पहली बड़ी बूंद ने आम के पेड़ों पर बैठे बुलबुल पक्षी को चौंका दिया था, चमकीले हरे पत्ते ठंडी हवा में बब्बलहैड्स की तरह अपने सिर हिला रहे थे. फूल अपनी पंखड़ियों से झांक रहे थे, खुद को खोलने में थोड़ा झिझक रहे थे. एक भूरे आवारा आलसी स्थानीय कुत्ते को कुंजप्पेत्तन की किराने की दुकान के बरामदे पर एक अस्थायी आश्रय मिला. कुंजपेत्तन दुकान को सुरक्षित करने वाले लंबे ऊर्ध्वाधर लकड़ी के तख्तों को दूसरी जगह रख रहा था. वह उस दिन सुबहसुबह तेज बारिश के बावजूद अपने छोटे शहर के कई अन्य लोगों की तरह, तेज व्यवसाय के लिए अपनी दुकान स्थापित कर रहा था.
आश्रम दक्षिणी केरल का एक छोटा सा शहर था. "लीना, मीना, मौली," रसोई से अम्मां की आवाज . वह हमेशा उन्हें एकसाथ ही बुलाती थीं. आमतौर पर उन में से एक के तरफ से जवाब आता था.
यह मनाही थी जिस ने इस बार "उत्साह के साथ उत्तर दिया. वह आंखें मलती हुई अपनी मां की ओर दौड़ती हुई आई.
"मोलियेची से कहो कि वह कुछ किराने का सामान ले आए,” अम्मां ने तवे से नजर हटाए बिना कहा, जिस पर वह अप्पा के लिए बड़े, गोल डोसे बना रही थी..
वह मोलियेची की ओर बढ़ी, जिस के पास पहले से ही किराने का थैला था. मौली ने सावधानी से गिनती की और बक्से के अंदर रखी मुद्राएं ले लीं.
"मोलियेची, क्या हम वहां जा सकते हैं, कृपया?” मीना ने मौली को पकड़ कर फुसलाया. मौली ने विचारपूर्वक "उम्म” के साथ जवाब दिया, इस विचार के साथ वह गुप्त रूप से रोमांचित हो गई थी. यह शहर का एक पसंदीदा स्थान था.
“मैं भी वहां जाना चाहती हूं,” लीना पीछे से चिल्लाई. उस का उत्साह साफ दिख रहा था.
"ठीक है, ठीक है,” मौली अभी भी अपनी दो छोटी बहनों के साथ खुशी से आगे बढ़ती रही.
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जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.
फौक्सी को सबक
एक समय की बात है, एक घने, हरेभरे जंगल में जिंदगी की चहलपहल गूंज रही थी, वहां फौक्सी नाम का एक लोमड़ रहता था. फौक्सी को उस के तेज दिमाग और आकर्षण के लिए जाना जाता था, फिर भी वह अकसर अपने कारनामों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करता था. उस के सब से अच्छे दोस्त सैंडी गौरैया, रोजी खरगोश और टिम्मी कछुआ थे.
बच्चे देश का भविष्य
भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.