वह एक गिलास शिकंजी के लिए बगल के कमरे में दाखिल हुआ.
"अरे, ये क्या, गिलास खाली कैसे हो गया?" जंपी हैरान हो कर बुदबुदाया.
जंपी ने सोचा कि शायद वह पहले ही शिकंजी पी चुका है और अब भूल गया, इसलिए उस ने इस बात पर अधिक ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब ऐसा लगातार होने लगा तो उसे गुस्सा आ गया.
"यह कौन बदतमीज व्यक्ति है जो रोज मेरी शिकंजी पी रहा है. मैं चोर को पकड़ कर ही रहूंगा," जंपी हवा में घूंसा लहराते हुए चिल्लाया.
उस दिन के बाद वह कमरे में शिकंजी का गिलास रखने के बाद कमरे के बाहर छिप कर उस पर नजर रखने लगा, लेकिन जब काफी देर बाद वह कमरे में जाता तो उसे शिकंजी का गिलास खाली मिलता था.
परेशान हो कर चोर को पकड़ने के लिए जंपी ने अपने घर में सिक्योरिटी गार्ड तैनात कर दिए और चारों तरफ सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए, लेकिन शिकंजी, कोल्डड्रिंक और पानी आदि का गायब होना फिर भी जारी रहा और चोर का कोई पता नहीं चला.
यह सब देख कर जंपी को विश्वास होने लगा कि उस कमरे में कोई भूत है और वह एक हौंटेड रूम है. यह बात दिमाग में आते ही जंपी ने उस कमरे की तरफ जाना बंद कर दिया और अब वह एक बड़ा मकान होते हुए भी केवल एक ही कमरे का इस्तेमाल करता था.
इस बात को काफी दिन बीत गए. एक शाम उस के घर में उसके पुराने दोस्त चीकू खरगोश और मीकू चूहा आए.
जंपी ने उन दोनों का स्वागत किया और उन्हें अच्छा सा भोजन बना कर खिलाया.
"वाह, खाना खा कर तो मजा आ गया बहुत स्वादिष्ठ था. अब तो बहुत तेज नींद आ रही है. जंपी तुम मुझे मेरा कमरा दिखा दो, अब तो मैं चादर तान कर सोऊंगा," मीकू अपने पेट पर हाथ फेरते हुए बोला.
"माफ करना मीकू, लेकिन तुम्हें हमारे साथ यहीं इसी कमरे में सोना पड़ेगा," जंपी ने खेदपूर्ण स्वर में कहा.
"कोई बात नहीं जंपी, हम सब यहीं पर एडजस्ट कर लेंगे. वैसे दूसरे कमरों में क्या पेइंगगेस्ट रहते हैं?" चीकू ने पूछा.
"नहीं, वे सब तो खाली हैं," जंपी ने तुरंत जवाब दिया.
"कमाल है, सारे कमरे खाली हैं फिर भी तुम हम से यहां सोने के लिए कह रहे हो. बाकी सारे कमरों में खजाना है क्या?" मीकू जंपी को चिढ़ाते हुए बोला.
"और अगर है भी तो चिंता मत करो, हम तुम्हारा खजाना ले कर नहीं भागेंगे," चीकू ने हंसते हुए कहा तो जंपी झेंप गया.
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मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें लोग 'महात्मा' और कुछ प्यार से 'बापू' कहते थे, मेरे परदादा एक असाधारण व्यक्ति थे.
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‘मैं थक गई हूं, मैं पढ़ना नहीं चाहती,’ सुनैना ने बड़बड़ाते हुए कहा. उस की मां अंजना परेशान दिखीं, लेकिन उन्होंने शांत स्वर में कहा, “अभी तो सिर्फ तीन परीक्षाएं बाकी हैं. हम तुम्हारी परीक्षाओं के बाद सप्ताहांत में तुम्हारी पसंद की जगह छुट्टियां मनाने चलेंगे, मैं वादा करती हूं.”
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जैसे ही वैली तितली ने टोटो चींटी को अपनी नई साइकिल पर तिरंगा झंडा लहराते हुए देखा, वह उड़ कर उस के पास आई और पूछा, “टोटो, तुम अपनी साइकिल पर तिरंगा झंडा लगा कर कहां जा रही हो?”
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26 जनवरी नजदीक आ रही थी और चंपकवन के निवासी गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारियों में व्यस्त थे. सबकुछ ठीक चल रहा था, तभी बैडी सियार के नेतृत्व में वनवासियों के एक ग्रुप ने जंगल के लिए अलग संविधान की मांग शुरू कर दी.
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कौन कर रहा था, मिस्टर चिल्स से खिलवाड़
वीर और उस के दोस्त अपनी सर्दियों की यात्रा के लिए दिन गिन रहे थे. वे नैनीताल जा रहे थे और बर्फ में खेलने और उस के बाद अंगीठी के पास बैठने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आखिरकार जब वे नैनीताल पहुंचे, तो पहाड़ी शहर उन की कल्पना से भी ज्यादा मनमोहक था. बर्फ से जमीन ढक रखी थी. झील बर्फ की पतली परत से चमक रही थी और हवा में ताजे पाइन की खुशबू आ रही थी. यह एक बर्फीली दुनिया का दृश्य था, जो जीवंत हो उठा था.