स्मोकिंग हर मायने में हमारे शरीर को कई तरीकों से नुकसान पहुंचाती है। फर्स्ट-हैंड स्मोकिंग यानी धूम्रपान करने वाला व्यक्ति और सेकंड हैंड यानी सांस के माध्यम सिगरेट के धुएं को अंदर लेने वाला व्यक्ति। ये दोनों ही निकोटिन और अन्य जहरीले केमिकल्स को सांस के जरिए शरीर के अंदर ले लेते हैं, जो हृदय संबंधी समस्याओं, स्ट्रोक और फेफड़ों के कैंसर की वजह बन सकते हैं। लेकिन क्या आप जानती हैं कि थर्ड-हैंड स्मोकिंग भी उतनी ही ज्यादा नुकसानदायक है, जितनी कि ये दोनों। धूम्रपान बंद करने के बाद भी थर्ड-हैंड धुआं कई महीनों तक वातावरण में बना रह सकता है। ऐसे में आपको थर्ड-हैंड स्मोकिंग के बारे में जानना जरूरी है, ताकि आप यह समझ सकें कि अनजाने में कहीं आप भी तो थर्ड-हैंड स्मोकिंग का शिकार नहीं हो रही हैं?
क्या है थर्ड हैंड स्मोकिंग
थर्ड-हैंड स्मोकिंग के नुकसान को जानने से पहले इसके बारे में जान लेना जरूरी है। जब कोई स्मोकिंग करता है तो सिगरेट का धुआं उसके अंदर प्रवेश करता है। इसे फर्स्ट-हैंड स्मोकिंग कहा जाता है। अगर उस जगह कोई व्यक्ति भी मौजूद है तो सिगरेट का धुआं उसके अंदर भी प्रवेश करता है, जिसे सेकंड हैंड स्मोकिंग कहा जाता है। लेकिन सिगरेट से निकलने वाला धुआं और अन्य हानिकारक केमिकल्स आस-पास की जगहों एवं चीजों पर चिपक जाते हैं। यही नहीं, धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के हाथों तथा कपड़ों आदि के माध्यम से भी हानिकारक तत्व दूसरे व्यक्तियों के संपर्क में आ सकते हैं और उन्हें भी नुकसान पहुंचा सकते हैं, जबकि वे धूम्रपान नहीं करते हैं। इसे ही थर्डहैंड स्मोकिंग कहा जाता है। यह कई माध्यमों से आपको प्रभावित कर सकता है। मसलन, प्रभावित चीजों और कपड़ों को छूने तथा ऐसे स्थानों पर सांस लेने से भी आप इसके संपर्क में आ सकती हैं। थर्ड-हैंड स्मोक अगर इनडोर वायु प्रदूषण के साथ मिल जाए तो यह अत्यधिक खतरनाक हो सकता है।
थर्ड-हैंड स्मोक अगर इनडोर वायु प्रदूषण के साथ मिल जाए तो यह अत्यधिक खतरनाक हो सकता है, विशेषकर गर्भवती महिलाओं और शिशुओं के लिए।
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