अनिरुद्ध जानता था कि यह बहुत ही दुखद बात होगी और आप को उपेक्षित महसूस कराएगा. इसीलिए वह मामोनी की समस्या समझ सकता था. वह गुवाहाटी पब्लिक स्कूल में नई थी और स्कूल हौस्टल में ही रहती थी.
यह राज्य का एक प्रतिष्ठित स्कूल था और मामोनी को उस के मम्मीपापा ने बेहतर शिक्षा के लिए असम के दीमा हसाओ जिले के सुदूर पहाड़ी शहर से वहां भेजा था.
अपने शुरुआती दिनों में उसे नए दोस्त बनाने में संघर्ष करना पड़ा. ऐसा नहीं था कि वह शर्मीली थी. उस ने लोगों से संपर्क करने के बहुत प्रयास किए थे.
लेकिन अंग्रेजी में शुरुआती कुछ बातचीत के बा उस की सहेलियां आपस में असमिया में बातें करने लग जाती थीं.
मामोनी अपने गृह नगर में दिमासा भाषा बोलती थी और असमी के केवल कुछ ही शब्दों को वह समझ पाती थी. इसलिए उसे हंसीठिठोली में हिस्सा लेने के लिए संघर्ष करना पड़ता था. यही कारण था कि वह उन से ठीक तरह से घुलमिल नहीं पाई थी.
राहत की बात है कि उस का सहपाठी अनिरुद्ध उस के बचाव में आ गया था. अनिरुद्ध के मम्मीपापा भी मामोनी जिले के ही थे, लेकिन जब वह बच्चा था तभी वे गुवाहाटी चले आए थे. इसलिए वह इसी शहर में पलाबढ़ा था और असमिया और दिमासा दोनों भाषाएं धाराप्रवाह बोलता था.
एक दिन मामोनी को क्लासरूम में चुपचाप बैठा देख कर, वह उस के पास गया.
“जब अनुवादक अनिरुद्ध यहां पर हो तो भाषा कोई बाधा नहीं है,” अनिरुद्ध ने मामोनी को खुश करने के लिए कहा. "मैं तुम्हारी भाषा का अनुवाद करने में मदद करूंगा. इस से तुम खुद को उपेक्षित महसूस नहीं करोगी और हमारी बातचीत से जुड़ी रहोगी.”
मामोनी इस से ज्यादा आभारी नहीं हो सकती थी, क्योंकि जैसा कहा जाता है कि जरूरत के समय काम आने वाला मित्र ही वास्तव में एक सच्चा मित्र होता है.
यह एक बहुत ही अच्छा विचार था. “आखिरकार में असमिया में और भी ज्यादा पारंगत हो जाऊंगी और तब तक अनिरुद्ध मेरी मदद के लिए यहां है ही,” मामोनी ने खुद को ढाढस बंधाया.
लेकिन जब वे अपने दोस्तों के साथ बातचीत कर रहे थे तो कुछ असमिया शब्दों को अनुवाद करने के लिए हर बार अनिरुद्ध को उकसाना उसे बुरा लग रहा था. इस से बातचीत का पूरा प्रवाह बाधित हो जाता था.
This story is from the January First 2024 edition of Champak - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the January First 2024 edition of Champak - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
बर्फीला रोमांच
\"अरे, सुन, जल्दी से मुझे दूसरा कंबल दे दे. आज बहुत ठंड है,” मीकू चूहे ने अपने रूममेट चीकू खरगोश से कहा.
अलग सोच
\"वह यहां क्या कर रहा है?\" अक्षरा ने तनुषा कुमारी, जबकि वह आधी अधूरी मुद्रा में खड़ी थी या जैसे उन की भरतनाट्यम टीचर गायत्री कहती थीं, अरामंडी में खुद को संतुलित कर रही थी.
दादाजी के जोरदार खर्राटे
मीशा और उस की छोटी बहन ईशा सर्दियों की छुट्टी में अपने दादादादी से मिलने गए थे. उन्होंने दादी को बगीचे में टमाटरों को देखभाल करते हुए देखा. उन के साथ उन की बूढ़ी बिल्ली की भी थी. टमाटरों के पौधों को तैयार करना था ताकि वे अगली गर्मियों में खिलें और फल दें.
कौन कर रहा था, मिस्टर चिल्स से खिलवाड़
वीर और उस के दोस्त अपनी सर्दियों की यात्रा के लिए दिन गिन रहे थे. वे नैनीताल जा रहे थे और बर्फ में खेलने और उस के बाद अंगीठी के पास बैठने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आखिरकार जब वे नैनीताल पहुंचे, तो पहाड़ी शहर उन की कल्पना से भी ज्यादा मनमोहक था. बर्फ से जमीन ढक रखी थी. झील बर्फ की पतली परत से चमक रही थी और हवा में ताजे पाइन की खुशबू आ रही थी. यह एक बर्फीली दुनिया का दृश्य था, जो जीवंत हो उठा था.
मेरा संकल्प
जनवरी 2025 का पहला सप्ताह शुरू हो चुका था और 10 वर्षीय रोहन ने कोई संकल्प नहीं लिया था. वह जहां भी गया, स्कूल में, खेल के मैदान में और आसपड़ोस में सब जगह लोग नए साल के संकल्पों के बारे में बात कर रहे थे. रोहन भी एक महत्त्वपूर्ण और सार्थक संकल्प लेना चाहता था, लेकिन वह उलझन में था. वह एक ऐसा संकल्प लेना चाहता था, जो उस के लिए अच्छा हो और जिसे वह पूरे साल आसानी से पूरा कर सके.
सेल्वी का सरप्राइज
'चाय काप्पिई, चाय काप्पिई,' 'इडली वड़े, इडली वड़े,' बेचने वालों की तेज आवाज ने सेल्वी को जगा दिया. सूरज ढल चुका था और उस की ट्रेन अभी अभी तिरुनेलवेली जंक्शन में दाखिल हुई थी.
नौर्थ पोल की सैर
\"अंतरा, तुम कई घंटों से क्रिसमस ट्री सजा रही हो, क्या तुम थकी नहीं,\" मां ने किचन में काम निबटाने के बाद कहा...
जलेबी उत्सव
चंपकवन के राजा शेरसिंह को कार चलाने का बड़ा शौक था. जाड़े की एक शाम को वह अकेले ही लंबी ड्राइव पर निकल पड़ा...
मिशन सांता क्लौज
यह एक ठंडी, बर्फीली रात थी और शिमला की सभी सड़कें रोशनी में जगमगा रही थीं. करण, परी और समीर क्रिसमस मनाने के लिए उत्साहित थे. हर साल की तरह वे क्रिसमस के मौके पर समीर के घर सोने जा रहे थे, लेकिन इस साल उन्होंने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर एक अतिरिक्त कार्यक्रम की योजना बनाई थी...
अनोखा क्रिसमस
\"क्या तुम्हें मालूम है कि क्रिसमस आ ही वाला है?\" ब्राउनी सियार ने अपने दोस्त ब्रूटस भेड़िया से झल्लाते हुए पूछा...