को गर्व से बताया कि अपना काम निपटाने में आज न्यायपालिका को भी
मेरी सख्त जरूरत पड़ गयी। लेकिन लोगों के चेहरों के भाव बदल रहे थे। वहाँ अविश्वास और सन्देह की युवा पीढ़ी विशेषांक प्रबल
छाया थी। उनकी आँऽों के आगे मैं ऽुद को अपराधी महसूस करने लगा। वैसे भी इस महाभूमि में हर नागरिक
आधा अपराधी तो जन्मजात होता ही हैए बाकी मार.पीट कर समाज बना देता है। इसलिए अपनी बेगुनाही के हक
में कानूनी बिन्दुओं की फेहरिस्त बनाने लगा। इस तरह काँपता हुआ उनकी दहलीज पर पहुँचा।
Vanmali Katha Magazine Description:
Publisher: AISECT Publication
Category: Fiction
Language: Hindi
Frequency: Monthly
इतने कम समय में ‘वनमाली कथा’ को
लेखकों-पाठकों का जो स्नेह व सहयोग प्राप्त हुआ है, वह हमारे अनुमान व
अपेक्षा से कहीं अधिक है। इसवेफ लिए एक अदद धन्यवाद शब्द सर्वथा
अपर्याप्त है। आगे हमारा यही प्रयास रहेगा कि हम आपवेफ भरोसे को बनाये
रखते हुए अपने देशकाल का सृजनात्मक प्रतिनिधित्व करते रहें। नयी सदी की
नयी रचनाशीलता को प्रश्रय व प्रोत्साहन देना हमारा सर्वोपरि लक्ष्य है। हमारी
कोशिश रहेगी कि लोकतान्त्रिक मूल्यों की समावेशी पत्रिका वेफ रूप में हमारी
छवि पूर्ववत् प्रतिष्ठित रहे।
यह अंक अघोषित रूप से स्त्रा-रचनाशीलता पर वेफन्द्रित है। यह स्पष्ट कर
देना चाहिए कि स्त्रा-रचनाशीलता से हमारा आशय स्त्रा-विषयक रचनाशीलता
नहीं, यहाँ बस स्त्रा-लेखकों ;हालाँकि यह शब्द-युग्म अपनी संरचना में
निरर्थक है, इसवेफ प्रयोग को सहूलियत वेफ अर्थ में लिया जाएद्ध की रचनाओं
का सम्मिलन-भर है। हमारे समय में रचनाशील दस स्त्रा-लेखकों की
कहानियाँ और दस कवयित्रियों की कविताएँ इस अंक में दी जा रही हैं। हमें
प्रसन्नता है कि इस अंक वेफ लिए उषाकिरण खान, जया जादवानी, अल्पना
मिश्र, पंखुरी सिन्हा, विभा रानी, विनीता चौबे, ममता सिंह, इन्दिरा दाँगी और
वनमाली कथा उजला लोहिया ने अपनी कहानियाँ दीं। ‘कथाविश्व’ वेफ अन्तर्गत गत वर्ष
साहित्य वेफ क्षेत्रा में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित प्रेंफच लेखिका एनी ऐर्नो की
कहानी दी जा रही है। इस कहानी का अनुवाद किया है युवा कवि-कथाकार
निशान्त उपाध्याय ने।
‘दस कविताएँ’ स्तम्भ वेफ अन्तर्गत हर बार की तरह किसी एक कवि की दस
कविताओं को न लेकर कविता वेफ प्रदेश में सृजनरत दस युवा कवयित्रियों की
- Cancel Anytime [ No Commitments ]
- Digital Only