एक बार वह नदी के किनारे घूम रहा था. उसकी नजर जंबो हाथी, चीकू खरगोश, जंपी बंदर और उन के दोस्तों पर पड़ी, जो नदी में नहा रहे थे.
जंपी नदी में उछलउछल कर नहा रहा था. जैसे ही उस ने नदी में डुबकी लगाई, पानी की कुछ बूंदें बैडी पर पड़ गईं. बैडी को जैसे इसी बात का इंतजार रहा हो. वह आगबबूला हो गया.
"यह तुम क्या कर रहे हो? देख नहीं रहे हो पानी के छींटे यहां तक आ रहे हैं. तुम्हें तो नहाना तक नहीं आता. तुम्हें बिलकुल भी तमीज नहीं है.
मूर्ख हो तुम, ” बैडी ने गुस्से में कहा.
“तुम अंधे हो क्या? देख नहीं रहे हो कि हम यहां पर नहा रहे हैं? अगर तुम पास आओगे तो पानी के छींटे तो तुम पर पड़ेंगे ही. तुम्हें थोड़ा दूर हट जाना चाहिए,” जंपी ने जोर से कहा.
"तुम्हारा मतलब है कि मैं यहां घूम भी नहीं सकता. यह जगह तुम्हारी नहीं है. इस पर मेरा भी उतना ही अधिकार है जितना तुम्हारा. पहले नहाना सीख लो, बड़े आए नहाने वाले, ” बैडी ने खीझ कर कहा.
“अरे जाओ, अपना काम करो. हमें नहाने दो,” जंपी ने कहा और जोर से पानी में कूद गया. फिर से पानी के छींटे बैडी पर पड़ने लगे.
इस से बैडी बौखला गया. वह जंपी और सभी नहाने वालों को बुराभला कहने लगा. जंपी जब नहा कर बाहर निकला तो बैडी उस से लड़ने के लिए आगे बढ़ा. वह उस पर हमला करना चाहता था. जंपी भी गुस्से में था.
बैडी अपने पंजों से जंपी को नोचने ही वाला था तभी जंबो, चीकू और अन्य जानवर वहां पहुंच गए और उन्हें रोकने की कोशिश करने लगे. इतनी भीड़ देख कर बैडी वहां से भाग गया.
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