वैली की गुफा सामने खड़े हो कर वह चिल्लाया, "वैली, बाहर निकलो, मैं तुम्हें मजा चखाता हूं. मुझे मोटा व आलसी कहने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई. मैं जैसा भी हूं उस से तुम्हें क्या फर्क पड़ता है? तुम से अपने काम से काम रखो."
वैली थका हुआ अपनी गुफा में आराम कर रहा था. ब्लैकी की आवाज सुन कर उसे बड़ी हैरानी हुई. ब्लैकीजी उस का अच्छा दोस्त था, उस से ऐसी बातें सुननी होंगी, यह तो उस ने सपने में भी नहीं सोचा था. आज अचानक उसे क्या हो गया है. चलो, बाहर जा कर उसी से पूछता हूं. हालांकि जब तक वैली गुफा से बाहर निकलने के लिए उठा, तब तक से ब्लैकी जा चुका था और उस ने वैली की गुफा के प्रवेश द्वार पर एक बड़ा सा पत्थर रख दिया था.
जब वैली ने गुफा के द्वार पर पत्थर लगा हुआ देखा तो वह समझ कि ब्लैकी ही गुस्से में यह पत्थर रख कर गया होगा. किसी तरह पत्थर हटा कर वह गुफा से बाहर निकला.
ब्लैकी की बातें सुन कर उस का मन उदास हो गया और वह गुफा के बाहर एक पत्थर पर बैठ गया और रोने लगा.
उसी समय बैडी लोमड़ी उधर से गुजर रही थी तो उस ने वैली को रोता देख कर पूछा, "वैली, तुम रो क्यों रहे हो?"
वैली ने रोते हुए बैडी को पूरी घटना बताई.
"हां, ब्लैकी आज बड़े गुस्से में था. यहां से जाते हुए वह मुझे रास्ते में मिला था. चलतेचलते वह बुदबुदा रहा था, 'मुझे देख कर वह गुफा के अंदर छिप गया डरपोक कहीं का. हिम्मत थी तो सामने क्यों नहीं आया. मैं ने भी उसे गुफा में बंद कर दिया है. आगे से वह उलटासीधा बोलने से पहले सोचेगा.'"
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