बच्चे हों या बड़े सभी त्योहारों के मौसम के हर रंग, हर स्वाद का भरपूर लुत्फ उठाना चाहते हैं। पर त्योहारों की भागादौड़ी में अक्सर माता-पिता बच्चों को नजरअंदाज कर देते हैं। कई बार तो यह लापरवाही बेहद खतरनाक साबित हो जाती है, जिसका खामियाजा उन्हें पूरी जिंदगी भुगतना पड़ता है। ऐसे में बेहद जरूरी है कि त्योहार के समय बच्चों के प्रति ज्यादा सचेत हो जाएं वो कैसे? आइए जानें -
समस्या नंबर-1 : अक्सर हम त्योहार के समय घर में तरह-तरह के व्यंजन बनाते हैं और बाजार से भी ढेरों मिठाइयां लाई जाती हैं। खासकर बच्चों को तो इस दौरान खूब सारी मिठाई और चॉकलेट खाने का मौका मिल जाता है। त्योहारों के व्यंजन में तेल, कैलोरी, सेचुरेटिड फैट और कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा काफी अधिक होती है इसलिए बच्चों को इन व्यंजन की बस थोड़ी सी ही मात्रा देनी चाहिए क्योंकि आजकल बाजार में मिलने वाली ज्यादातर मिठाईयों में मिलावटी खोया होता है। इस मिलावटी खोये की मिठाई खाने से बच्चों की आंतों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि बच्चों का इम्यून सिस्टम मजबूत नहीं होता, जिससे उन्हें डाइरिया, पेट दर्द, आंत में खिचाव आदि परेशानियां उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है।
उपाय : ऐसे समय में कोशिश करें कि उन्हें मिठाई, वसायुक्त भोजन से बच्चों को दूर रखें, फास्ट फूड्स के जगह फल-फ्रूट्स, जूस और ड्राईफ्रूट बेहतर विकल्प है।
This story is from the October 2022 edition of Sadhana Path.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the October 2022 edition of Sadhana Path.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया
सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जाल में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी फंसते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया में ज़्यादा व्यस्त रहने की वजह से वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।
सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
अच्छे खाने का शौकीन भला कौन नहीं होता है। खाना अगर स्वाद के साथ सेहतमंद भी हो तो बात ही क्या है। सवाल ये उठता है कि अपनी पसंदीदा खाद्य सामग्रियों का सेवन करके फिट कैसे रहा जाए?
लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-
योगा सीखो सिखाओ और बन जाओ लखपति
हमारे पास पैसे नहीं और ललक है लखपति बनने की, ऐसी चाह वाले व्यक्ति को हरदम लगेगा कि कैसे हम बनेंगे पैसे वाले। किंतु यकीन मानिए कि आप निश्चित रूप से लखपति बन सकते हैं केवल योगा का प्रशिक्षण लेकर और योगा सिखाने से ही।