एक दिन पेप्पी अपने बच्चों के लिए दाना चुगने गई थी. जब वह दाना ले कर वापस लौटी तो उस ने देखा कि खोह में से तीनों बच्चे गायब थे.
"मेरे बच्चे कौन खा गया, कहां चले गए? वे तो उड़ना भी नहीं जानते, अब मैं उन्हें कहां ढूंढूं?"
तभी वहां कोको कोयल आई और पेप्पी से बोली, "तुम्हारे बच्चों को एक इंसान उठा कर ले गया है. जब बच्चों के रोने की आवाज सुनी तो मैं ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन उस ने मुझे बहुत मारा."
कोको ने उसे अपना टूटा पंख दिखाया.
"मुझे दुख है कोको. मेरे कारण तुम्हें इतनी चोट लगी."
"नहीं पेप्पी, ऐसी कोई बात नहीं है. एकदूसरे की मदद करनी चाहिए. मेरी चोट तो ठीक हो जाएगी, लेकिन हमें बच्चे खोजने की जरूरत है."
"न जाने मेरे बच्चे कहां होंगे और किस हाल होंगे?" पेप्पी की आंखों में आंसू आ गए.
"रोने से कुछ नहीं होगा. जाओ, जा कर मोंटी बंदर की मदद लो. वह अकसर शहर जाता रहता है. जरूर वह तुम्हारे बच्चे ढूंढ़ कर ला सकता है."
"तुम ठीक कहती हो. मैं अभी उस के पास जाती हूं."
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जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
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बच्चे देश का भविष्य
भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.