खेती की पैदावार बढ़ाते जैव उर्वरक
Farm and Food|April Second 2024
खेत में रासायनिक खाद के अंधाधुंध इस्तेमाल से हमारी खेती की जमीन में जीवांश की मात्रा घटने से उस की उपजाऊ शक्ति घटती जाती है. बायोफर्टिलाइजर से काफी हद तक इस को नियंत्रित किया जा सकता है.
डा. आरएस सेंगर, कृशानु, आकांक्षा सिंह, कुशाग्र यादव एवं शालिनी गुप्ता
खेती की पैदावार बढ़ाते जैव उर्वरक

मिट्टी में लगातार रसायनों के छिड़काव और रासायनिक उर्वरकों की बढ़ती मांग ने पर्यावरण को प्रदूषित करने के मिट्टी की साथसाथ उपजाऊशक्ति को भी घटाया है. इन रसायनों के प्रभाव से मिट्टी को उर्वरकता प्रदान करने वाले सूक्ष्म जीवों की संख्या में अत्यधिक कमी हो गई है. जैसे कि, हवा से नाइट्रोजन खींच कर जमीन में स्थिरीकरण करने वाले जीवाणु राइजोबियम, एजोटोबैक्टर, एजोस्पिरिलम, फास्फेट व पोटाश घुलनशील जीवाणु आदि, इसलिए मिट्टी में इन जीवाणुओं की संख्या बढ़ाने के लिए इन के कल्चर का उपयोग जैविक खादों के साथ मिला कर किया जाता है.

जैव उर्वरक या बायोफर्टिलाइजर को जीवाणु खाद भी कहते हैं. बायोफर्टिलाइजर एक जीवित उर्वरक है, जिस में सूक्ष्म जीव मौजूद होते हैं. इसे फसलों में इस्तेमाल करने से वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन पौधों को अमोनिया के रूप में आसानी से उपलब्ध हो जाती है.

पोषक तत्त्वों की कमी को पूरा करने और रासायनिक खादों के प्रभाव को दूर करने के लिए वैज्ञानिकों ने प्रकृति प्रदत्त जीवाणुओं को पहचान कर उन से विभिन्न प्रकार के पर्यावरण हितैषी जैव उर्वरक तैयार किए हैं.

जैव उर्वरक के प्रकार

राइजोबियम: यह जैव उर्वरक मुख्य रूप से सभी तिलहनी और दलहनी फसलों में सहजीवी के रूप में रह कर पौधों को नाइट्रोजन की पूर्ति करता है. राइजोबियम को बीजों के साथ मिश्रित करने के बाद बोआई करने पर जीवाणु जड़ों में प्रवेश कर के छोटीछोटी गांठें बना लेते हैं. इन गांठों में जीवाणु बहुत अधिक मात्रा में रहते हुए प्राकृतिक नाइट्रोजन को वायुमंडल से ले कर पोषक तत्त्वों में परिवर्तित कर पौधों को मुहैया कराते हैं.

पौधों की जितनी अधिक गांठें होती हैं, वह उतना ही स्वस्थ होता है. इस का उपयोग दलहनी और तिलहनी फसलों जैसे चना, मूंग, उड़द, अरहर, मटर, सोयाबीन, सेम, मसूर, मूंगफली आदि में किया जाता है.

This story is from the April Second 2024 edition of Farm and Food.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

This story is from the April Second 2024 edition of Farm and Food.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

MORE STORIES FROM FARM AND FOODView All
कचरे के पहाड़ों पर खेती कमाई की तकनीक
Farm and Food

कचरे के पहाड़ों पर खेती कमाई की तकनीक

वर्तमान में कचरा एक गंभीर वैश्विक समस्या बन कर उभरा है. भारत की बात करें, तो साल 2023 में पर्यावरण की स्थिति पर जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में प्रतिदिन तकरीबन डेढ़ करोड़ टन ठोस कचरा पैदा हो रहा है, जिस में से केवल एकतिहाई से भी कम कचरे का ठीक से निष्पादन हो पाता है. बचे कचरे को खुली जगहों पर ढेर लगाते हैं, जिसे कचरे की लैंडफिलिंग कहते हैं.

time-read
4 mins  |
December 2024
सर्दी की फसल शलजम
Farm and Food

सर्दी की फसल शलजम

कम समय में तैयार होने वाली फसल शलजम है. इसे खास देखभाल की जरूरत नहीं होती है और किसान को क मुनाफा भी ज्यादा मिलता है. शलजम जड़ वाली हरी फसल है. इसे ठंडे मौसम में हरी सब्जी के रूप उगाया व इस्तेमाल किया जाता है. शलजम का बड़ा साइज होने पर इस का अचार भी बनाया जाता है.

time-read
2 mins  |
December 2024
राममूर्ति मिश्र : वकालत का पेशा छोड़ जैविक खेती से तरक्की करता किसान
Farm and Food

राममूर्ति मिश्र : वकालत का पेशा छोड़ जैविक खेती से तरक्की करता किसान

हाल के सालों में किसानों ने अंधाधुंध रासायनिक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग कर धरती का खूब दोहन किया है. जमीन से अत्यधिक उत्पादन लेने की होड़ के चलते खेतों की उत्पादन कूवत लगातार घट रही है, क्योंकि रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग के चलते मिट्टी में कार्बांश की मात्र बेहद कम हो गई है, वहीं सेहत के नजरिए से भी रासायनिक उर्वरकों से पैदा किए जाने वाले अनाज और फलसब्जियां नुकसानदेह साबित हो रहे हैं.

time-read
6 mins  |
December 2024
करें पपीते की वैज्ञानिक खेती
Farm and Food

करें पपीते की वैज्ञानिक खेती

पपीता एक महत्त्वपूर्ण फल है. हमारे देश में इस का उत्पादन पूरे साल किया जा सकता है. पपीते की खेती के लिए मुख्य रूप से जाना जाने वाला प्रदेश झारखंड है. यहां उचित जलवायु मिलने के कारण पपीते की अनेक किस्में तैयार की गई हैं.

time-read
10+ mins  |
December 2024
दिसंबर महीने के जरुरी काम
Farm and Food

दिसंबर महीने के जरुरी काम

आमतौर पर किसान नवंबर महीने में ही गेहूं की बोआई का काम खत्म कर देते हैं, मगर किसी वजह से गेहूं की बोआई न हो पाई हो, तो उसे दिसंबर महीने के दूसरे हफ्ते तक जरूर निबटा दें.

time-read
3 mins  |
December 2024
चने की खेती और उपज बढाने के तरीके
Farm and Food

चने की खेती और उपज बढाने के तरीके

भारत में बड़े पैमाने पर चने की खेती होती है. चना दलहनी फसल है. यह फसल प्रोटीन, फाइबर और विभिन्न विटामिनों के साथसाथ मिनरलों का स्त्रोत होती है, जो इसे एक पौष्टिक आहार बनाती है.

time-read
6 mins  |
December 2024
रोटावेटर से जुताई
Farm and Food

रोटावेटर से जुताई

आजकल खेती में नएनए यंत्र आ रहे हैं. रोटावेटर ट्रैक्टर से चलने वाला जुताई का एक खास यंत्र है, जो दूसरे यंत्रों की 4-5 जुताई के बराबर अपनी एक ही जुताई से खेत को भुरभरा बना कर खेती योग्य बना देता है.

time-read
2 mins  |
December 2024
आलू खुदाई करने वाला खालसा पोटैटो डिगर
Farm and Food

आलू खुदाई करने वाला खालसा पोटैटो डिगर

खालसा डिगर आवश्यक जनशक्ति और समय बचाता है. इस डिगर को जड़ वाली फसलों की खुदाई के लिए डिजाइन किया गया है. इस का गियर बौक्स में गुणवत्तापूर्ण पुरजों का इस्तेमाल किया गया है, जो लंबे समय तक साथ देने का वादा करते हैं.

time-read
2 mins  |
December 2024
कृषि एवं कौशल विकास से ही आत्मनिर्भर भारत बन सकेगा
Farm and Food

कृषि एवं कौशल विकास से ही आत्मनिर्भर भारत बन सकेगा

बातचीत : गौतम टेंटवाल, कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री, मध्य प्रदेश

time-read
3 mins  |
December 2024
गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के प्रभावी उपाय
Farm and Food

गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के प्रभावी उपाय

खरपतवार ऐसे पौधों को कहते हैं, जो बिना बोआई के ही खेतों में उग आते हैं और बोई गई फसलों को कई तरह से नुकसान पहुंचाते हैं. मुख्यतः खरपतवार फसलीय पौधों से पोषक तत्त्व, नमी, स्थान यानी जगह और रोशनी के लिए होड़ करते हैं. इस से फसल के उत्पादन में कमी होती है.

time-read
3 mins  |
December 2024