भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की अहम भूमिका है। भारतीय आर्थिक खुशहाली के मार्ग खेतों से ही होकर गुजरते हैं। कृषि एवं सहायक व्यवसायों को लाभकारी बनाने के लिए अनेक प्रयास किये जाते हैं। इन प्रयासों में कृषि व्यापार को अहम स्थान प्राप्त है। कृषि व्यापार का आरंभिक भावार्थ कृषि एवं सहायक व्यवसायों में गतिविधियों एवं निर्णयों को व्यापारिक दृष्टि से जांचने एवं निपटने से है। कृषि व्यापार के सिद्धांतों के कारण लागतों पर नियंत्रण किया जा सकता है और आमदनी में बढ़ोतरी की जा सकती है। मंडीकरण कृषि व्यापार का एक अहम पहलु है। उचित मंडीकरण द्वारा मंडी में उपभोक्ताओं की जरुरतों का पता लगाकर आवश्यक वस्तु सेवा उपलब्ध करवाई जा सकती है। मंडीकरण गतिविधियों के कारण कृषि उद्यमी वस्तु की बेच संभावना में इजाफा कर सकते हैं और वस्तुओं के अच्छे मूल्य भी प्राप्त कर सकते हैं। मंडीकरण गतिविधियों में वस्तु की गुणवत्ता, पेशकारी, कीमत, बेच स्थान एवं प्रचार को शामिल किया जाता है। अच्छे मंडीकरण के लिए इन सभी गतिविधियों की गुणवत्ता एवं सुमेल काफी हद तक मायने रखता है। आमतौर पर किसान एवं कृषि व्यापार उद्यमी मंडीकरण में मुश्किल महसूस करते हैं। मंडीकरण एक तरह की कला है जिसको अभ्यास एवं प्रयास से सीखा जा सकता है। बेहतर मंडीकरण के लिए संबंधित आरंभिक ज्ञान अहम भूमिका अदा करता है। इस निबंध द्वारा पाठकों को पैकिंग एवं लेबलिंग की भोजन पदार्थों के मंडीकरण में महत्व के बारे में विस्तार से परिचित करवाने का प्रयास किया गया है।
This story is from the 15th April 2024 edition of Modern Kheti - Hindi.
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शीत ऋतु में ऐसे करें डेयरी पशुओं का प्रबंधन
शीत ऋतु में डेयरी पशुओं का उचित प्रबंधन करके हम उनके स्वास्थ्य और उत्पादकता को बनाए रख सकते हैं। पौष्टिक आहार, उचित आश्रय और स्वास्थ्य देखभाल के माध्यम से पशुओं को ठंड के तनाव से बचाया जा सकता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर हम पशुओं के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण प्रदान कर सकते हैं।
खाद्यय फसलों की रानी-मक्का उपज बढ़ाने के वैज्ञानिक तरीके
मक्का विश्व की एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है। मक्का में विद्यमान अधिक उपज क्षमता और विविध उपयोग के कारण इसे खाद्यय फसलों की रानी कहा जाता है। पहले मक्का को विशेष रुप से गरीबों का मुख्य भोजन माना जाता था परन्तु अब ऐसा नहीं है।
कृषि आय बढ़ाने और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में डेयरी सैक्टर की भूमिका
आठ करोड़ डेयरी किसानों के साथ भारत का डेयरी सैक्टर सामूहिक प्रयास और रणनीतिक विकास की ताकत का बेहतरीन सबूत है। 50 साल पहले दूध की कमी वाले देश से दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बनने तक भारत ने असाधारण यात्रा तय की है।
सूरजमुखी की खेती की उत्तम पैदावार कैसे लें?
सूरजमुखी की खेती खरीफ, रबी एवं जायद तीनों ही मौसमों में की जा सकती है। परन्तु खरीफ में सूरजमुखी पर अनेक रोग कीटों का प्रकोप होता है। फूल छोटे होते हैं तथा उनमें दाना भी कम है।
असामान्य तापमान, डीएपी संकट और रिजर्व बैंक की मुश्किलें
पिछले सप्ताह जीडीपी के सात तिमाही के निचले स्तर पर पहुंचने के आंकड़ों ने पहले से ही परेशान भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार की मुश्किलें बढ़ी दी हैं।
अपनी खेती अपने बीज
पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना की ओर से सिफारिश अधिकतर बीज देसी किस्मों से संशोधित बीज हैं, विशेष तौर पर सब्जियों के। अनाज वाली फसलों के अधिकतर बीज हरित क्रांति की तकनीकों के द्वारा विकसित किये अधिक उत्पादन देने वाले हैं। पीएयू की ओर से अब तक गेहूं एवं धान की किसी भी हाईब्रिड किस्म की सिफारिश नहीं की गई है परन्तु मक्का की अधिकतर किस्में हाईब्रिड हैं।
सरसों में कीटों की पहचान व रोकथाम
सरसों रबी में उगाई जाने वाली फसलों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। सरसों वर्गीय फसलों के तहत तोरिया, राया, तारामीरा, भूरी व पीली सरसों आती है। हरियाणा में सरसों मुख्य रुप से रेवाड़ी, महेन्द्रगढ़, हिसार, सिरसा, भिवानी व मेवात जिलों में बोई जाती है।
गन्ना कटाई मशीन आवश्यकता, लाभ व अनिवार्य शर्ते
यमुनानगर जिले की फसल विविधता में गन्ने का अहम् योगदान है। हरियाणा सांख्यिकी सारांश के अनुसार यमुनानगर जिले में वर्ष 2013-2014 में गन्ने का उत्पादन क्षेत्रफल 27000 हैक्टेयर से घटकर वर्ष 2021-2022 में लगभग 20000 हैक्टेयर रह गया है जिसमें इस प्रकार क्षेत्रफल में लगभग 25 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
समन्वित कृषि अपशिष्ट प्रबंधन
भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसकी अधिकतर जनसंख्या गांवों में निवास करती है। यहां पर अनेक प्रकार के खाद्यान्नों का उत्पादन होता है। वास्तव में खाद्य पदार्थो का सीधा सम्बन्ध जनसंख्या पर आधारित होता है।
गेहूं का पीला रतुआ रोग एवं रोग से बचाव के उपाय
गेहूं का पीला रतुआ रोग, गेहूं के उत्पादन में विश्व स्तर पर भारत का दूसरा स्थान है और वर्ष 2014 में हमारा गेहूं उत्पादन 95.91 मिलियन टन रहा जो एक ऐतिहासिक रिकार्ड उत्पादन है। भारत की गेहूं उत्पादन में यह उपलब्धि दुनिया के विकास के इतिहास में शायद सबसे महत्वपूर्ण तथा अद्वितीय रही है। गेहूं उत्पादन में काफी वृद्धि के बावजूद भी हमारा देश विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहा है।