शिष्य धर्म की स्थापना
जब श्रीराम विद्या ग्रहण करके अयोध्या वापस आ गए तब ब्रह्मर्षि विश्वामित्र अयोध्या पधारे। उन्होंने दशरथ को बताया कि उनके आश्रम पर आए दिन राक्षसों का आक्रमण होता रहता है जिससे उन्हें यज्ञ आदि करने में बाधा हो रही है। अतः वे श्रीराम को उनके साथ चलने की आज्ञा दें। तब दशरथ ने कुछ आनाकानी करने के बाद श्रीराम को उनके साथ चलने की आज्ञा दे दी। लक्ष्मण हमेशा अपने भाई श्रीराम के साथ ही रहते थे इसलिये वे भी उनके साथ गए। वहां जाकर श्रीराम ने अपने गुरु विश्वामित्र के आदेश पर आश्रम पर आए संकट को दूर किया। इस प्रकार श्री रामचंद्र जी ने गुरु की आज्ञा के पालन का आदर्श कायम किया।
पुत्र धर्म की स्थापना
माता कैकई के कहने पर जब पिता ने वनवास की आज्ञा सुनाई तब वह उतने ही सहज व स्नेह भाव से वन की ओर निकल पड़े। उनके मन में पिता और माता के प्रति आदर में किंचित भी अंतर नहीं आया।
भ्राता धर्म का पालन
वे न केवल आदर्श पुत्र बल्कि एक आदर्श भाई भी थे जिन्होंने लक्ष्मण को सदा साथ रखा तथा भरत व शत्रुघ्न से भी अगाध स्नेह करते रहे।
पति-पत्नी के आदर्शों की स्थापना
उन दिनों मुख्यतया एक राजा की कई पत्नियां हुआ करती थी। स्वयं श्रीराम के पिता दशरथ की तीन पत्नियां थी किंतु श्रीराम ने सीता को वचन दिया कि वे आजीवन किसी पराई स्त्री के बारे में सोचेंगे तक नहीं। जीवनभर केवल और केवल सीता ही उनकी धर्मपत्नी रहीं। इस प्रकार उन्होंने एक पति-पत्नी के आदर्शों को स्थापित किया।
राजधर्म की स्थापना
अयोध्या की प्रजा श्रीराम के द्वारा माता सीता का त्याग चाहती थी। यह सुनकर श्रीराम का मन व्यथित हो उठा तथा उन्होंने अपनी पत्नी सीता से विचार-विमर्श किया। अंत में यह निर्णय लिया गया कि श्रीराम माता सीता का त्याग कर देंगे व माता सीता वन में जाकर निवास करेंगी। इससे श्रीराम ने राजधर्म की शिक्षा दी। राजधर्म की स्थापना हेतु श्रीराम ने सीता का त्याग कर दिया। सीता वन में चली गयी मगर वह भी उनकी ही भांति राजमहल की सभी राजसी वस्तुओं का त्याग कर भूमि पर सोते थे।
श्रीराम का लव-कुश से मिलन
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सर्दियों में भी रखें वास्तु का ख्याल
सर्दी के इस मौसम में कुछ वास्तु उपाय करके आप सकारात्मक परिणाम प्राप्त कर सकते हैं कौन से हैं वो उपाय आइए लेख के माध्यम से जानें?
विश्व का महापर्व नववर्ष
विश्व के सभी देशों की अपनी अलग परंपराएं और पर्व होते हैं। किन्तु नववर्ष एक ऐसा पर्व है जो सभी देशों द्वारा एक साथ मनाया जाता है। भले ही इस पर्व को मनाने के तरीके अलग हों।
हम नित्य नवीन हों
जीवन में नवीनता का अर्थ क्या है नित्य नवीनता, नित्यनूतन सकारात्मकता। उस परमात्मा के उद्देश्य को पूर्ण करना जिसने बड़े प्रेम से सृष्टि और मनुष्य की रचना की है, इस शरीर में सब कुछ होते हुए भी प्राण निकलने पर इस शरीर में दुर्गंध आने लगती है। अगर हम एक पेंटिंग बनाते हैं तो हम कितने खुश होते हैं यदि कोई पेंटिंग खराब कर दे तो हमें कितना बुरा लगता है। हम सब ईश्वर की बनाई हुई एक सुन्दर कृति हैं हम जब बुरे कर्म करते हैं तो उस परमेश्वर को कितना दुख होता होगा, नवीन हम तभी बनेंगे जब हम नकारात्मक विचार त्यागेंगे और जीवन के सकारात्मक उद्देश्य को आत्मसात करेंगे। महात्मागांधी ने कहा है -
सामाजिक आदर्श का प्रतीक बने कुम्भ मेला
स्नान, दान का महापर्व कुम्भ आस्था का ऐसा मेला है जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु जन पहुंचते हैं। मेला किन अर्थों में महत्त्वपूर्ण व किस प्रकार सामाजिक आदर्श का प्रतीक बन सकता है। आइए जानते हैं लेख से।
हिन्दू ग्रंथों में महाकुम्भ
महाकुम्भ की महिमा का गुणगान हमारे धर्मग्रंथों में भी मिलता है। महाकुम्भ पर क्या कहते हैं हमारे धर्म ग्रंथ व कुम्भ में स्नान के महत्त्व को? आइए जानते हैं लेख से
जीवनशैली में बदलाव लाकर बनाएं पैन्क्रियाज को सेहतमंद
पाचन संबंधी परेशानियां हैं तो पेट से संबंधित कोई भी छोटी-सी समस्या को न करें नजरअंदाज, ऐसा न हो कि पैन्क्रियाटाइटिस या पैन्क्रियाटिक कैंसर जैसे रोग का करना पड़े सामना। सावधान रहें, स्वच्छ और पौष्टिक आहार को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
शरीर ही बताए अच्छी सेहत का राज
अब आपके दिमाग में सवाल उठेगा कि हमारी मानसिक और शारीरिक सेहत अच्छी है, इसका पता कैसे लगे? तो बता दें कि यह जानने के लिए आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है। आपका शरीर खुद ही बताएगा कि आप आंतरिक रूप से स्वस्थ हैं कि नहीं। इन 11 लक्षणों से जानें, जो सेहतमंद होने की निशानी है।
सर्दी का मौसम व बच्चों की देखभाल ऐसे करें
सर्दियां शुरू हुई नहीं कि माएं अपने नन्हे-मुन्नों को सिर से पैर तक ऊनी कपड़ों से ढंक देती हैं ताकि उनके नवजात शिशुओं को कहीं से भी ठंड अपनी चपेट में ना ले सके। ऊनी कपड़ों के अलावा कुछ उपाय भी हैं, जिनसे आपके शिशु ठंड में भी राहत की सांस ले सकते हैं।
महीनों और मौसम के साथ बदलता मिज़ाज
साल के 12 महीनों में सिर्फ कैलेंडर के पेज ही नहीं बदलते बल्कि हर महीने के अनुसार हमारा मूड भी बदलता रहता है। तो चलिए जानते हैं क्यों और कैसे बदल जाता है हर मौसम के हिसाब से मूड...
डिटॉक्स वॉटर से कम करें वजन
पानी का स्वाद और पोषण बढ़ाने के लिए उसमें कई तरह के फलों और सब्जियों को मिलाकर डिटॉक्स वॉटर बनाया जाता है। ये वॉटर आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के साथ वजन भी नियंत्रित करता है।