उपभोक्ता मामलों में बीज उत्पादक बरते सावधानियां
Modern Kheti - Hindi|1st October 2024
बीज धरा का गहना है। कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता में अन्य कारकों के साथ बीज मुख्य कारक है। अतः खाद्य समृद्धि के लिए बीज का उत्तम ही नहीं, सर्वोत्तम एवं चरित्रवान होना आवश्यक है। बीज कानूनों जैसे बीज अधिनियम-1966, बीज नियम-1968, बीज नियन्त्रण आदेश 1983 तथा अन्य, बीज गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ करने वाले बीज उत्पादक, बीज विक्रेता को कठोरत्तम दण्ड देता है, परन्तु बीज का निम्न गुणवत्ता के कारण हुई फसल क्षति पूर्ति करने का कोई प्रावधान नहीं है। लोक सभा में प्रस्तावति बीज विधेयक (Seed Bill 2019) में कृषक क्षतिपूर्ति का स्पष्ट प्रावधान किया गया है परन्तु नये बीज अधिनियम के अन्तर्गत उपजे क्षति पूर्ति के विवादों का निपटारा भी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार ही होगा।
आर. बी. सिंह
उपभोक्ता मामलों में बीज उत्पादक बरते सावधानियां

बीज उद्योग में आपस में गला काट प्रतियोगिता (Through-cut Competition) के कारण कोई बीज उत्पादक किसानों में अपनी शाख (Credit) को दाँव पर नहीं लगाएगा। अतः बीज उत्पादन करते हुए बीज उद्यमी भारत सरकार द्वारा पारित भारतीय न्यूनतम बीज प्रमाणीकरण मानकों (IMSCS) की पालना करता है, अपने अनुसंधान की पहचान के लिए निदशोलय उद्योग एवं विज्ञान अनुसंधान (DISR) से मान्यता लेता है। कृषि विभाग से बीज विक्रय हेतु लाइसैंस लेता है कहने का अर्थ है कि सभी सावधानियों, नियम, कानूनों की पालना कर बीज उत्पादन एवं प्रमाणीकरण कर बीज कृषकों को उपलब्ध करवाता है परन्तु बीज उत्पादन में कुछ ऐसे कारक हैं जो बीज उत्पादकों के बस से परे है। इसके अलावा बीज उत्पादक अपने भरसक प्रयासों से उत्तम किस्म का बीज, उच्च गुणवत्ता अंकुरण, भौतिक शुद्धता, अनुवांशिक शुद्धता के साथ उपलब्ध करवाता है और फिर कृषक की जिम्मेदारी बनी है कि वह नवीनतम तकनीकी का उपयोग कर राज्य/राष्ट्र में उत्पादन स्तम्भ बनाए परन्तु कृषक नई तकनीकीयों को शीघ्र न अपना पाने के कारण कृषक उत्पादक-गठबन्धन दरक जाता है और वह बीज की गुणवत्ता के विरूद्ध विवाद का कारण बनता है।

वर्तमान में शिक्षा एवं श्रव्य दृशय (Audio Visual) साधनों के कारण कृषक वर्ग में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता आई है और इसलिए दिन प्रतिदिन बीज की निम्न गुणवत्ता के लिये विवाद उपजते हैं, और ऐसे विवादों की संख्या बढ़ रही है।

मानव प्रवृति है कि उसे निःशुल्क ज्ञान दिया जाए तो वह उसका महत्व नहीं समझता। बीज उद्योग में भी हू-ब-हू यही हो रहा है। मैं समय-समय पर बीज उद्यमियों को बीज कानूनों की विधाओं पर लेखों द्वारा सचेत करता हूँ। बीज कानून की 4 पुस्तकें सम्पादित करवाई और बांटी परन्तु उनसे अपना बीज कानून ज्ञान नहीं बढ़ाया। कृषक विभाग द्वारा आपत्ति उठाने और उसके प्रति दण्ड भरने पर ही ज्ञान प्राप्ति के प्रति जागरूकता आती है।

बीज कानूनों का ज्ञान बीज निरीक्षक, बीज लाइसेंसिंग अधिकारी और बीज उत्पादकों, विक्रेताओं के मध्य उपजे विवादों के निराकरण की चाबी है। बीज कानूनों का अध्ययन एक समस्या नहीं बल्कि एक सुअवसर है जिसके द्वारा हम जान सकते हैं हमारा कानून ज्ञान कितना समृद्ध है।

This story is from the 1st October 2024 edition of Modern Kheti - Hindi.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

This story is from the 1st October 2024 edition of Modern Kheti - Hindi.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

MORE STORIES FROM MODERN KHETI - HINDIView All
बागवानी पौधशाला की स्थापना एवं प्रबंधन
Modern Kheti - Hindi

बागवानी पौधशाला की स्थापना एवं प्रबंधन

बागवानी पौधशाला किसान बन्धुओं (नर्सरी) शब्द अंग्रेजी के नर्स या नर्सिंग से लिया गया है, जिसका अर्थ है- पौधों की देखभाल, पालन-पोषण और संरक्षण प्रदान करना।

time-read
10 mins  |
15th January 2025
सूचना संचार एवं कृषि विकास
Modern Kheti - Hindi

सूचना संचार एवं कृषि विकास

यदि भारत को खुशहाल बनाना है, तो गांवों को भी विकसित करना होगा। आज सरकार ग्रामीण विकास, कृषि एवं भूमिहीन किसानों के कल्याण पर ज्यादा जोर दे रही है। इसलिये यह क्षेत्र बेहतरी की दिशा में परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। प्रौद्योगिकी और पारदर्शिता वर्तमान सरकार की पहचान बन गए हैं। सरकार ने अगले पांच वर्षों में किसानों की आमदनी दोगुनी करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये परम्परागत तरीकों से हटकर 'आउट-ऑफ-बॉक्स' पहल की गई है।

time-read
10+ mins  |
15th January 2025
जैविक उत्पादों और स्थायी सामग्रियों में मशरुम माइसीलियम का योगदान
Modern Kheti - Hindi

जैविक उत्पादों और स्थायी सामग्रियों में मशरुम माइसीलियम का योगदान

मशरूम की दुनिया में 'माइसीलियम' एक ऐसा तत्व है जो कई खाद्य, पोषण और औद्योगिक क्रांतियों का आधार बन रहा है। यह मशरूम के जीवन चक्र का वह हिस्सा है जो अदृश्य होते हुए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

time-read
7 mins  |
15th January 2025
उत्तम बीज की पहचान तथा विशेषताएं
Modern Kheti - Hindi

उत्तम बीज की पहचान तथा विशेषताएं

भारत एक कृषि प्रधान देश है। जहां लगभग 70 प्रतिशत लोग खेती करते हैं। जो लोग खेती करते हैं, उन्हें हम अन्नदाता कहते हैं और हर एक किसान की यह इच्छा होती है कि उसकी फसल बहुत अच्छी हो और उसे लाभ की प्राप्ति हो जिससे वह अपनी पूरी लागत निकाल सकें।

time-read
3 mins  |
15th January 2025
बीज कानून अथॉर्टी लैटर
Modern Kheti - Hindi

बीज कानून अथॉर्टी लैटर

“Study of Seed Laws is not a problem but an opportunity to understand how legally we are soung”

time-read
5 mins  |
15th January 2025
लोगों के स्वास्थ्य पर दूध में मौजूद एंटीबायोटिक अवशेषों का प्रभाव
Modern Kheti - Hindi

लोगों के स्वास्थ्य पर दूध में मौजूद एंटीबायोटिक अवशेषों का प्रभाव

दूध की बढ़ती मांग ने उत्पादकों को व्यापक पशुपालन प्रथाओं को अपनाने के लिए मजबूर किया है। डेयरी पशुओं में विभिन्न रोग स्थितियों के उपचार के लिए पशु चिकित्सा दवाओं का उपयोग इस तरह के व्यापक पशुपालन प्रथाओं का अभिन्न अंग बन गया है।

time-read
3 mins  |
15th January 2025
फल-सब्जियों के स्टोर के लिए एलईडी आधारित तकनीक
Modern Kheti - Hindi

फल-सब्जियों के स्टोर के लिए एलईडी आधारित तकनीक

आईआईटी इंदौर के शोधकर्ताओं ने मिलकर किसानों के लिए अपनी उपज अधिक समय तक स्टोर करने के लिए एक तकनीक का विकास किया है। यह एलईडी लाईट-आधारित भंडारण तकनीक है। दावा किया जा रहा है कि यह तकनीक फल और सब्जियों को सड़ने से लंबे समय तक बचाए रखती है, जिससे किसान अपनी उपज की शेल्फ लाइफ बढ़ा सकते हैं।

time-read
1 min  |
15th January 2025
गेहूं की उत्तम पैदावार के लिए मैंगनीज का प्रबंधन कैसे करें?
Modern Kheti - Hindi

गेहूं की उत्तम पैदावार के लिए मैंगनीज का प्रबंधन कैसे करें?

गेहूं की उत्तम पैदावार के लिए मैंगनीज का प्रबंधन, हमारे देश में गेहूं, धान के बाद दूसरी सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। भारत में आज कुल 8.59 करोड़ टन से अधिक गेहूं का उत्पादन हो रहा है। गेहूं की औसत उत्पादन 28.0 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है, जो कि अनुसंधान संस्थानों के फार्मों पर प्राप्त तथा नई किस्मों की उत्पादन क्षमता 50 से 60 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से अत्याधिक कम है।

time-read
4 mins  |
15th January 2025
टिड्डी दल के हमले का हो सकेगा पूर्व अनुमान
Modern Kheti - Hindi

टिड्डी दल के हमले का हो सकेगा पूर्व अनुमान

रेगिस्तानी टिड्डा (शिस्टोसेरका ग्रेगेरिया) खेती के लिए सबसे खतरनाक प्रवासी कीटों में से एक है, जिससे कई क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा के लिए इसका नियंत्रण जरुरी हो गया है।

time-read
3 mins  |
15th January 2025
आय दोगुनी करने में कृषि तकनीकी सूचना तंत्र का योगदान
Modern Kheti - Hindi

आय दोगुनी करने में कृषि तकनीकी सूचना तंत्र का योगदान

आज किसानों को समय-समय पर नई कृषि तकनीकों की जानकारियां देश में इंटरनेट, दूरदर्शन या मोबाइल फोन का कृषि उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान है।

time-read
6 mins  |
15th January 2025