बदलाव सतत प्रक्रिया है। लोग बदलते हैं, सोच बदलती है। इंसान साल दर साल खुद को रीक्रिएट करता है। जीवन सफर में मिलनेवाले किरदारों व अनुभवों का प्रभाव इस बदलाव पर पड़ता है। सामान्य रूप से वक्त के साथ व्यक्ति अपने खानपान, सोने-जागने की आदतों या सेहत संबंधी विचारों में बदलाव लाता है। उम्र के एक पड़ाव पर वह वर्क- लाइफ बैलेंस के अलावा मनोवैज्ञानिक-भावनात्मक जरूरतों को समझने लगता है। अपने भौतिक-प्रोफेशनल जीवन को आसान करने के लिए, खुद को अपडेट करने के लिए व्यक्ति बहुत तरह के कोर्स या प्रशिक्षण लेता है। ठीक उसी तरह मन के भीतर भी अलग-अलग वक्त पर अलगअलग ट्रेनिंग चलती रहती है। इसका प्रभाव बाहरी जिंदगी, आचार-विचार व व्यवहार पर भी पड़ता है। आत्मज्ञान एक स्किल है। इंसान जब भीतरी व बाहरी दुनिया के बीच तालमेल बिठाने की स्किल सीखता है, तो जीवन में बड़े बदलाव होते हैं।
क्राइसिस में अपनी परख
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