सम संवेदना तक की यात्रा तय कर कल्पना के कोर में हिलोर | भरते हुए यथार्थ के धरातल पर अपने पाँव रखता है तब उसके शब्द मानव मन के आँगन में क्रीड़ा करते हुए मानव हृदय में अपना डेरा डालते हैं। हिंदी साहित्य के इतिहास के पृष्ठों को यदि हम पलट कर देखें तो समय की आवश्यकता के अनुरूप साहित्यकारों ने प्रायः कल्पना की लेखनी में यथार्थ की स्याही भरते हुए मानव जीवन के यथार्थ स्वरूप का वर्णन किया है।
वर्तमान में भी बहुत से साहित्यकारों ने इसी परंपरा के अनुरूप अपनी कृतियों का सृजन किया है।
मुझे भी एक ऐसे उपन्यास को पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ जिसकी कथा कल्पित होते हुए भी वर्तमान परिदृश्यों का यथार्थ चित्रण करती है। इस उपन्यास का शीर्षक है- "बॉयफ्रेंड ऑफ ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी"। युवा लेखक अश्वथ प्रियदर्शी का यह प्रथम उपन्यास राजमंगल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है।
इस उपन्यास के मुख्य पात्र के रूप में है 'हसमुख' जो इक्कीसवी सदी के उन युवाओं का या यूँ कहें कि वाहट्सप्प युगीन उन बॉयफ्रेंडों का प्रतिनिधित्व करता है जो फ़िल्म जगत का अनुकरण करते-करते न प्रेम को ठीक से समझ पाते हैं और न अपने कर्तव्यों का ही उन्हें बोध होता है। उनके इस कर्तव्यविमुखता का प्रभाव उनके पारिवार जनों पर पड़ता है जो अपने बच्चों से ढेरों उम्मीदें लगाते हैं। हसमुख भी लखनऊ के एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से आता है जिससे उसके पिता बार-बार आस लगाते हैं और निराश होते हैं। अपने पिता की इस निराशा को जानकार भी अनजान हसमुख अपने मित्र नटवर के साथ लखनऊ की गलियों में भटकता एक युवती के बाह्य सौंदर्य पर मोहित हो जाता है। यही मोह उसके जीवन की रेलगाड़ी को बनारस की ओर ले जाता है जहाँ हसमुख अपने पिता से मिली फटकार के बाद घर त्याग बनारस में अपने मामा के घर में ठहरता है।
This story is from the March 2023 edition of Samay Patrika.
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इज़रायल-फ़िलिस्तीन संघर्ष और उसकी जटिल सामाजिक-मानवीय परिणतियों का गहन अध्ययन
यह पुस्तक इज़रायल-फ़िलिस्तीन संघर्ष और उसकी जटिल सामाजिक-मानवीय परिणतियों का गहन अध्ययन प्रस्तुत करती है। इसमें कहानियों, कविताओं, साहित्यिक-राजनीतिक लेखों, साक्षात्कारों और टिप्पणियों का संग्रह है जो इस संघर्ष के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हैं।
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