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भाई-बहन की भक्ति-ज्ञानवर्धक एक अनूठी कथा
कथा प्रसंग - (पूज्य बापूजी के सत्संग से)
इधर हाथी झुका, उधर राजा चरणों में गिरा
एक बार संत दादू दयालजी राजस्थान के ईड़वा ग्राम पधारे। संयोग से बीकानेर नरेश रायसिंह भी पास के खाटू ग्राम में आये थे। उन्होंने सुना कि मेरे चाचा भीमसिंहजी के गुरुदेव संत दादूजी आजकल ईड़वा में विराज रहे हैं। नरेश की दादूजी के दर्शन-सत्संग की इच्छा हुई तो उन्होंने दादूजी को भावभरा निमंत्रण भेजा।
व्यासपूर्णिमा पर्व का उद्देश्य
जीवन का फल यही है कि अपने मन को संसार के राग-द्वेष से हटायें, अहंकार से हटायें और भगवान के गुण-लीला और सुमिरन में लगाकर हृदय को भगवन्मय बना दें।
एकमात्र सुरक्षित नौका
सद्गुरु के ये लक्षण हैं। यदि आप किसी व्यक्ति में इन लक्षणों को पाते हैं तो आप उसे तत्काल अपना गुरु स्वीकार कर लें। सच्चे गुरु वे हैं जो ब्रह्मनिष्ठ तथा श्रोत्रिय होते हैं।
जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि
महात्मा बुद्ध कहा करते थे : ‘“आनंद ! सत्संग सुनने इतने लोग आते हैं न, ये लोग मेरे को नहीं सुनते, अपने को ही सुन के चले जाते हैं।”
मनोमय कोष साक्षी विवेक
(पिछले अंक में आपने 'पंचकोष-साक्षी विवेक' के अंतर्गत 'प्राणमय कोष साक्षी विवेक' के बारे में जाना। उसी क्रम में अब आगे...)
बड़ा रोचक, प्रेरक है शबरी के पूर्वजन्म का वृत्तांत
एक बार एक राजा रानी के साथ यात्रा करके लौट रहा था। एक गाँव में संत चबूतरे पर बैठ सत्संग सुना रहे थे और ५-२५ व्यक्ति धरती पर बैठकर सुन रहे थे।
शिष्य गुरु-पद का अधिकारी कब बनता है?
गुरुपूर्णिमा निकट आ रही है। इस अवसर पर ब्रह्मानुभवी महापुरुषों द्वारा अपने शिष्यों की गढ़ाई और सत्शिष्यों द्वारा ऐसी कसौटियों में भी निर्विरोधता, अडिग श्रद्धा-निष्ठा और समर्पण युक्त आचरण का वृत्तांत सभी गुरुभक्तों के लिए पूर्ण गुरुकृपा की प्राप्ति का राजमार्ग प्रशस्त करनेवाला एवं प्रसंगोचित सिद्ध होगा।
एक राजपुत्र की आत्मबोध की यात्रा
पराशरजी अपने शिष्य मैत्रेय को आत्मज्ञानबोधक उपदेश देते हुए एक राजपुत्र की कथा सुनाते हैं :
गुरुद्वार की उन कसौटियों में छुपा था कैसा अमृत!
लौकिक जीवन में उन्नत होना हो चाहे आध्यात्मिक जीवन में, निष्काम भाव से किया गया सेवाकार्य मूलमंत्र है।
सर्वपापनाशक तथा आरोग्य, पुण्यपुंज व परम गति प्रदायक व्रत
१७ जुलाई को देवशयनी एकादशी है। चतुर्मास साधना का सुवर्णकाल माना गया है और यह एकादशी इस सुवर्णकाल का प्रारम्भ दिवस है। ऐसी महिमावान एकादशी का माहात्म्य पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से:
गुरुमूर्ति के ध्यान से मिली सम्पूर्ण सुरक्षा
अनंत-अनंत ब्रह्मांडों में व्याप्त उस परमात्म-चेतना के साथ एकता साधे हुए ब्रह्मवेत्ता महापुरुष सशरीर ब्रह्म होते हैं। ध्यानमूलं गुरोर्मूर्तिः पूजामूलं गुरोः पदम्... ऐसे चिन्मयस्वरूप गुरु के पूजन से, उनकी मूर्ति के ध्यान से शिष्य के अंतः स्थल में उनकी शक्ति प्रविष्ट होती है, जिससे उसके पूर्व के मलिन संस्कार नष्ट होने लगते हैं और जीवन सहज में ही ऊँचा उठने लगता है।
गुरुभक्ति की इतनी भारी महिमा क्यों है?
धन्या माता पिता धन्यो गोत्रं धन्यं कुलोद्भवः । धन्या च वसुधा देवि यत्र स्याद् गुरुभक्तता ॥
आयुर्वेदिक चिकित्सा का अद्भुत प्रभाव 3 बड़े ब्लॉकेज फिर भी बिना बायपास सर्जरी के तंदुरुस्त
मई २०२२ की बात है। मुझे अचानक सीने में बहुत तेज दर्द हुआ। डॉक्टर ने जाँचें कीं और बोला: \"आपको सीवियर हार्ट-अटैक आया है, हृदय में ब्लॉकेज है।\"
महापातकनाशक तथा अगाध पुण्यराशि प्रदायक व्रत
अपरा एकादशी पर विशेष
बड़ा दानी कौन?
...तो व्यक्ति निरहंकार हो के भगवान के स्वरूप में एकाकार हो जायेगा।
प्राणमय कोष साक्षी विवेक
(अंक ३७५ में आपने 'पंचकोष-साक्षी विवेक' के अंतर्गत 'अन्नमय कोष साक्षी विवेक' के बारे में जाना। उसी क्रम में अब आगे...)
हृदय की पवित्रता दिलाती सफलता
जिसने अपने जीवन का मूल्य समझा वह चाहे व्यापारी की गद्दी पर हो, चाहे न्यायाधीश की कुर्सी पर हो वह अपने बाहर के सुख और ऐश से ज्यादा अपने हृदय की पवित्रता पर ध्यान देता है।
बापूजी के सत्संग-सद्भाव व आयुर्वेद के प्रभाव से हुआ वजन संतुलित
मेरे शरीर में सन् २०१२ में मेद (चरबी) अधिक हो गया था, वजन ७१ किलो था, आलस्य व अतिनिद्रा से भी मैं परेशान था। वजन घटाने के लिए मैंने एलोपैथिक दवाइयाँ शुरू कीं परंतु कोई लाभ नहीं हुआ, उलटे साइड इफेक्ट्स होने लगे तो दवाइयाँ वापस कर दीं।
आचार्य कौशिकजी के जन्मदिवस पर आयोजित धर्मसभा में संतों ने किया शंखनाद - पूज्य बापूजी निर्दोष हैं, उनकी शीघ्र रिहाई हो
गौ तीर्थ तुलसी तपोवन गौशाला, वृंदावन में २६ मार्च को आचार्य कौशिकजी महाराज ने अपने जन्मोत्सव को निमित्त बनाकर विशाल संत-सम्मेलन का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य था विश्वहितैषी, राष्ट्रोत्थानकर्ता कर्मयोगी संत पूज्य आशारामजी बापू की शीघ्र रिहाई हेतु संतों द्वारा एकजुट होकर समाज एवं सरकार तक अपनी आवाज पहुँचाना।
पुण्य-संचय व भगवत्प्रीति के लिए सर्वोत्तम मास
वैशाख मास: २३ अप्रैल से २३ मई
गर्मी या पित्त संबंधी समस्याओं का बेजोड़ उपाय : सफेद पैठा
सफेद पेठा (भूरा कुम्हड़ा) आयुर्वेद के अनुसार अत्यंत लाभदायी फल, सब्जी तथा अनेकों रोगों में उपयोगी औषधि है। इसका पका फल सर्व दोषों को हरनेवाला है।
... और मुगल साम्राज्य का अंत हो गया
जो दूसरों को परेशान करके राज्य करते हैं अथवा जो दूसरों को परेशान करके मजा लेते हैं उनके लिए कुदरत की क्या-क्या व्यवस्था है ! मुगल शासन था। दो राजकुमार दिल्ली से बाहर जंगल में आखेट (शिकार) करने गये।
कैसे नष्ट हो गया था वल्लभीपुर?
मैंने सुनी है एक कथा कि भावनगर के नजदीक वल्लभीपुर नाम का एक नगर था । एक संत कहीं से घूमते-घामते वहाँ पहुँचे। वहाँ एकांत में उन्होंने अपने ध्यान-भजन की जगह चुनी। उनका शिष्य भिक्षा लेकर आता था।
जब हनुमानजी पर छलक पड़े श्रीरामजी
२३ अप्रैल (चैत्र मास की पूर्णिमा) को श्री हनुमानजी का प्राकट्य दिवस है। हनुमानजी अद्भुत शक्ति, निष्ठा और भक्ति के प्रतीक हैं। यह दिवस न केवल भक्ति की महिमा को चिह्नित करता है बल्कि आध्यात्मिक जागृति और आत्मसाक्षात्कार के महत्त्वपूर्ण पहलुओं को भी सामने लाता है।
मोक्षप्राप्ति का साक्षात् साधन
जिस काल में, जिस देश में और जिस रूप में 'अहं - अहं' का स्फुरण हो रहा है यदि उसी काल, उसी देश और उसी रूप में वही 'अहं' तत्त्वतः परमात्मा न हो तो परमात्मा नाम की किसी वस्तु की सिद्धि, स्थिति या उपलब्धि नहीं हो सकती क्योंकि वह नश्वर, अपूर्ण तथा अप्राप्त होगी।
वास्तविक जीवन
रविदासजी को उनके पिता ने ७ जोड़ी जूते बनाकर दिये। २ रुपये जोड़ी बेचने थे। उन्होंने पिता को १४ रुपये के बदले १२ रुपये दिये।
अपने जन्म-कर्म को दिव्य कैसे बनायें?
२९ अप्रैल को पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का अवतरण दिवस है । आप सभीको इस दिन की खूब - खूब बधाई ! इस पावन पर्व पर जानते हैं जन्म-कर्म को दिव्य बनाने का रहस्य पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से:
संत अपमान से उजड़ा गाँव, जान-माल की हुई भारी तबाही
(पूज्य बापूजी के सत्संग से)
वे ही वास्तव में महान हो जाते हैं!
'मैं कुछ बनूँ...' या 'हम कुछ बनें' यह ईश्वर से अलग अपना अस्तित्व बनाने की, ईश्वर से अलग होकर अपनी कोई विशेषता प्रकट करने की जो कोशिश है यही व्यक्ति का व्यक्तिगत दोष है और समाज का सामाजिक दोष है | बहुत सूक्ष्म बात है।