ट्राइकोडर्मा एक प्रकार की परत होती है जो बीज के बाहरी शेल को ढकने में मदद करती है। यह बीज को उष्णता, और वायुमंडलीय दबाव से बचाती है, जिससे उसकी नवीनतमता और प्रारंभिक विकास की सुरक्षा होती है। इसके अलावा ट्राइकोडर्मा विभिन्न प्रकार के जीवों से बीजों की रक्षा करने में मदद करती है, जैसे कि फफूंद, कीटाणु और अन्य पारजीवों से बीज परिसंस्करण में ट्राइकोडर्मा का महत्व विशेष रूप से बीज की सुरक्षा और विकास में होता है। ट्राइकोडर्मा एक प्रकार की परत होती है जो बीज के बाहरी ऊतकों को आवरण करती है, जैसे कि कोटला और जर्मिनल। यह कई तरह के लाभ प्रदान करती है :
1. सुरक्षा : ट्राइकोडर्मा बीज को भूमि में गहराई तक बढ़ने और बाहरी प्रभावों से सुरक्षित रखती है, जैसे कि पानी की अधिष्ठान से या कीटाणु संक्रमण से।
2. पोषण : ट्राइकोडर्मा में संग्रहित पोषण स्रोतों का उपयोग बीज के विकास के लिए होता है। यह विकास के प्रारंभिक चरण में महत्वपूर्ण होता है और उच्च पैमाने पर फसल की उत्पादकता को बढ़ावा देता है।
3. अनुकूलन : ट्राइकोडर्मा माध्यम से बीज को पर्याप्त आदिक ऊतक और पानी प्राप्त होता है, जिससे उसका विकास सही दिशा में होता है और वृद्धि के लिए अनुकूलित होता है।
4. सांकेतिक मूलभूतों का प्रदर्शन : ट्राइकोडर्मा से बीज की पूर्व स्थिति और विकास की दिशा का संकेत मिलता है, जिससे किसान उपयुक्त कार्रवाई ले सकते हैं।
इस प्रकार, ट्राइकोडर्मा बीज परिसंस्करण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो बीज की सुरक्षा, पोषण, अनुकूलन और विकास को सुनिश्चित करता है।
ट्राइकोडर्मा बीज परिसंस्करण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह बीज के अंदरीकरण (आंतर्विद्या) की सुरक्षा और उसके पोषण को सुनिश्चित करता है। यह एक प्रकार का गर्मी-स्थायी रासायनिक परिधान होता है जो बीज के अंदर जमे हुए ऊपरी वर्ग को सुरक्षित रखता है। इसके अलावा, यह बीज के आदानप्रदान को नियंत्रित करने में भी मदद करता है, जिससे बीज की आपूर्ति और विकास सुनिश्चित रहता है।
ट्राइकोडर्मा से बीजोपचार कैसे करें:
ट्राइकोडर्मा द्वारा बीजों का पोषण करने के लिए निम्नलिखित कदम अनुसरण किए जा सकते हैं।
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