उन्हें देर हो गई थी, क्योंकि कैमी ऊंट गुणन का प्रश्न हल करने में अटक गया था. उस के लिए टेबल्स याद रखना कठिन कार्य था, खास कर 9 के पहाड़े याद रखना. सुश्री पैग्गी मोरनी शुरू से ही कैमी को पहाड़े सीखने के लिए कह रही थी, लेकिन कैमी ने जवाब में हमेशा अपना सिर हिलाया और 5 से आगे कभी कोई पहाड़ा नहीं सीखा.
वे इसलिए भी लेट हो गए थे क्योंकि सैम को त्रिकोणों के नामों से भी दिक्कत थी. वह नहीं जानता था कि कौन सा त्रिभुज अधिककोण या समद्विबाहु त्रिभुज है. मैक्स को त्रिकोण से भी नफरत थी. वह समकोण त्रिभुज 90 डिग्री कोण वाला त्रिभुज जानता था, जो अब उस के सीखने के लिए पर्याप्त से अधिक था, वैसे भी गणित उस का पसंदीदा विषय नहीं था.
लेकिन वे कक्षा से बाहर निकल आए और अब पैदल ही घर जा रहे थे, क्योंकि सैम की साइकिल खराब हो गई थी. आमतौर पर सैम मैक्स को साइकिल पर ले जाता था. वह हमेशा ऊंचे स्वर में गाता था और अच्छा गायक नहीं था. वे जैस्सी फ्लेमिंगो के तालाब के पास से गुजरते थे, जबकि मैक्स जोरजोर से चिल्लाता था और जैस्सी को परेशान किया करता था. वे हर दिन खूब हंसा करते थे.
लेकिन आज वह गा नहीं रहा था. आज आंशिक रूप से बादल छाए हुए थे.
“लगता है, जल्द ही बारिश होगी, हमें तेजी से चलना चाहिए,” सैम ने कहा.
मैक्स ने अपने कान रगड़े और सैम को जूनियर लता के माध्यम से एक शौर्टकट के बारे में बताया.
वे लैंपपोस्ट के पास से एक छोटी सी गली में चले गए और एक छोटी पहाड़ी से नीचे चले गए. सैम शहर के इस हिस्से में कभी नहीं गया था. यह इतना शांत और अंधेरा था कि इस से वह थोड़ा डर गया.
"हम यहां बिलकुल अकेले हैं,” वह मैक्स के साथ चलते हुए फुसफुसाया. “मुझे तुम्हारी बात नहीं सुननी चाहिए थी. हमारे पास तो टौर्च भी नहीं है जिस से हम देख सकें कि हम कहां जा रहे हैं?” वह एक छोटी सी चट्टान पर लगभग फिसल गया.
मैक्स हंसा, "यहां उतना अंधेरा नहीं है और जल्द ही हम मेन रोड से बाहर होंगे, आम के पेड़ों के ठीक बाद."
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जो ढूंढ़े वही पाए
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भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
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बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
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\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.