मीरा ने उस की पसंद का नाश्ता तैयार किया और आवाज लगाई तो वह मुंह धो कर डाइनिंग टेबल पर आ गया.
उस ने जैसे ही सैंडविच उठाने के लिए हाथ बढ़ाया उस के बढ़े हुए नाखून देख कर पापा बोले, "आरव, तुम्हारे नाखून बड़े और गंदे हैं. अपने हाथों की सफाई का खयाल रखा करो. तुम्हें हर हफ्ते नाखून काटने चाहिए वरना ये बड़े हो जाते हैं और उन के अंदर गंदगी जमा हो जाती है."
खाना खाते समय आरव ने अपने हाथों पर नजर डाली और महसूस किया कि वास्तव में उस के नाखून गंदे थे.
मीरा आरव को नेल कटर थमाते हुए बोली, "आरव, पहले अपने नाखून काट लो. इन में काफी गंदगी जमी हुई है."
आरव ने उन के हाथ से नेल कटर ले कर जेब में रख लिया.
मीरा ने कहा, "आरव, मैं ने तुम्हें नेल कटर जेब में रखने के लिए नहीं दिया. पहले नाखून काट लो उस के बाद खेलने जाना."
"मैं नाखून बाद में काट लूंगा मां. आप क्यों मेरे पीछे पड़ी रहती हैं?" आरव नेल कटर मेज पर रख कर खेलने चला गया.
उसे नाखून काटना सब से बेकार काम लगता था. आरव की मां हर रविवार उसे नाखून काटने के लिए कहतीं.
स्कूल में कभीकभी प्रार्थना सभा में मैडम उनके मंगलवार के नाखून और बाल चैक कर लेती थी. दिन क्लास मौनिटर पीयूष सब बच्चों के नाखून बाल चेक कर रहा था, जिन के बाल करीने से बने और हुए और नाखून कटे हुए थे उन्हें वह क्लास में जाने की इजाजत दे रहा था. आरव ने एक नजर अपने नाखूनों पर डाली. वे बढ़े हुए थे और उन के अंदर भीम था. आरव ने झट से मुट्ठी भींच दी.
पीयूष बोला, "अपने नाखून दिखाओ आरव."
उस ने धीरे से मुट्ठी खोली और हाथ पलट कर अपने नाखून दिखा दिए.
"तुम्हारे नाखून तो बहुत गंदे हैं. इन्हें काटा क्यों नहीं?" पीयूष ने पूछा.
"भूल गया था, आज काट दूंगा," आरव ने उत्तर दिया.
मैडम ने उस की तरफ देख कर कहा, "आरव, यह गलत बात है. हमें अपनी साफसफाई पर ध्यान देना चाहिए. बढ़े हुए नाखूनों के अंदर जमी गंदगी भोजन के साथ हमारे पेट में चली जाती है, जिस से बीमार होने का खतरा रहता है."
"सौरी मैडम, आज मैं घर जा कर सब से पहले नाखून काटूंगा," आरव ने माफी मांगते हुए कहा.
This story is from the April Second 2024 edition of Champak - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the April Second 2024 edition of Champak - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
बा और बापू
मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें लोग 'महात्मा' और कुछ प्यार से 'बापू' कहते थे, मेरे परदादा एक असाधारण व्यक्ति थे.
वादा गलत हो गया
‘मैं थक गई हूं, मैं पढ़ना नहीं चाहती,’ सुनैना ने बड़बड़ाते हुए कहा. उस की मां अंजना परेशान दिखीं, लेकिन उन्होंने शांत स्वर में कहा, “अभी तो सिर्फ तीन परीक्षाएं बाकी हैं. हम तुम्हारी परीक्षाओं के बाद सप्ताहांत में तुम्हारी पसंद की जगह छुट्टियां मनाने चलेंगे, मैं वादा करती हूं.”
तिरंगा पुरस्कार
जैसे ही वैली तितली ने टोटो चींटी को अपनी नई साइकिल पर तिरंगा झंडा लहराते हुए देखा, वह उड़ कर उस के पास आई और पूछा, “टोटो, तुम अपनी साइकिल पर तिरंगा झंडा लगा कर कहां जा रही हो?”
हमारा संविधान
26 जनवरी नजदीक आ रही थी और चंपकवन के निवासी गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारियों में व्यस्त थे. सबकुछ ठीक चल रहा था, तभी बैडी सियार के नेतृत्व में वनवासियों के एक ग्रुप ने जंगल के लिए अलग संविधान की मांग शुरू कर दी.
सर्प वर्ष
मिनयू अपने स्कूल परिसर में चारों ओर देख रही थी, वह उत्साह से चक्कर खा रही थी. वह लाइब्रेरी, क्लासरूम, जिम, म्यूजिक रूम और आर्ट रूम की ओर भागी, लेकिन कहीं भी किसी प्रकार की साजसजा नहीं थी. आखिर निराश हो कर वह देवदार के पेड़ के पास एक बेंच पर लेट गई.
दो जासूस
एक सुबह, निखिल और अखिल के पापा पार्क में टहलने के बाद उदास हो कर घर लौटे.
बर्फीला रोमांच
\"अरे, सुन, जल्दी से मुझे दूसरा कंबल दे दे. आज बहुत ठंड है,” मीकू चूहे ने अपने रूममेट चीकू खरगोश से कहा.
अलग सोच
\"वह यहां क्या कर रहा है?\" अक्षरा ने तनुषा कुमारी, जबकि वह आधी अधूरी मुद्रा में खड़ी थी या जैसे उन की भरतनाट्यम टीचर गायत्री कहती थीं, अरामंडी में खुद को संतुलित कर रही थी.
दादाजी के जोरदार खर्राटे
मीशा और उस की छोटी बहन ईशा सर्दियों की छुट्टी में अपने दादादादी से मिलने गए थे. उन्होंने दादी को बगीचे में टमाटरों को देखभाल करते हुए देखा. उन के साथ उन की बूढ़ी बिल्ली की भी थी. टमाटरों के पौधों को तैयार करना था ताकि वे अगली गर्मियों में खिलें और फल दें.
कौन कर रहा था, मिस्टर चिल्स से खिलवाड़
वीर और उस के दोस्त अपनी सर्दियों की यात्रा के लिए दिन गिन रहे थे. वे नैनीताल जा रहे थे और बर्फ में खेलने और उस के बाद अंगीठी के पास बैठने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आखिरकार जब वे नैनीताल पहुंचे, तो पहाड़ी शहर उन की कल्पना से भी ज्यादा मनमोहक था. बर्फ से जमीन ढक रखी थी. झील बर्फ की पतली परत से चमक रही थी और हवा में ताजे पाइन की खुशबू आ रही थी. यह एक बर्फीली दुनिया का दृश्य था, जो जीवंत हो उठा था.