जंगल के रक्षक
Champak - Hindi|March Second 2023
बच्चों की कहानी
वंदना गुप्ता
जंगल के रक्षक

निखिल और रवि के घर आसपड़ोस में थे. दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और अकसर एकदूसरे के घर आयाजाया करते थे. निखिल के चाचा फोरेस्ट औफिसर थे. स्कूल की छुट्टियों के दौरान नि निखिल के चाचा ने कहा, “तुम इस बार छुट्टियों में मेरे पास आ जाओ. मैं तुम्हें जंगल घुमाऊंगा, जहां मैं तुम्हें कोबरा सांप भी दिखाऊंगा.”

“पर चाचा, मैं आऊंगा कैसे?” निखिल ने पूछा.

“यहां से नेशनल पार्क 3 घंटे की दूरी पर ही तो है, तुम्हारा भाई आ कर तुम्हें छोड़ देगा, ' चाचा बोले.

“चाचा, क्या मैं अपने दोस्त रवि को साथ ला सकता हूं?”

“हां, हां, क्यों नहीं. मैं ड्यूटी जाऊंगा तो तुम अकेले बोर भी नहीं होगे."

दोनों दोस्तों ने अपने मम्मीपापा से स्वीकृति ली और यात्रा की तैयारी करने लगे.

निखिल ने कहा, “कपड़ों और गेम्स के अलावा हमें कुछ और सामान भी रखना होगा."

“क्या सामान?” रवि ने पूछा.

“जंगल में जा रहे हैं, इसलिए जंगली जानवरों से सामना हो गया तो अपने बचाव के लिए हमारे पास कुछ तो होना चाहिए.”

“लेकिन चाचा के रहते हमें क्या डर ?” रवि कहा.

"वे हर समय हमारे साथ थोड़े रहेंगे? हमें अपनी सुरक्षा का खुद भी ध्यान रखना होगा. एक तो हम दीवाली पर पटाखे छुड़ाने वाली पिस्तौल रखेंगे. मैं ने सुना है आवाज से डरकर जानवर दूर भाग जाते हैं."

“वे लाइट से भी डरते हैं. चलो, टौर्च भी रख लेते हैं," रवि ने राय दी.

दोनों पहली बार जंगल में घूमने जा रहे थे. जोश में भर कर उन्होंने सारी तैयारी कर ली.

3 दिन बाद वे दोनों चाचा के पास पहुंच गए. चाचा उन्हें देख कर बहुत खुश हुए.

वे बोले, "थोड़े दिन मेरा भी मन लग जाएगा, यहां अकेलापन लगता है."

जंगल का वातावरण बच्चों को बहुत अच्छा लगा. एकदम शांत, साफ हवा, ट्रैफिक का शोर नहीं, पक्षियों के चहचहाने की आवाजें बहुत अच्छी लग रही थीं. रात को थोड़ा डरावना लगा पर चाचा के साथ होने से उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई.

राजेश नाम का एक लड़का चाचा के पास रहता था. वही घर के सारे काम करता था. एक दिन शाम को चाय पीते समय निखिल ने पूछा, “चाचा, यहां कौनकौन से जानवर हैं?"

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