बीज कृषि का प्रमुख आदान है और फसल उत्पादन बीज की गुणवत्ता पर निर्भर होता है। भारत सरकार ने बीज की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए बीज अधिनियम-1966, बीज नियम-1968, बीज नियन्त्रण आदेश-1983 निरूपित किए ताकि अधिक से अधिक चरित्रवान बीज उत्पादन एवं वितरण बीज कानूनों के अनुसार किया जा सके। आज प्रतिस्पर्धा के युग में कुछ व्यक्तियों ने बीज व्यवसाय को अपनी जीविकोपार्जन का साधन बनाया है और सच्ची सुच्ची नेकनियत से कृषक समाज की सेवा करते हैं। कृषि विभाग बीज कानूनों की अपनी सहुलियत के अनुसार व्याख्या कर बीज उत्पादकों बीज विक्रेताओं को गाहे-बगाहे किसान हितों की दुहाई देकर नई-2 अड़चनें खड़ी करते रहते हैं। समाचार पत्र भी चटकारे लेकर इन विषयों को छापते हैं। यहाँ इन चटपटी बातों की प्रमाणिकता की व्याख्या की गई है और प्रथम कड़ी प्रस्तुत है:-
महाराष्ट्र में ई.सी. एक्ट:- एक डेलीहन्ट के माध्यम से सोशल मीडिया पर समाचार प्रकाशित हुआ कि महाराष्ट्र के उप-मुख्यमन्त्री श्री देवेन्द्र फडनवीस साहिब ने कहा कि महाराष्ट्र केबिनेट मीटिंग में निर्णय लिया है कि महाराष्ट्र सरकार बीज उर्वरक की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए बीज और उर्वरक पर E.C. Act लगायेगी।
प्रथम दृष्टियाँ समाचार पढ़ने से लगेगा कि बीज और उर्वरक व्यवसाय पर नया पहाड़ टूट पड़ा और अब यह व्यवसाय करना दुष्कर होगा परन्तु ऐसा नहीं है।
This story is from the 1st September 2023 edition of Modern Kheti - Hindi.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।