भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के अधीनस्थ निर्जाफ्ट के रूप में लोकप्रिय राष्ट्रीय पटसन एवं संवर्गी रेशा प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान जूट और संवर्ग रेशों पर शोध करने वाला अग्रणी अनुसंधान केन्द्र है। विगत वर्षों में संस्थान ने प्रौद्योगिकी उन्नति के साथ जूट रेशा के विविध उपयोग खोज निकाले और जूट अपने खोए हुए गौरव को फिर से हासिल करने के साथ ही वैश्विक बाजार में एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक रेशा के रूप में उभर कर सामने आया। जूट के पौधे मुख्यत: पर्यावरण के मित्र हैं, क्योंकि ये बड़ी मात्रा में CO गैस की खपत करते हैं जो ग्रीन हाऊस के प्रभाव को कम करता है। इसके अलावा जूट की पत्तियां खेतों में गिरकर विलुप्त हो जाती हैं और मिट्टी को पोषण प्रदान करती हैं।
निर्जाफ्ट अपने हितधारकों के बीच जूट आधारित प्रौद्योगिकीयों को विकसित करने के साथ ही उन्हें सदैव बढ़ावा देता चला आया है। अपनी इस भावी दृष्टि से निर्जाफ्ट को एहसास हुआ कि अगर रेशा का उपयोग अन्य मूल्यवर्धित इलाकों में किया जाए तो अक्षय रेशा की उदास स्थिति इसके भविष्य को पुनर्जीवित कर सकती है। इसका संभावित क्षेत्र इसके विविध उपयोग हैं और पारंपरिक उपयोगों को छोड़कर तकनीकी वस्त्रों के क्षेत्र में इनका भारी मात्रा में उपयोग हो रहा है। इनके अलावा लुगदी, कागज, पार्टिकल बोर्ड, मिश्र उत्पाद, बिनबुने कपड़े, घरेलू वस्त्र और हस्तशिल्प वस्तुएं इसके अन्य क्षेत्र में शामिल हैं।
This story is from the 15th October 2024 edition of Modern Kheti - Hindi.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।