"हां, दादी," अपनी किताबें अपने स्कूल बैग के अंदर डालते हुए जिमी चिल्लाया, "अब मैं जा कर क्रिकेट खेल सकता हूं."
"अंग्रेजी का होमवर्क बाकी है. मुझे एक दोस्त को पत्र लिखना है," जेसी ने आहें भरी.
"दादी, जब आप स्कूल में थीं, तो क्या पत्र लिखती थीं?"
"हां, लिखती थी, लेकिन असली पत्र," वह हंस पड़ीं, "अपने स्कूल की नोटबुक में नहीं."
जिमी उत्सुक हो गया, "आप ने किसे पत्र लिखा, दादी?"
"मैं ने पहला पत्र अर्चना को लिखा था, जो मेरी पहली दोस्त थी. हम पहली कक्षा में थे. यह सर्दियों की छुट्टियों की बात थी. मैं उसे कभी नहीं भूल सकती. वह स्कूल के छात्रावास में रहती थी और फिर अपने गृहनगर 3 चली गई थी."
"मैं और मेरी बहन भी अपने रिश्तेदारों को पत्र लिखती थीं. जन्मदिन और क्रिसमसकार्ड भेजना तथा प्राप्त करना एक जैसी बात थी, जिसका हम इंतजार करते थे. जब मैं कौलेज में पढ़ रही थी तो तब मैं अपने मम्मी पापा को पत्र लिखा था."
"आप को पत्र लिखना पसंद था?" जेसी ने पूछा.
"हां, यह संपर्क में रहने का एकमात्र तरीका था. तब बहुत कम लोगों के पास टैलीफोन थे. फोन कौल तब काफी महंगी थी. लैंडलाइन नंबरों पर एसटीडी कोड जोड़ने और खुद कौल करने से पहले एक आउट स्टेशन कौल को औपरेटर के माध्यम से बुक करना पड़ता था. क्या तुम जानते हो, उन दिनों मोबाइल फोन नहीं थे कि हम जब चाहें तब कौल कर सकें."
"कौलेज होस्टल में जब पत्र मिलते थे तो हम बहुत उत्साहित होते थे," दादी ने याद करते हुए कहा.
"मेरी सहेली राधा सभी दोस्तों को एक समूह इकट्ठा करती थी. वह हर सप्ताह अपनी दादी के पत्र पढ़ती थी, जो गांव की सभी खबरें मनोरंजक तरीके से लिख कर भेजती थीं. उन के पड़ोसी की बेटी अम्मू के पास एक बकरी थी जो एक दिन स्कूल पहुंच गई थी. मुझे वह पत्र आज भी याद है, जिस में उन्होंने उस की हरकतों का वर्णन किया था."
"स्कूल में एक बकरी? फिर क्या हुआ दादी?" जिमी ने बीच में टोका.
"माली ने उसे बगीचे में कुछ पौधों को चबाते हुए देखा और उस का पीछा किया. वह आराम से कक्षा में चली गई और फिर वहां पर अफरातफरी मच गई. माली, चपरासी और अम्मू सहित बच्चों का एक समूह स्कूल के चारों तरफ उस के पीछे भागा. अंत में टीचर को बकरी घर वापस ले जाने के लिए चपरासी को बुलाना पड़ा."
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