आंकड़े
धान की पराली का निपटान किसानों के लिए बड़ी सरदर्दी है। कृषि विभाग के अनुसार पंजाब में लगभग 30 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में धान की बिजाई की जाती है। पंजाब में हर वर्ष अनुमानित 2 करोड़ मीट्रिक टन पराली पैदा होती है। पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड एवं पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के अनुसार लगभग 50 प्रतिशत धान के अवशेष को इन सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन के द्वारा प्रोसैस्स किया जाता है और लगभग 50 प्रतिशत पराली खेतों में जला दी जाती है। कृषि विभाग के अनुसार पिछले वर्षों के मुकाबले पराली जलाने के 50 प्रतिशत मामले कम हुए हैं। वर्ष 2018 में 51766, 2019 52991, 2020 76590, 2021 में 71004, 2022 में 49922 और 2023 में 36663 पराली को आग लगाने के मामले रिकार्ड किये गए। पंजाब के अलावा हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश इत्यादि राज्यों में भी पराली जलाई जाती है।
पराली जलाने के कारण
* पराली को जलाने का सबसे बड़ा कारण धान की कटाई के उपरांत गेहूं की बिजाई के लिए कम समय होना है। किसानों ने अगली फसल के लिए खेत तैयार करना होता है। धान की लेट बिजाई के कारण गेहूं की बिजाई के लिए समय (अक्तूबर के अंतिम सप्ताह से 15 नवंबर तक) बहुत कम मिलता है। खेत को खाली करने के लिए पराली को आग लगा कर हटाना मजबूरी बन जाता है।
* पराली को संभालने के लिए किसानों को कोई मुआवजा नहीं मिलता। वर्ष 2019 में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने पराली प्रबंधन के लिए किसानों को वित्तीय सहायता देने के दिशा-निर्देश दिए थे।
* किसानों के पास पराली प्रबंधन के लिए मशीनों की कमी और आसान उपलब्धता न होना भी पराली जलाने का एक कारण है। पंजाब में क्षेत्रफल के हिसाब से मशीनें कम हैं।
* किसानों का कहना है कि बिना जलाये पराली अवशेष को संभालना बहुत महंगा है। पराली को जमीन में दबाने पर प्रति एकड़ 4000-5000 रुपए खर्च आ जाता है। छोटे एवं मध्यम दर्जे के किसान महंगी मशीनें नहीं खरीद सकते जिस कारण वह पराली को आग लगा देते हैं।
This story is from the 1st November 2024 edition of Modern Kheti - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the 1st November 2024 edition of Modern Kheti - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।