'अरे नहीं, यहां बहुत अंधेरा और सुनसान है. यह डरावना है,' डोडो ने चलते हुए सोचा. अचानक बैडी लोमड़ी और मैडी सियार एक पेड़ के पीछे से कूदे और उस का रास्ता रोक दिया.
"अपना सारा कीमती सामान हमें सौंप दो, नहीं तो पछताओगे,” वे गुर्राए.
"मैं अपने रुपए किसी को नहीं दूंगा. मैं ने इन्हें कमाने के लिए पूरे एक साल शहर में कड़ी मेहनत की है और अब तुम इन्हें चुराना चाहते हो,” डोडो रोया.
"हाहाहा, तुम ने रुपए कमाने के लिए शहर में कड़ी मेहनत की और हम इन्हें तुम से चुराने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. अब आगे एक भी शब्द मत बोलो और चुपचाप हमें सबकुछ दे दो,” मैडी हंसा.
"मैडी, बात करना बंद करो और रुपए छीन लो,' बैडी ने डोडो को पकड़ते हुए कहा.
डोडो खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. मैडी ने जल्दी से डोडो का बैग छीन लिया और उस की जेबें खंगालने लगा.
"जल्दी करो, तुम इतना समय बरबाद क्यों कर रहे हो? कोई आ सकता है," बैडी ने झल्ला कर कहा.
"बस, एक मिनट," मैडी बोला, और डोडो की जेबों से सामान निकालने लगा.
“वाह, मुझे तो चिंता थी कि आज रात कोई शिकार मिलेगा या नहीं, लेकिन यहां मेरे पास 3-3 हैं,” एक डरावनी आवाज अचानक हवा में गूंजी तो बैडी, मैडी और डोडो चौंक गए.
“तुम कौन हो?”” बैडी चिल्लाया, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह कहां देखे.
“क्या तुम नहीं देख सकते ? ओह, रुको, मैं समझ गया. तुम जैसे साधारण जंगली जीव मुझे कैसे देख सकते हैं? मुझे पास आने दो,” आवाज फिर से गूंजी और थोड़ी दूरी पर एक डरावनी आकृति दिखाई दी.
"वह कौन है? कहां से आया?" मैडी ने घबरा कर उस आकृति को देखते हुए पूछा.
"मैं एक आत्मा हूं, जो शिकार की तलाश में सदियों से भटक रही हूं. अब मैं ने तुम्हें पा लिया और मेरी तलाश खत्म हो गई है,” डरावनी आकृति बोली.
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बा और बापू
मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें लोग 'महात्मा' और कुछ प्यार से 'बापू' कहते थे, मेरे परदादा एक असाधारण व्यक्ति थे.
वादा गलत हो गया
‘मैं थक गई हूं, मैं पढ़ना नहीं चाहती,’ सुनैना ने बड़बड़ाते हुए कहा. उस की मां अंजना परेशान दिखीं, लेकिन उन्होंने शांत स्वर में कहा, “अभी तो सिर्फ तीन परीक्षाएं बाकी हैं. हम तुम्हारी परीक्षाओं के बाद सप्ताहांत में तुम्हारी पसंद की जगह छुट्टियां मनाने चलेंगे, मैं वादा करती हूं.”
तिरंगा पुरस्कार
जैसे ही वैली तितली ने टोटो चींटी को अपनी नई साइकिल पर तिरंगा झंडा लहराते हुए देखा, वह उड़ कर उस के पास आई और पूछा, “टोटो, तुम अपनी साइकिल पर तिरंगा झंडा लगा कर कहां जा रही हो?”
हमारा संविधान
26 जनवरी नजदीक आ रही थी और चंपकवन के निवासी गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारियों में व्यस्त थे. सबकुछ ठीक चल रहा था, तभी बैडी सियार के नेतृत्व में वनवासियों के एक ग्रुप ने जंगल के लिए अलग संविधान की मांग शुरू कर दी.
सर्प वर्ष
मिनयू अपने स्कूल परिसर में चारों ओर देख रही थी, वह उत्साह से चक्कर खा रही थी. वह लाइब्रेरी, क्लासरूम, जिम, म्यूजिक रूम और आर्ट रूम की ओर भागी, लेकिन कहीं भी किसी प्रकार की साजसजा नहीं थी. आखिर निराश हो कर वह देवदार के पेड़ के पास एक बेंच पर लेट गई.
दो जासूस
एक सुबह, निखिल और अखिल के पापा पार्क में टहलने के बाद उदास हो कर घर लौटे.
बर्फीला रोमांच
\"अरे, सुन, जल्दी से मुझे दूसरा कंबल दे दे. आज बहुत ठंड है,” मीकू चूहे ने अपने रूममेट चीकू खरगोश से कहा.
अलग सोच
\"वह यहां क्या कर रहा है?\" अक्षरा ने तनुषा कुमारी, जबकि वह आधी अधूरी मुद्रा में खड़ी थी या जैसे उन की भरतनाट्यम टीचर गायत्री कहती थीं, अरामंडी में खुद को संतुलित कर रही थी.
दादाजी के जोरदार खर्राटे
मीशा और उस की छोटी बहन ईशा सर्दियों की छुट्टी में अपने दादादादी से मिलने गए थे. उन्होंने दादी को बगीचे में टमाटरों को देखभाल करते हुए देखा. उन के साथ उन की बूढ़ी बिल्ली की भी थी. टमाटरों के पौधों को तैयार करना था ताकि वे अगली गर्मियों में खिलें और फल दें.
कौन कर रहा था, मिस्टर चिल्स से खिलवाड़
वीर और उस के दोस्त अपनी सर्दियों की यात्रा के लिए दिन गिन रहे थे. वे नैनीताल जा रहे थे और बर्फ में खेलने और उस के बाद अंगीठी के पास बैठने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आखिरकार जब वे नैनीताल पहुंचे, तो पहाड़ी शहर उन की कल्पना से भी ज्यादा मनमोहक था. बर्फ से जमीन ढक रखी थी. झील बर्फ की पतली परत से चमक रही थी और हवा में ताजे पाइन की खुशबू आ रही थी. यह एक बर्फीली दुनिया का दृश्य था, जो जीवंत हो उठा था.