![मैदानी इलाकों में आलू की उन्नत खेती](https://cdn.magzter.com/1400326928/1702617914/articles/g405u7mx31702895979544/1702896476635.jpg)
आलू सब्जी वाली फसल है. इस की खेती रबी या शरद मौसम में की जाती है. इस की उपज के क्षमता समय अनुसार सभी फसलों से ज्यादा है, इसीलिए इस को 'अकालनाशक फसल' भी कहते हैं. इस का प्रत्येक कंद पोषक तत्त्वों का भंडार है, जो बच्चों से ले कर बड़ों तक के शरीर का पोषण करता है.
भारत में मूल रूप से आलू की खेती प्रारंभिक अवस्था में पहाड़ी इलाकों में की जाती थी. आलू के स्वाद एवं पौष्टिकता ने स्थानीय किसानों को आकर्षित किया और धीरेधीरे आलू की खेती का विस्तार मैदानी इलाकों में भी अक्तूबर से मार्च माह तक होने लगा.
हमारे देश में आलू मुख्य रूप से सर्दियों के मौसम में उगाया जाता है. आलू की फसल तैयार होने की कम अवधि के कारण इसे आसानी से 2 फसलों के बीच में किया जा सकता है, जिस से फसल सघनता भी प्रभावित नहीं होती है. समान हालात में दूसरी फसलों की तुलना में आलू की खेती से प्रति इकाई क्षेत्रफल व समय में अधिक लाभ प्राप्त होता है. बढ़ती आबादी के लिए भोजन के साथसाथ आलू की खेती गांवों में रोजगार के अवसर का भी महत्त्वपूर्ण विकल्प हो सकता है.
खेत का चुनाव
आलू उगाने के लिए समतल खेत का चुनाव करना चाहिए. किसी भी दशा में खेत का ढलान 0.5 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए. जहां तक संभव हो, आलू उन खेतों में न लगाएं, जहां पिछले साल आलू की फसल ली गई हो. फसल को अदलबदल कर लगाने से मिट्टी से पैदा होने वाली आलू की बीमारियां जैसे काली रूसी, मृदु गलन, शुष्क गलन, भूरा गलन, साधारण चूर्णी खुरंड (स्कैब), जीवाणु मुरझान और मूलग्रंथि सूत्रकृमि आदि से छुटकारा पाया जा सकता है.
मिट्टी का चुनाव
बलुई दोमट मिट्टी, जिस में जल निकासी का उचित प्रबंध हो, आलू के उत्पादन के लिए बेहतर है. अगर खाद और पानी की उचित व्यवस्था हो, तो बलुई मिट्टी में भी आलू उगाया जा सकता है. भारी मिट्टी आलू की खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती है.
ग्रीष्मकालीन जुताई और हरी खाद
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![स्वाद का खजाना आम कलाकंद](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/ftjdpDP-u1718696255527/1718696374094.jpg)
स्वाद का खजाना आम कलाकंद
आम को यों ही फलों का राजा नहीं कहा जाता है, बल्कि इस की खूबियां और अलगअलग तरह के रंग, रूप और लाजवाब जायका इसे फलों के राजा का खिताब दिलाता है.
![राजस्थान की रेत में बागबानी से लखपति बनी महिला किसान संतोष देवी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/6JS8voxEi1718695666493/1718696221227.jpg)
राजस्थान की रेत में बागबानी से लखपति बनी महिला किसान संतोष देवी
हमारे देश में महिला किसानों और खेत में काम करने वाली महिलाओं की संख्या पर अगर गौर करें, तो इन की कुल संख्या 84 फीसदी है. लेकिन मुख्य धारा की मीडिया में इन महिला किसानों की चर्चा बहुत कम होती है या कह लिया जाए कि न के बराबर होती है, जबकि देश में मुट्ठीभर बिजनैस वुमन की खबरें अकसर मीडिया के जरीए हम लोगों के सामने आती रहती हैं.
![जून महीने में खेतीकिसानी के काम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/BciAaXsop1718695442091/1718695664784.jpg)
जून महीने में खेतीकिसानी के काम
जून का महीना खेती के लिहाज से खासा अहम है. खरीफ फसलों को बोने के साथसाथ जानवरों का खास खयाल रखना जरूरी हो जाता है.
![ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई खेती के लिए लाभकारी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/uubyp2FCV1718695246977/1718695438069.jpg)
ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई खेती के लिए लाभकारी
ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई से खेतों की उर्वराशक्ति, जल संवर्धन में वृद्धि एवं कीटों व रोगों के आक्रमण में भी कमी आती है.
!['नवोन्मेषी किसान सम्मेलन' का आयोजन](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/b5xUQYzaY1718695089085/1718695244231.jpg)
'नवोन्मेषी किसान सम्मेलन' का आयोजन
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली
![धान की खेती में महिलाओं के लिए सस्ते सुलभ कृषि यंत्र](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/2wzy0EhyV1718694927530/1718695087369.jpg)
धान की खेती में महिलाओं के लिए सस्ते सुलभ कृषि यंत्र
जिन किसानों के पास खेती की कम जमीन है और वे उस पर धान की खेती करना चाहते हैं, उन के लिए धान की बोआई व रोपाई के ये दोनों यंत्र खासा मददगार हो सकते हैं, खासकर महिलाओं को ध्यान में रख कर इन यंत्रों को संस्थान ने बनाया है.
![खेती के विकास में स्मार्ट तकनीक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/htiCw-WSi1718694609124/1718694925210.jpg)
खेती के विकास में स्मार्ट तकनीक
स्मार्ट खेती, वैज्ञानिक भाषा में परिशुद्ध या सटीक कृषि या प्रिसिजन फार्मिंग कहलाती है, जिस में उत्पादन क्षमता और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मौजूद कृषि पद्धतियों में उन्नत प्रौद्योगिकियों का एकीकरण किया जाता है. अतिरिक्त लाभ के रूप में किसानों के भारी श्रम और ज्यादा मेहनत वाले कामों को कम कर के उन के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है.
![बांस एक फायदे अनेक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/yKtbMs1W51718694486000/1718694607856.jpg)
बांस एक फायदे अनेक
बांस की बांसुरी से तो हम सब ही परिचित हैं. बांस को लोग आमतौर पर लकड़ी मान लेते हैं. बांस एक तरह की विशेष घास है. आज यह मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो रही है.
![मूंगफली की खेती](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/DpZwOkZXn1718694321141/1718694469983.jpg)
मूंगफली की खेती
भारत में मूंगफली के उत्पादन का तकरीबन 75 से 85 फीसदी हिस्सा तेल के रूप में इस्तेमाल होता है. खरीफ और जायद दोनों मौसमों में इस की खेती की जाती है. जायद के समय जहां पर ज्यादा बारिश होती है, वहां पर भी मूंगफली की खेती की जा सकती है. इस के लिए शुष्क जलवायु की जरूरत होती है.
![पावर टिलर: खेती के करे कई काम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/Gv6XrN47w1718694099126/1718694319432.jpg)
पावर टिलर: खेती के करे कई काम
समय के साथ-साथ खेती करने के तरीकों में बदलाव आया है. अब ज्यादातर छोटेबड़े सभी किसान अपनी जरूरत के मुताबिक कृषि यंत्रों का इस्तेमाल करने लगे हैं.