बीज से बीज नियन्त्रण आदेश तक
Modern Kheti - Hindi|January 15, 2024
सौभाग्य से 19.09.2023 को मुझे प्रयागराज की यात्रा में ऑल इंडिया एग्री. इनपुट डीलर्स की गोष्ठी में राष्ट्रीय प्रवक्ता जनाब संजय रघुवंशी, उत्तर प्रदेश राज्य के अध्यक्ष श्री अतुल त्रिपाठी जी एवं सुरेश वर्मा कन्नौज उपाध्यक्ष से मिलने का अवसर मिला और इस समय मुझे भी बीज कानून विषय पर बोलने का अवसर मिला। इस अवसर पर मैंने अपने उदबोधन में बताने का प्रयास किया कि बीज उद्योग बीज उत्पादन विषय लेकर चला था और बीज नियन्त्रण आदेश-1983 तक की यात्रा कैसे की?
आर.बी. सिंह
बीज से बीज नियन्त्रण आदेश तक

1. बीज बहुलीकरण 

(Multiplication): भारत के विभिन्न कृषि अनुसन्धान संस्थानों द्वारा फसलों की नई किस्में विकसित की जाती थी परन्तु इन अनुसन्धान संस्थानों के पास किस्म का बहुलीकरण करके किसानों में वितरण के लिये न तो धन था और न ही कोई साधन था। अतः भारत ने 1959 में बीज बहुलीकरण की समस्या पर मंथन करने के लिए कमेटी गठित की गई।

2. नेशनल सीड्स कारपोरेशन का उदय: भारत सरकार द्वारा 1962 में (Expert Standing Committee) बनाई तथा उसकी सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम बार शासकीय नियन्त्रण में बीज उत्पादन, प्रमाणीकरण एवं विक्रय के लिए 13.04.1963 में नेशनल सीड्स कारपोरेशन की रचना की तथा 01.07.1963 से नेशनल सीड्स कारपोरेशन ने कार्य प्रारम्भ किया। इसके प्रथम प्रबन्ध निदेशक डॉ. जी.वी. चलम बने और अध्यक्ष श्री ए. डी. पंडित बने। नेशनल सीड्स कारपोरेशन को बने आज 60 वर्ष हो गये हैं।

3. हरित क्रान्ति का सूत्रपात: नेशनल सीड्स कारपोरेशन ने अपने शुरूआती दिनों में मक्का की संकर किस्में गंगा-1, गंगा-101, रणजीत एवं डैकन, बाजरा की संकर बाजराएच.बी.-1, एच.बी.-2, एच. बी.-3 एवं एच. बी. 4, ज्वार की संकर किस्में सी.एस.एच. - 1, 2, 3, 4 आदि किस्मों का बीजोत्पादन किया। इसी दौरान तायवान देश से धान की ताप अंसवेदी किस्म तेइचुंग नेटिव-1 (TN-1) का बीज मंगाया तथा परिणाम सुखद रहे। अन्तर्राष्ट्रीय धान अनुसंधन संस्थान पिलीपीन्स से IR-36 किस्म धान का बीज मंगवाया। वर्ष 1965 में चाइना के साथ युद्ध के दौरान गेहूँ की मंधरेपन (c/BUwarfness) के लिये नोरिन - 10 जीन युक्त मैक्सीकन गेहूँ की किस्मों लारमा रोजो एवं सनोरा-64 का लगभग 18000 टन बीज मंगवाया और नवजात नेशनल सीड्स कारपोरेशन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने पूरे देश में कम समय में यथा स्थान पहुँचाया। इन किस्मों का बीज उत्पादन एवं वितरण नेशनल सीड्स कारपोरेशन ने करवाया और भारत में हरित क्रान्ति का सूत्रपात हुआ।

आज भारत खाद्यान्न में आत्मनिर्भर हैं अन्यथा 1947 में मात्र 34 करोड़ जन संख्या के भरण-पोषण के लिये USA से PL-486 स्कीम के तहत गेहूँ मंगवाया जाता था जबकि अब 140 करोड़ आबादी होने पर भी हम कुछ गेहूँ नियात कर पाते हैं।

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