Panchjanya Magazine - 05 February 2023Add to Favorites

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In this issue

टूलकिट है बीबीसी -
औपनिवेशिक मानसिकता वाले बीबीसी ने गोधरा बाद दंगों पर एक डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से दोबारा दुष्प्रचार को हवा दी है।दंगों पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आ चुका है।इसके बावजूद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिंदू जनता के विरुद्ध दुष्प्रचार करने और इसमें झूठ के पुलिंदे को सच के रूप में दर्शाने का षड्यंत्र किया गया है। बीबीसी ने यह डॉक्यूमेंट्री जिन
लोगों के बयान केआधार पर बनाई है,वे न सिर्फ भारत के प्रधानमंत्री के विरुद्ध निरंतर दुष्प्रचार में शामिल रहे हैं, बल्कि भारत और भारतीयों की बढ़ती शक्ति से भी वे असहज रहते हैं। दंगों के समय भारत के विदेश सचिव रहे कंवल सिब्बल का इस डॉक्यूमेंट्री के पीछे के सच का खुलासा
और ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक द्वारा इस डॉक्यूमेंट्री से असहमति साफ़ कर देता है बीबीसी महज एक टूलकिट है जो भारत विरोधियों के दुष्टाचार को हवा देता है |

टूलकिट है बीबीसी

औपनिवेशिक मानसिकता वाला बीबीसी गोधरा के बाद हुए दंगों पर एक डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से दोबारा दुष्प्रचार को हवा दे रहा है। इस डॉक्यूमेंट्री को ब्रिटिश प्रधानमंत्री सुनुक और सांसद तक खारिज कर चुके हैं। अगले वर्ष भारत में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। यह तो शुरुआत है...

टूलकिट है बीबीसी

4 mins

बीबीसी-कांग्रेस का 'हिट-जॉब'!

बीबीसी चाहता है कि लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उसी दृष्टि से देखें, जैसा दिखाने की कोशिश कांग्रेस और वामपंथी हमेशा करते रहे। हालांकि तथ्यों के वेग में उनकी बोलती बंद हो चुकी है

बीबीसी-कांग्रेस का 'हिट-जॉब'!

5 mins

'हां, पं. नेहरू ने खुद रा. स्व.संघ को 63 की गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था'

साक्षात्कार  - कृष्ण लाल पटेला जी

'हां, पं. नेहरू ने खुद रा. स्व.संघ को 63 की गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था'

6 mins

मुफ्त के चक्कर में लुटने का खतरा

जिस गूगल के ब्राउजर एप्लीकेशन क्रोम को दुनिया के 66 प्रतिशत लोग विश्वसनीय मानते हैं, उसमें मौजूद एक खामी ने 250 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं के बेहद संवेदनशील डेटा को खतरे में डाला

मुफ्त के चक्कर में लुटने का खतरा

4 mins

मदरसों पर लगेगी लगाम

असम में कई निजी मदरसों को आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त पाया गया है। इस कारण राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि निजी को किया जाएगा और उनके पाठ्यक्रमों की भी निगरानी की जाएगी

मदरसों पर लगेगी लगाम

5 mins

संस्कृति बचाने के लिए उतरे सनातनी

छत्तीसगढ़ में हो रहे कन्वर्जन के विरोध में हिंदू समाज के लोग लामबंद होने लगे हैं। लोगों ने उन तत्वों का विरोध शुरू कर दिया है, जो लोभ-लालच से हिंदुओं को ईसाई या मुसलमान बना रहे हैं

संस्कृति बचाने के लिए उतरे सनातनी

5 mins

नौवहन से खुलेंगे विकास के नवद्वार

गंगा विलास क्रूज (जलयान) भारत के पर्यटन उद्योग को गति देने वाला सिद्ध हो रहा है। बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भारत आ रहे हैं। ये पर्यटक जहां भी जाते हैं, वहां हर व्यक्ति की जेब में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पैसा जाता है

नौवहन से खुलेंगे विकास के नवद्वार

5 mins

शिशिर ऋतु में वसंत पंचमी का रहस्य

भारतीय काल मास गणना में वसंत का प्रारंभ चैत्र से होता है। फिर वसंत पंचमी माघ मास में क्यों मनाई जाती है, यह प्रश्न महत्वपूर्ण है। वस्तुतः कामनाओं की वेगवती धारा को बाढ़ में बदलने से पूर्व ही मोड़ने का बंदोबस्त कैसे किया जाए; यह भारतीय परंपरा ने सिखाया है। क्योंकि यह प्रवाह निषिद्ध नहीं है, अपितु जीवसृष्टि के लिए अपरिहार्य है। आवश्यकता इसे रोकने की नहीं, साधने की है

शिशिर ऋतु में वसंत पंचमी का रहस्य

5 mins

प्रभु जी ! तुम मोती, हम धागा...

संत रविदास का पूरा जीवन संघर्षमय रहा। इसके बाद भी उन्होंने कभी अपने विचारों से समझौता नहीं किया और जब भी, जहां भी आवश्यकता हुई, वे बोलने से चूके नहीं

प्रभु जी ! तुम मोती, हम धागा...

2 mins

अद्भुत संगठन, अनोखा समन्वय

रा.स्व.संघ वह विशाल वट वृक्ष है जिससे निकलीं अनेक शाखाएं स्वतंत्र आनुषंगिक संगठनों के नाते वृहत समाज में अपनी विशिष्ट भूमिका निभा रही हैं। संघ का कार्य सिर्फ उनका मार्गदर्शन करना और पाथेय देना है

अद्भुत संगठन, अनोखा समन्वय

3 mins

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Panchjanya Magazine Description:

PublisherBharat Prakashan (Delhi) Limited

CategoryPolitics

LanguageHindi

FrequencyWeekly

स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।

अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।

किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।

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