"आप ने मुझे मूर्ख बनाया. मां, आप ने मुझे आइसक्रीम देने का वादा किया था. आप ने कहा था कि मुझे बस उससे मिलना है, अपना मुंह खोलना है और कहना है, 'आआआआ,' और उस ने क्या घोषणा की? कोई चौकलेट नहीं, कम से कम अगले दो महीने तक के लिए बिलकुल नहीं."
हमसा ने अपने घुंघराले बाल खींचे.
"क्या आप इन्हें सीधा कर सकती हैं ? नहीं, क्या मैं चौकलेट के बिना जीवित रह सकती हूं? एक बड़ा सा नहीं."
उत्तर, "तुम ने अभी अभी क्या कहा?" हर्ष ने पलट कर पूछा, उसे इस बात की परवाह नहीं थी कि उस का सुपर मारियो ईंट की दीवार से जा टकराएगा और उस की जान चली जाएगी. यहां तो कुछ और भी नाटकीय घटित होने जा रहा था.
"मैं चौकलेट खा सकता हूं, है न? मेरा मतलब है, मेरे दांत बिलकुल ठीक हैं." हर्ष ने अपने मोती जैसे सफेद दांत दिखाए जो बगीचे में फूल जैसे सजे हुए लग रहे थे. वह चौकलेट के बिना रहने की कल्पना भी नहीं कर सकता था, बिलकुल भी संभव नहीं रहा था.
हमसा की आंखें भर आईं. उस ने अभी भी अपने बाल पकड़ रखे थे.
"नहीं," मां ने दृढ़ता से कहा, "तुम्हारे लिए कोई चौकलेट नहीं है."
"क्यों नहीं? मैं दिन में दो बार ब्रश करता हूं. ऊपरनीचे, गोलगोल, आगेपीछे, जब तक मेरे मुंह से पुदीने जैसी महक न आए. मेरे दांत चूहे की तरह किटकिटाते हैं. मैं अपने मसूड़ों की मालिश करता हूं और अपनी जीभ साफ करता हूं. मुझे चौकलेट क्यों नहीं खानी चाहिए?" हर्ष को विश्वास था कि उस ने एक विजयी तर्क पेश किया था. उस के दांत वास्तव मैं कैविटी मुक्त थे.
"हमारा एक परिवार है और हम एकदूसरे का समर्थन करते हैं," मां ने हर्ष के तर्क पर विचार किए बिना ही अपना निर्णय सुना दिया.
"हमसा तब तक चौकलेट नहीं खा सकती, जब तक क्र उसे अनुमति न दे दे. हम सभी दो महीने तक चौकलेट के बिना भी जीवित रह सकते हैं," मां ने सख्ती से कहा.
"अरे, तुम अगले सप्ताह क्या बांटने जा रही हो?" जब राजी मिस की पीठ दूसरी ओर मुड़ी तो संजय ने हमसा को कुहनी मारी, जिसे उस ने हैरानी से देखा.
"अगले सप्ताह तुम्हारा जन्मदिन है, मिस फौरगेटफुल," संजय ने कहा.
हमसा सचमुच मिस फौरगेटफुल थी. वह अपने जन्मदिन के बारे में भूल गई थी. अब वह अपने दोस्तों को चौकलेट कैसे बांट सकती थी जब उस के पास चौकलेट्स नहीं थीं.
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बर्फीला रोमांच
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दादाजी के जोरदार खर्राटे
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कौन कर रहा था, मिस्टर चिल्स से खिलवाड़
वीर और उस के दोस्त अपनी सर्दियों की यात्रा के लिए दिन गिन रहे थे. वे नैनीताल जा रहे थे और बर्फ में खेलने और उस के बाद अंगीठी के पास बैठने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आखिरकार जब वे नैनीताल पहुंचे, तो पहाड़ी शहर उन की कल्पना से भी ज्यादा मनमोहक था. बर्फ से जमीन ढक रखी थी. झील बर्फ की पतली परत से चमक रही थी और हवा में ताजे पाइन की खुशबू आ रही थी. यह एक बर्फीली दुनिया का दृश्य था, जो जीवंत हो उठा था.
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जनवरी 2025 का पहला सप्ताह शुरू हो चुका था और 10 वर्षीय रोहन ने कोई संकल्प नहीं लिया था. वह जहां भी गया, स्कूल में, खेल के मैदान में और आसपड़ोस में सब जगह लोग नए साल के संकल्पों के बारे में बात कर रहे थे. रोहन भी एक महत्त्वपूर्ण और सार्थक संकल्प लेना चाहता था, लेकिन वह उलझन में था. वह एक ऐसा संकल्प लेना चाहता था, जो उस के लिए अच्छा हो और जिसे वह पूरे साल आसानी से पूरा कर सके.
सेल्वी का सरप्राइज
'चाय काप्पिई, चाय काप्पिई,' 'इडली वड़े, इडली वड़े,' बेचने वालों की तेज आवाज ने सेल्वी को जगा दिया. सूरज ढल चुका था और उस की ट्रेन अभी अभी तिरुनेलवेली जंक्शन में दाखिल हुई थी.
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