"मास एकर यानी कि बहुत सारी जमीन,” उदय ने अपना सिर खुजाया और सामने लिखे शब्द को तिरछी नजर से देखा.
"मैसकर का बहुवचन?” निवी हंसी. वह क्लास की फैशनिस्टा थी. उस ने हंसते हुए इसे दोहराया, क्योंकि उसे पूरा यकीन था कि उस का उत्तर गलत था.
कोई दूसरा अर्थ न सूझने पर कक्षा के बच्चों ने इस का वास्तविक अर्थ कंचना मैम यह कक्षा की दिनचर्या थी. शब्द का अर्थ समझने से पहले ही शब्द का अनुकूल अर्थ निकाल लें. कंचना मैम चाहती थीं कि उनके विद्यार्थी लीक से हट कर सोचने में सक्षम हों. वह चाहती थीं कि वे अपने आसपास की चीजों में, इतिहास और हरवस्तु के बारे में नई बातें सीखें. उन्होंने दृढ़ता से यह महसूस किया कि केवल पाठ्यपुस्तक से सीखना अच्छा नहीं है.
"नरसंहार का अर्थ है, बड़ी संख्या में लोगों की हत्या करना," उस ने चारों ओर देखा तो सभी का ध्यान उन्हीं पर था.
“ऐसे निहत्थे लोगों को मारना जो चुप रहते हैं और जवाबी कार्रवाई नहीं करते हैं," कक्षा में सन्नाटा पसर गया. यह वास्तव में छात्रों के लिए काफी कठिन शब्द था. 'यह निश्चित रूप से रोजमर्रा का शब्द नहीं था और युवा दिमागों के लिए तो बिलकुल ही नहीं.
"लेकिन कोई इस तरह से हत्या क्यों करेगा? यह अमानवीय और अनैतिक है," सचदेव शब्द की विशालता से उबरने वाला पहला छात्र था.
"सच है, सचदेव. लेकिन वास्तविक जीवन में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं.”
"अगर मैं चींटियों के टीले पर जाऊं और उस पर पानी से भरी बालटी डाल दूं तो क्या यह नरसंहार हो जाएगा?” कीर्ति ने शब्द को बेहतर ढंग से समझने की कोशिश करते हुए पूछा.
कंचना मैम ने कुछ देर सोचा, "तकनीकी रूप से हां, तुम इसे ऐसा कह सकते हो, लेकिन आमतौर पर जानवरों, कीड़ों और फूलों के लिए भी हम 'कसाई' या 'वध' शब्द का इस्तेमाल करते हैं. 'नरसंहार' शब्द ज्यादातर इंसानों के लिए इस्तेमाल किया जाता है."
प्रिया ने पूछा, "क्या आप हमें किसी ऐसी घटना का उदाहरण दे सकती हैं, मैडम ? मुझे नहीं लगता कि लोग ऐसी चीजें कर सकते हैं.
This story is from the April First 2024 edition of Champak - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the April First 2024 edition of Champak - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
बा और बापू
मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें लोग 'महात्मा' और कुछ प्यार से 'बापू' कहते थे, मेरे परदादा एक असाधारण व्यक्ति थे.
वादा गलत हो गया
‘मैं थक गई हूं, मैं पढ़ना नहीं चाहती,’ सुनैना ने बड़बड़ाते हुए कहा. उस की मां अंजना परेशान दिखीं, लेकिन उन्होंने शांत स्वर में कहा, “अभी तो सिर्फ तीन परीक्षाएं बाकी हैं. हम तुम्हारी परीक्षाओं के बाद सप्ताहांत में तुम्हारी पसंद की जगह छुट्टियां मनाने चलेंगे, मैं वादा करती हूं.”
तिरंगा पुरस्कार
जैसे ही वैली तितली ने टोटो चींटी को अपनी नई साइकिल पर तिरंगा झंडा लहराते हुए देखा, वह उड़ कर उस के पास आई और पूछा, “टोटो, तुम अपनी साइकिल पर तिरंगा झंडा लगा कर कहां जा रही हो?”
हमारा संविधान
26 जनवरी नजदीक आ रही थी और चंपकवन के निवासी गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारियों में व्यस्त थे. सबकुछ ठीक चल रहा था, तभी बैडी सियार के नेतृत्व में वनवासियों के एक ग्रुप ने जंगल के लिए अलग संविधान की मांग शुरू कर दी.
सर्प वर्ष
मिनयू अपने स्कूल परिसर में चारों ओर देख रही थी, वह उत्साह से चक्कर खा रही थी. वह लाइब्रेरी, क्लासरूम, जिम, म्यूजिक रूम और आर्ट रूम की ओर भागी, लेकिन कहीं भी किसी प्रकार की साजसजा नहीं थी. आखिर निराश हो कर वह देवदार के पेड़ के पास एक बेंच पर लेट गई.
दो जासूस
एक सुबह, निखिल और अखिल के पापा पार्क में टहलने के बाद उदास हो कर घर लौटे.
बर्फीला रोमांच
\"अरे, सुन, जल्दी से मुझे दूसरा कंबल दे दे. आज बहुत ठंड है,” मीकू चूहे ने अपने रूममेट चीकू खरगोश से कहा.
अलग सोच
\"वह यहां क्या कर रहा है?\" अक्षरा ने तनुषा कुमारी, जबकि वह आधी अधूरी मुद्रा में खड़ी थी या जैसे उन की भरतनाट्यम टीचर गायत्री कहती थीं, अरामंडी में खुद को संतुलित कर रही थी.
दादाजी के जोरदार खर्राटे
मीशा और उस की छोटी बहन ईशा सर्दियों की छुट्टी में अपने दादादादी से मिलने गए थे. उन्होंने दादी को बगीचे में टमाटरों को देखभाल करते हुए देखा. उन के साथ उन की बूढ़ी बिल्ली की भी थी. टमाटरों के पौधों को तैयार करना था ताकि वे अगली गर्मियों में खिलें और फल दें.
कौन कर रहा था, मिस्टर चिल्स से खिलवाड़
वीर और उस के दोस्त अपनी सर्दियों की यात्रा के लिए दिन गिन रहे थे. वे नैनीताल जा रहे थे और बर्फ में खेलने और उस के बाद अंगीठी के पास बैठने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आखिरकार जब वे नैनीताल पहुंचे, तो पहाड़ी शहर उन की कल्पना से भी ज्यादा मनमोहक था. बर्फ से जमीन ढक रखी थी. झील बर्फ की पतली परत से चमक रही थी और हवा में ताजे पाइन की खुशबू आ रही थी. यह एक बर्फीली दुनिया का दृश्य था, जो जीवंत हो उठा था.