घर के सामने बगीचे में घास और छोटी कंटीली झाड़ियां उगी थीं. बादल हवा में मंडरा रहे थे, जिस से घर पर एक रहस्मयी छाया पड़ रही थी. धुंध के कारण घर के दिखाई देने वाले हिस्से की पहली मंजिल पर खिड़की के परदे के पीछे पीली रोशनी टिमटिमा रही थी. घर के ऊपर आसमान में सफेद चांद चमक रहा था. प्रवेश द्वार के पास टूटी बाड़ खड़ी थी.
ओनिर और उस के दो दोस्त मैंडी और सैंडी अपने घर से भटक कर काफी दूर चले गए थे. उन्होंने डरावनी हैलोवीन ड्रैस पहनी हुई थीं. उन के कंधों पर लटकी टोकरियां कैंडी और ड्रीट से आधी भरी थीं, जो उन्हें 'ट्रिक एनट्रीट' के रूप में पड़ोसियों से मिली थीं. ओनिर की मां ने उसे चेतावनी थी कि वह पहाड़ी के दूसरी तरफ न जाए, क्योंकि वहां काफी अंधेरा था, लेकिन जब वे उस बैगनी रंग के घर पर पहुंचे, तो हैरान रह गए. ओनिर की मां ने जो बताया था उस के विपरीत घर रोशन था. सभी लैंपपोस्ट काम कर रहे थे, हालांकि उन में से टूटे हुए कुछ थे.
तीनों लड़के मालिक से कैंडी लेने मुख्य दरवाजे की तरफ दबे पांव गए. ओनिर डांस परफौर्म करने वाला था, जबकि मैंडी और उस का भाई सैंडी हैलोवीन गाना गाने वाले थे, लेकिन जब उन्होंने दरवाजा खटखटाया तो वे हैरान रह गए. उन के सामने उन का हमउम्र एक लड़का खड़ा था, जिस के हाथ में कैंडी का डब्बा था.
उन्होंने अपना परिचय दिया.
बच्चे ने जवाब दिया, "मेरा नाम संजू है. क्या तुम अंदर आ कर मेरे साथ खेलोगे. मेरे पैरेंट्स घर पर नहीं हैं. मैं अकेला हैलावीन मना रहा हूं.
लड़के एकदूसरे की तरफ देख कर उलझन पड़ गए. एक मिनट सोचने के बाद उन्होंने कहा, "ठीक है. "
संजू उन्हें घर के अंदर ले गया, उन्हें यह घर अब तक देखे घरों से बड़ा लग रहा था. "इस तरफ आओ,” संजू ने कहा. वे घबराए हुए उस के पीछे चल दिए.
डरावना दिख रहा घर उन की अपेक्षा के विपरीत मोमबत्तियां, बल्बों और लैंपों से शानदार ढंग से चमचमा रहा था. फर्श पर आलीशान कालीन बिछे हुए थे और डाइनिंग टेबल पर महंगी चांदी की कटलरी रखी थी.
This story is from the October Second 2024 edition of Champak - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the October Second 2024 edition of Champak - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.
फौक्सी को सबक
एक समय की बात है, एक घने, हरेभरे जंगल में जिंदगी की चहलपहल गूंज रही थी, वहां फौक्सी नाम का एक लोमड़ रहता था. फौक्सी को उस के तेज दिमाग और आकर्षण के लिए जाना जाता था, फिर भी वह अकसर अपने कारनामों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करता था. उस के सब से अच्छे दोस्त सैंडी गौरैया, रोजी खरगोश और टिम्मी कछुआ थे.
बच्चे देश का भविष्य
भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.