खरीफ में प्याज की उन्नत तकनीकी
Farm and Food|May Second 2023
व्यावसायिक रूप से प्याज की खेती करने के लिए तकरीबन सभी किसान पतझड़ या वसंत के बाद खेत में प्याज की नर्सरी के लिए बीज बोते हैं. प्याज एक महत्त्वपूर्ण सब्जी एवं मसाला फसल है. इस की खेती मुख्यतः रबी सीजन में की जाती है, किंतु रबी प्याज का भंडारण अक्तूबर माह के बाद कठिन हो जाता है, क्योंकि कंद अंकुरित होने लगते हैं.
अंकित गौतम, प्रो. डा. रवि प्रकाश मौर्य, प्रो. रवि सुमन
खरीफ में प्याज की उन्नत तकनीकी

इस अवधि (अक्तूबर से अप्रैल माह) में प्याज की उपलब्धता कम होने के कारण दाम बढ़ जाते हैं. इस के समाधान के लिए खरीफ सीजन में प्याज की खेती कर के प्याज की उपलब्धता बढ़ाई जा सकती है.

भूमि का चयन एवं तैयारी

प्याज की खेती बलुई दोमट एवं दोमट भूमि में अच्छी प्रकार से की जा सकती है. बलुई एवं मटियार भूमि में भी उपयुक्त मात्रा में गोबर की खाद दे कर प्याज सफलतापूर्वक लगाई जा सकती है.

खरीफ में प्याज की खेती के लिए खेत के चयन में सावधानी रखें. चयनित भूमि में जल निकास की सुविधा हो एवं वर्षा का पानी खेत में जमा न होने पाए. प्याज की खेती 5.8 से 6.5 पीएच मान वाली भूमि में सर्वोत्तम होती है. भूमि को ग्रीष्म ऋतु में गहरी जुताई करने के बाद रोपाई करने के लिए 2-3 बार कल्टीवेटर चला कर भुरभुरा बना लेना चाहिए.

किस्मों का चयन 

खरीफ में बोने के लिए एग्रीफाउंड डार्क रैड, एन-53, अर्का कल्याण, अर्का प्रगति, भीमा सुपर इत्यादि किस्मों की अनुशंसा की जाती है. खरीफ प्याज की किस्में रोपाई के 100-110 दिनों में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है एवं इस का औसत उत्पादन 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता है.

बोआई का समय

नर्सरी में पौध तैयार करने के लिए बोआई 15-30 जून तक करना अति आवश्यक है. इस के बाद बोआई करने पर कंद का उत्पादन प्रभावित होता है.

नर्सरी तैयार करना

पौध तैयार करना प्याज की खेती में महत्त्वपूर्ण काम है नर्सरी के लिए उपजाऊ उपयुक्त जल निकास एवं सिंचाई की सुविधायुक्त भूमि का चयन करना चाहिए.

एक हेक्टेयर में प्याज की खेती के लिए 7.5 मीटर लंबी, एक मीटर चौड़ी और जमीन से 15 सैंटीमीटर ऊंची बनाई गई 25 नर्सरी बैड पर्याप्त होती हैं. प्रत्येक तैयार नर्सरी बैड में 40-50 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद और आधा किलोग्राम एनपीके खाद मिलानी चाहिए.

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