![आम की बौनी, रंगीन और व्यावसायिक किस्में](https://cdn.magzter.com/1400326928/1715602238/articles/EMJGL93D21715607769618/1715608264938.jpg)
भारत अकेला एक ऐसा देश है, जो दुनिया का तकरीबन 45 फीसदी आम अकेले पैदा करता है. देश में आम की कुछ ऐसी उन्नत और खास किस्में भी हैं, जो अपने रंग, रूप और विशिष्ट स्वाद के लिए पूरी दुनिया में खास पहचान रखती हैं, इसीलिए इन किस्मों की मांग दुनिया के कई देशों में है.
अगर किसान अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं, तो उन के लिए आम की बागबानी एक सफल जरीया बन सकती है. बीते सालों में देश में आम की कुछ ऐसी उन्नत किस्में विकसित किए जाने में कामयाबी पाई गई है, जो परंपरागत किस्मों की अपेक्षा ऊंचाई में बहुत कम होने के साथ ही कम जगह भी घेरती हैं.
इस के अलावा इन का विशेष रंग, रूप, स्वाद और पोषक गुण भी इन्हें खास बनाता है. इस के चलते इन किस्मों का बाजार रेट भी बहुत अच्छा मिलता है. इन में से कुछ किस्में तो ऐसी हैं, जो किलो के रेट से न बिक कर पीस के हिसाब से बिकती हैं.
देश में आम की उत्पादकता बढ़ाने के लिए बीते सालों में सघन बागबानी के तहत कम ऊंचाई वाली बौनी और कम फैलाव वाली किस्मों की बागबानी को बढ़ावा दिया जा रहा है.
आम की पारंपरिक किस्मों की रोपाई जहां पौध से पौध और लाइन से लाइन की दूरी 10 मीटर से 12 मीटर तक रखी जाती रही है, वहीं नवीन किस्मों को लाइन से लाइन और पौध से पौध की दूरी 2.5 मीटर से ले कर 3 मीटर, 4 मीटर और 5 मीटर पर भी रोपाई की जाने लगी है.
कम दूरी पर की जाने वाली बागबानी को ही सघन बागबानी की श्रेणी में रखा जाता है. इस विधि से कम जगह में किसान आम के अधिक पौधों की रोपाई कर सकते हैं. इस से उन्हें कम जगह में अधिक उत्पादन प्राप्त हो जाता है.
कई तरह के लाभ
आम की बौनी और कम फैलाव वाली इन किस्मों की खेती से किसानों को कई तरह के लाभ मिल जाते हैं. इन किस्मों के बीच किसान दूसरी तरह की फसलों की खेती सहफसली के रूप में कर सकते हैं.
आम की बौनी किस्मों से पौध रोपण के तीसरे साल से ही व्यावसायिक उत्पादन लिया जा सकता है. इन में कीट और बीमारियों की रोकथाम के लिए आसानी से कुछ उपायों को अपना सकते हैं. पेड़ की लंबाई अधिक न होने से सभी फलों की बैगिंग कर सकते हैं. साथ ही, फलों की तुड़ाई आसानी से की जा सकती है.
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![स्वाद का खजाना आम कलाकंद](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/ftjdpDP-u1718696255527/1718696374094.jpg)
स्वाद का खजाना आम कलाकंद
आम को यों ही फलों का राजा नहीं कहा जाता है, बल्कि इस की खूबियां और अलगअलग तरह के रंग, रूप और लाजवाब जायका इसे फलों के राजा का खिताब दिलाता है.
![राजस्थान की रेत में बागबानी से लखपति बनी महिला किसान संतोष देवी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/6JS8voxEi1718695666493/1718696221227.jpg)
राजस्थान की रेत में बागबानी से लखपति बनी महिला किसान संतोष देवी
हमारे देश में महिला किसानों और खेत में काम करने वाली महिलाओं की संख्या पर अगर गौर करें, तो इन की कुल संख्या 84 फीसदी है. लेकिन मुख्य धारा की मीडिया में इन महिला किसानों की चर्चा बहुत कम होती है या कह लिया जाए कि न के बराबर होती है, जबकि देश में मुट्ठीभर बिजनैस वुमन की खबरें अकसर मीडिया के जरीए हम लोगों के सामने आती रहती हैं.
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जून महीने में खेतीकिसानी के काम
जून का महीना खेती के लिहाज से खासा अहम है. खरीफ फसलों को बोने के साथसाथ जानवरों का खास खयाल रखना जरूरी हो जाता है.
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ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई खेती के लिए लाभकारी
ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई से खेतों की उर्वराशक्ति, जल संवर्धन में वृद्धि एवं कीटों व रोगों के आक्रमण में भी कमी आती है.
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'नवोन्मेषी किसान सम्मेलन' का आयोजन
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली
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धान की खेती में महिलाओं के लिए सस्ते सुलभ कृषि यंत्र
जिन किसानों के पास खेती की कम जमीन है और वे उस पर धान की खेती करना चाहते हैं, उन के लिए धान की बोआई व रोपाई के ये दोनों यंत्र खासा मददगार हो सकते हैं, खासकर महिलाओं को ध्यान में रख कर इन यंत्रों को संस्थान ने बनाया है.
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खेती के विकास में स्मार्ट तकनीक
स्मार्ट खेती, वैज्ञानिक भाषा में परिशुद्ध या सटीक कृषि या प्रिसिजन फार्मिंग कहलाती है, जिस में उत्पादन क्षमता और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मौजूद कृषि पद्धतियों में उन्नत प्रौद्योगिकियों का एकीकरण किया जाता है. अतिरिक्त लाभ के रूप में किसानों के भारी श्रम और ज्यादा मेहनत वाले कामों को कम कर के उन के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है.
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बांस एक फायदे अनेक
बांस की बांसुरी से तो हम सब ही परिचित हैं. बांस को लोग आमतौर पर लकड़ी मान लेते हैं. बांस एक तरह की विशेष घास है. आज यह मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो रही है.
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मूंगफली की खेती
भारत में मूंगफली के उत्पादन का तकरीबन 75 से 85 फीसदी हिस्सा तेल के रूप में इस्तेमाल होता है. खरीफ और जायद दोनों मौसमों में इस की खेती की जाती है. जायद के समय जहां पर ज्यादा बारिश होती है, वहां पर भी मूंगफली की खेती की जा सकती है. इस के लिए शुष्क जलवायु की जरूरत होती है.
![पावर टिलर: खेती के करे कई काम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6498/1736096/Gv6XrN47w1718694099126/1718694319432.jpg)
पावर टिलर: खेती के करे कई काम
समय के साथ-साथ खेती करने के तरीकों में बदलाव आया है. अब ज्यादातर छोटेबड़े सभी किसान अपनी जरूरत के मुताबिक कृषि यंत्रों का इस्तेमाल करने लगे हैं.