Media Map Hindi Magazine - January 2020
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In this issue
इस अंक की सामग्री निम्नलिखित हैं-
>>>>>>>>> पत्रकारिता के समक्ष अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियां
>>>>>>>>> आवश्यकता है संतुलित व्यवहार की
>>>>>>>>> अति व्यस्त माता-पिता और बिगड़ते हुए बच्चे
>>>>>>>>> वर्ष 2020 : दोराहे पर खड़ी भाजपा
>>>>>>>>> भावनात्मक मुद्दों का घटवा प्रभाव
>>>>>>>>> गाँधी की दृष्टि में समावेशी विकास
>>>>>>>>> भारतीय उद्योग जगत के पितामह “जमशेदजी टाटा”
>>>>>>>>> भारतीयता के प्रतीक “शास्त्रीजी”
>>>>>>>>> पत्रकारिता के आदर्श स्तम्भ “बाबूराव विष्णु पराडकर”
>>>>>>>>> पाञ्चाली : इंसानियत का चीर-हरण
>>>>>>>>> एनआरसी पर विरोध प्रदर्शन क्यों?
>>>>>>>>> नया साल मनाने के निराले ढ़ग
>>>>>>>>> मीडिया में सकारात्मक एवं आशावादी सामग्री की मांग
>>>>>>>>> एशियन वाटर टावर पर मंडराता संकट...
>>>>>>>>> एशियन वाटर टावर पर मंडराता संकट...
पत्रकारिता के समक्ष अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियां
दिसम्बर 2019 दुनिया की मीडिया और राजनीति के इतिहास मे हमेशा याद किया जाएगा, ब्रिटेन मे अनुदारवादी दक्षिणपंथी दल, कॉनसरवेटिव पार्टी की जीत ने यह साबित कर दिया है कि आम आदमी अब सिर्फ तमाशबीन की तरह व्यवहार करता है।
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आवश्यकता है संतुलित व्यवहार की
उत्साही एंकरों की टीवी खबर पर आम लोगों के साथ-साथ प्रबुद्ध वर्ग ने भी आश्चर्यजनक रूप से अतिरिक्त न्यायिक हत्या का समर्थन करते दिखे। उत्सव का दृश्य, पुलिसकर्मियों को बधाई और मिठाई वितरण और स्वाद लेना क्या वांछनीय है? जश्न के लिए एक पार्टी होने के नाते मीडिया अनसुनी रही। अखबारों को ऐसा करने के लिए कभी नहीं जाना जाता। टीवी चैनलों के लिए यह लगभग एक रूटीन है।
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आवश्यकता है अर्थ नीति में सुधार की
नवंबर 2016 में विमुद्रीकरण और जुलाई 2017 में जीएसटी के निर्णय के उद्देश्य अच्छे थे किंतु अर्थव्यवस्था पर उनका प्रभाव कुछ अच्छा नहीं रहा।विश्व बाजार में मंदी की स्थिति के चलते यह कदम महंगे साबित हुए। विकास तो हो रहा है किंतु बहुत धीमी गति से हो रहा है। जीडीपी विकास दर 4.5 प्रतिशत पर आ गया है जो कि अर्थव्यवस्था के लिए काफी चिंता का विषय है।
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अति व्यस्त माता-पिता और बिगड़ते हुए बच्चे
आज के इस आधुनिक जीवन शैली के दौर मे बच्चों को सही परिवरिश करना व उचित सामाजिक संस्कार प्रदान करना एक गंभीर समस्या व बहुत बड़ी चुनौती बनकर मौजूदा समाज के सामने उभर रहा है।
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वर्ष 2020: दोराहे पर खड़ी भाजपा
"वर्ष 2018 के अंत में भाजपा ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में अपनी सत्ता गवाई । इससे मोदी के प्रधानमंत्री पहले में भी गुजरात गृह राज्य भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। फिर इस वर्ष विधानसभा चुनावों में जहां महाराष्ट्र में भाजपा की सीटें कम हुई ।"
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भावनात्मक मुद्दों का घटता प्रभाव
झारखंड जैसे अपेक्षाकृत छोटे राज्य के चुनाव परिणाम भारतीय राजनीति के लिए कोई निश्चित दिशा का संकेत है क्या?
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गाँधी की दृष्टि में समावेशी विकास
आजादी के तकरीबन 72 वर्ष बाद आज अनेक विसंगतियों, दुर्बलताओं, विफलताओं और असमानताओं के बावजूद देश प्रगति के जिस सोपान पर खड़ा है । गाँधी कि समावेशी विकास दृष्टि कोई साफगोई से रही जाने वाली भूमण्डलीकरण युग कि आर्थिक संरचना नहीं है बल्कि आर्थिक मानवाधिकारों का गतिमान व स्थायी आग्रह है साथ ही साथ मनुष्य की गरिमा की हिफाजत का अनुरोध भी है।
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भारतीय उद्योग जगत के पितामह
वर्ष 1840 में जन्मे जमशेदजी टाटा भारतीय उद्योग जगत के पितामाह कहे जाते हैं । जिन्होंने अपनी कर्तव्यनिष्ठा और लगन के साथ मध्ययुगीन भारत सहाराहनीय भूमिका अदा की । आज पहुंचाने में एक को आधुनिक युग तक जब धर्मांधता और संकीर्णतावादी मनोवृति से राष्ट्र ग्रसित है तब ऐसे में आवश्यकता है कि हमें जमशेदजी टाटा जैसे व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर राष्ट्र के कार्य में पुनः लग जायें ।
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भारतीयता के प्रतीक
कहा जाता है कि शास्त्री जी अपनी सादगी और सरल व्यक्तित्व के कारण भारत के आम आदमी के समान थे और इसलिए आम जनता के बीच लोकप्रिय हो सके । यह बात पूरी तरह उचित नहीं क्योंकि शास्त्री जी उच्च, मध्यम और निम्न वर्गों में भी उतने ही लोकप्रिय थे ।
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पत्रकारिता के आदर्श स्तम्भ
"स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदी पत्रकारिता को जनजागरण के रुप में इस्तेमाल करने वाले शख्स के रुप में पराड़कर जी का भी एक नाम है। आजादी के बाद पराड़कर जी ने पत्रकारिता को नए भारत के निर्माण के लिए युवाओं को प्रेरित करने का जरिया बनाया। सटीक व छोटे वाक्यों के द्वारा बड़ी ही खूबसूरती से आम जनता तक अपनी बात पहुंचाने में बाबूरावजी को महारत हासिल थी। अपनी इसी महारत के चलते पराड़कर जी ने “आज", "भारतमित्र" और "संसार" नामक समाचारपत्रों को एक नई बुलंदियों तक पहुंचाया "
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नया साल मनाने के निराले ढंग
नए साल के आगमन पर लोगों को हर्षोल्लास के साथ बधाई देना बहुत लोकप्रिय और पुराना रिवाज है । प्राचीन समय में बड़े-बड़े साम्राज्यों में भी नए साल के आगमन पर विशाल समारोह मनाए जाते थे। नए वर्ष के दिन पुराने बैर भाव भुलाने और नई मित्रता स्थापित करने की परंपरा भी पुरानी है।
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मीडिया के सकारात्मक एवं आशावादी सामग्री की मांग
मीडिया में सकारात्मक एवं आशावादी सामग्री की अभिवृद्धि के लिए एक मीडिया सेमिनार का आयोजन किया गया । इस सेमिनार में “ भविष्य की परिदृश्य बेहतर बनाने में मीडिया की भूमिका" के विषय पर पत्रकारों के लिए रखी गयी एक मीडिया डायलाग कार्यक्रम सम्पर्ण किया गया ।
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Media Map Hindi Magazine Description:
Publisher: Peoples Syndicate Pvt Ltd
Category: News
Language: Hindi
Frequency: Monthly
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