जैसे ही दोनों ने सीढ़ियों की चरमराहट की आवाज सुनी तो शरलौक का चेहरा दमक उठा. "भारी भरकम कदमों की आहट से पता चलता है कि हमारे पास कोई वजनदार अतिथि आ रहे हैं. अगर मेरा अंदाजा सही है, तो यह जंगल संग्रहालय का निदेशक डा. बैनेट भालू है."
जैसे ही शरलौक ने इस की भविष्यवाणी की, तभी डा. बैनेट हांफता हुआ कमरे में दाखिल हुआ और बोला, "अरे शरलौक, इत्मीनान से कौफी पीने का समय नहीं है. मैं यहां हारने वाला हूं, मुझे बचा लो."
"अरे, क्या हुआ? तुम्हें सबकुछ मुझे बताना होगा, लेकिन कृपया पहले शांत हो कर बैठ जाओ," शरलौक ने कहा.
जब डा. बैनेट बैठ गया तो वाटसन ने धीरे से शरलौक से पूछा, “तुम को कैसे पता चला कि डा. बैनेट आ रहा है?"
"बस, तेज दिमाग और पारखी नजरों का कमाल है, मेरे दोस्त. वह रास्ते में मधुमक्खी के छत्ते वाले पेड़ के नीचे खड़ा था, जब मधुमक्खियों ने उसे देखा, तो तुरंत इधरउधर उड़ने लगीं," शरलौक मुसकराया.
"अब सुनो," डा. बैनेट ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, "कल सिल्क रोड का एक दुर्लभ नक्शा संग्रहालय से गायब हो गया. मुझे आज सुबह पता चला जब हौल का दरवाजा खुला."
"सिल्क रोड यानी रेशम मार्ग? वही जो चीन से तुर्की तक जाता है?"
"हां, वही 6,500 किलोमीटर लंबा मार्ग. मानचित्र में पहाड़ों, नदियों, ऐतिहासिक महत्त्व के स्थानों और सिल्क रोड पर यात्रियों के लिए बनी सराय जैसी कई चीजों का उल्लेख है," डा. बैनेट ने विस्तार से बताया.
"क्या तुम्हें किसी पर शक है?" शरलौक ने कमरे में चहल कदमी करते हुए पूछा.
"मैं किस पर शक करूं. चोरी का सामना करने वाले परिवार के लिए हर कोई चोर होता है," डा. बैनेट बोला.
"फिर भी इस बारे में सोच कर बताओ. क्या कभी किसी ने तुम से नक्शे के संबंध में कुछ कहा है?"
"4 दिन पहले कुछ विदेशी यहां आए थे. वे उत्साह से इस के बारे में पूछ रहे थे. एक सौदागर जो उज्बेकिस्तान के समरकंद का था, आ कर पूछ रहा था कि इस नक्शे की कोई और प्रति है. उस ने बताया कि समरकंद में एक नया संग्रहालय खुल रहा है और क्यूरेटर ऐसी चीजों को ढूंढ़ रहे हैं. ऐसी वस्तुओं के लिए वे उचित राशि का भुगतान करने को भी तैयार हैं, क्योंकि यह मार्ग चीन के जियागुआन शहर से समरकंद तक जाता है और बुखारा से होते हुए तुर्की के बरसा तक जाता है."
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