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स्वामी मुकुंदानंद
हम सबकी इच्छा होती है बेहतर होने की। अपने सर्वश्रेष्ठ व्यक्तित्व को जगाने की इच्छा हमारे लिए वैसे ही स्वाभाविक है, जैसे आग के लिए ऊष्मा । हम चाहे जितने भी अच्छे हो जाएँ, एक इच्छा बरकरार रहती है- 'मुझे और सुधार करना है। मैं अभी अपने स्वयं के आदर्श स्वरूप तक नहीं पहुँच सका हूँ।'
हमारे काम में भी विकास की ऐसी ही उत्कंठा हिलोरें मारती है। इसके बावजूद कि हमने जीवन में अब तक क्या-क्या हासिल कर डाला है, अंदर से एक आवाज उठती है, 'मैं अब भी संतुष्ट नहीं हूँ, मैं इससे भी बेहतर करना चाहता हूँ। मैं और बेहतर अभिभावक / बच्चा बनना चाहता हूँ; एक बेहतर पति/पत्नी, एक बेहतर अधिकारी/ कर्मचारी, एक बेहतर शिक्षक / छात्र ।' यह सूची अंतहीन होती है...
हमारी इस लालसा का स्रोत क्या है और यह इस कदर हमारा अभिन्न हिस्सा कैसे है? विकास की उत्कंठा रचनाकार की ओर से खुद आती है। श्रीमद्भगवद्गीता में लिखा है-
ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः। (15.7)
अर्थात् 'इस देह में यह जीवात्मा मेरा ही सनातन अंश है।' प्रकृति के अनुसार, हर अंश अपने अंशी की ओर स्वाभाविक तौर पर आकर्षित होता है। चूँकि हमारा स्रोत ईश्वर है और वह सर्वोत्तम है, अतः हम भी उस ईश्वर के जैसा ही होने की लालसा रखते हैं। हम इसी तरह होने के लिए बनाए गए हैं। हमारी आत्मा की नियति ही पूर्णता है और इसलिए यह हमें और आगे विकास करने के लिए उकसाती रहती है।
अपने चारों ओर हम इस बात के गवाह हैं कि धरती की कोख में प्रकृति कार्बन के विकास को सहेज रही है, जो करोड़ों वर्षों में हीरे के रूप में हमारे सामने आता है। बेहद कम समय में कीचड़ घास में बदल जाता है, जिसे गायें खाती हैं और वह दूध में बदल जाता है। वही दूध आगे चलकर दही में परिवर्तित होता है, जिससे मक्खन निकाला जाता है; और अंततः मक्खन घी में तब्दील हो हो जाता है, जिसे शुद्धता के प्रतीक के तौर पर पवित्र वेदी पर चढ़ाया जाता है।
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इज़रायल-फ़िलिस्तीन संघर्ष और उसकी जटिल सामाजिक-मानवीय परिणतियों का गहन अध्ययन
यह पुस्तक इज़रायल-फ़िलिस्तीन संघर्ष और उसकी जटिल सामाजिक-मानवीय परिणतियों का गहन अध्ययन प्रस्तुत करती है। इसमें कहानियों, कविताओं, साहित्यिक-राजनीतिक लेखों, साक्षात्कारों और टिप्पणियों का संग्रह है जो इस संघर्ष के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हैं।
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'प्रतिदिन दो नई पुस्तकें प्रकाशित कर रहा है प्रभात प्रकाशन'
प्रभात प्रकाशन विभिन्न विधाओं की पुस्तकें प्रकाशित करता है, जैसे-रंगीन बाल साहित्य, प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं-यू.पी.एस.सी., एस.एस.सी., बैंकिंग, रेलवे इत्यादि की पुस्तकें। फिक्शन और नॉन-फिक्शन, जिनमें धन प्रबंधन, शेयर मार्केट, मन शरीर व आत्मा, प्रेरणादायक जीवनियाँ और आत्मकथाएँ, व्यक्तित्व विकास, व्यवसाय, राजनीति आदि की पुस्तकें शामिल हैं। प्रभात प्रकाशन प्रा. लि. के निदेशक, पीयूष कुमार से खास बातचीत....
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महान वक्ता बनने का सूत्र शब्दों का जादू
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