मेरा नया स्कूल बहुत बड़ा और हल्लेगुल्ले वाला है. यहां हमारी एक संगीत शिक्षिका हैं, मिस राधिका, लेकिन वह भारतीय शास्त्रीय संगीत सिखाती हैं. यह बिलकुल ही मेरी शैली नहीं है. मुझे बीट्स पसंद हैं. मेरा पसंदीदा संगीत बैंड इंदिरागा है और मैं बड़ी हो कर पौपस्टार बनना चाहती हूं.
जहां तक प्रतियोगिता की बात है, मैं ने एक फिल्मी गाना गाने का फैसला किया. लेकिन उस में मेरा अपना पौप ट्विस्ट होगा. मुझे अपने आइडिया पर गर्व था. मेरी आवाज और मेरे गाने में ट्विस्ट के साथ, मुझे पता था कि मैं मंच पर हिट हो जाऊंगी.
मुझे अपना नया स्कूल और नया पड़ोस भी पसंद है. पापा के नौकरी बदलने के बाद यात्रा का समय बचाने के लिए हम यहां आ गए. हम ने एक लौन वाले पुराने घर की पहली मंजिल किराए पर ली है. यहां चारों ओर अधिकतर समय शांति रहती है. मां का कहना है कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि पड़ोस ज्यादातर बुजुर्ग जोड़े रहते हैं.
लेकिन यहां पहले रविवार की सुबह जब संगीत की धुन मेरे कानों में पड़ी तो पड़ोस की खामोशी टूट गई. सा रे गा मा पा धा निसा, सा रे गा मा पा धा नि सा.
शुरू में मैं ने सोचा कि मैं जरूर सपना देख रही थी, क्योंकि मैं गहरी नींद में थी, लेकिन जब मैं ने अपनी आंखें सूरज की पहली चमकती किरण के साथ खोलीं, जो मेरी खिड़की से आ रही थी, तो अभी भी वहां से आवाज आ रही थी.
उसके बाद मैं हर रविवार सुबह 6 बजे उसे सुनती थी. यह मेरे लिए रविवारीय अलार्म की तरह हो गया था. इतनी सुबह कौन गा मैं सकता था?
उस सुबह अपने आप को रोक नहीं सकी. “मम्मी, मैं यह देखने बाहर जा रही हूं कि कौन गा रहा है," मैं ने रबर बैंड से अपने बाल पीछे खींचे और सीढ़ियों से नीचे भागी. मैं ने बरामदे से अपनी साइकिल उठाई और आवाज का ध्यान से पीछा करते हुए सड़क पर पैडल मारने लगी. मैं दाहिन ओर मुड़ी और फिर एक ऊंचे गेट के पास पहुंची, जहां से मुझे संगीत के स्वर स्पष्ट रूप से सुनाई दे रहे थे. मैं एक पल के लिए रुकी और फिर दरवाजे की घंटी दबा दी.
संगीत सुनाई देना अब बंद हो गया. मैं ने दरवाजे तक आते कदमों की आवाज और जालीदार दरवाजे के खुलने की चरमराहट सुनी. किसी ने दरार से झांक कर दरवाजा खोला. मैं ने उसे पहचान लिया. वह कक्षा 5ए की स्वरा घोष थी.
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बा और बापू
मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें लोग 'महात्मा' और कुछ प्यार से 'बापू' कहते थे, मेरे परदादा एक असाधारण व्यक्ति थे.
वादा गलत हो गया
‘मैं थक गई हूं, मैं पढ़ना नहीं चाहती,’ सुनैना ने बड़बड़ाते हुए कहा. उस की मां अंजना परेशान दिखीं, लेकिन उन्होंने शांत स्वर में कहा, “अभी तो सिर्फ तीन परीक्षाएं बाकी हैं. हम तुम्हारी परीक्षाओं के बाद सप्ताहांत में तुम्हारी पसंद की जगह छुट्टियां मनाने चलेंगे, मैं वादा करती हूं.”
तिरंगा पुरस्कार
जैसे ही वैली तितली ने टोटो चींटी को अपनी नई साइकिल पर तिरंगा झंडा लहराते हुए देखा, वह उड़ कर उस के पास आई और पूछा, “टोटो, तुम अपनी साइकिल पर तिरंगा झंडा लगा कर कहां जा रही हो?”
हमारा संविधान
26 जनवरी नजदीक आ रही थी और चंपकवन के निवासी गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारियों में व्यस्त थे. सबकुछ ठीक चल रहा था, तभी बैडी सियार के नेतृत्व में वनवासियों के एक ग्रुप ने जंगल के लिए अलग संविधान की मांग शुरू कर दी.
सर्प वर्ष
मिनयू अपने स्कूल परिसर में चारों ओर देख रही थी, वह उत्साह से चक्कर खा रही थी. वह लाइब्रेरी, क्लासरूम, जिम, म्यूजिक रूम और आर्ट रूम की ओर भागी, लेकिन कहीं भी किसी प्रकार की साजसजा नहीं थी. आखिर निराश हो कर वह देवदार के पेड़ के पास एक बेंच पर लेट गई.
दो जासूस
एक सुबह, निखिल और अखिल के पापा पार्क में टहलने के बाद उदास हो कर घर लौटे.
बर्फीला रोमांच
\"अरे, सुन, जल्दी से मुझे दूसरा कंबल दे दे. आज बहुत ठंड है,” मीकू चूहे ने अपने रूममेट चीकू खरगोश से कहा.
अलग सोच
\"वह यहां क्या कर रहा है?\" अक्षरा ने तनुषा कुमारी, जबकि वह आधी अधूरी मुद्रा में खड़ी थी या जैसे उन की भरतनाट्यम टीचर गायत्री कहती थीं, अरामंडी में खुद को संतुलित कर रही थी.
दादाजी के जोरदार खर्राटे
मीशा और उस की छोटी बहन ईशा सर्दियों की छुट्टी में अपने दादादादी से मिलने गए थे. उन्होंने दादी को बगीचे में टमाटरों को देखभाल करते हुए देखा. उन के साथ उन की बूढ़ी बिल्ली की भी थी. टमाटरों के पौधों को तैयार करना था ताकि वे अगली गर्मियों में खिलें और फल दें.
कौन कर रहा था, मिस्टर चिल्स से खिलवाड़
वीर और उस के दोस्त अपनी सर्दियों की यात्रा के लिए दिन गिन रहे थे. वे नैनीताल जा रहे थे और बर्फ में खेलने और उस के बाद अंगीठी के पास बैठने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आखिरकार जब वे नैनीताल पहुंचे, तो पहाड़ी शहर उन की कल्पना से भी ज्यादा मनमोहक था. बर्फ से जमीन ढक रखी थी. झील बर्फ की पतली परत से चमक रही थी और हवा में ताजे पाइन की खुशबू आ रही थी. यह एक बर्फीली दुनिया का दृश्य था, जो जीवंत हो उठा था.