स्वभाव से भी कंवल...
Aha Zindagi|November 2024
उनकी तमन्ना छोटे शहर से निकलकर कुछ बड़ा करने की थी। वे पायलट बनना चाहते थे, पर बनते-बनते रह गए। उन्हें यूं तो अभिनय का कोई शौक नहीं था, लेकिन कुछ अलग और विशेष करने की धुन में एफटीआईआई के एक्टिंग कोर्स का फॉर्म चुपचाप भर दिया और क़िस्मत देखिए वे वहां पहली बार में ही चुन लिए गए। लंबे क़द और सुदर्शन व्यक्तित्व के मालिक इस युवा को तुरंत ही बड़े-बड़े बैनर की फिल्में भी मिलीं। फिर जब बड़े पर्दे पर मन मुताबिक़ काम नहीं मिला तो उत्साह से भरे इस अदाकार ने टीवी का रुख किया और बुनियाद, फ़रमान, दरार, फैमिली नंबर 1, सांस जैसे धारावाहिकों से ऐसी सफलता पाई कि घर-घर पहचाने जाने लगे। पंजाबी फिल्मों की कामयाबी भी उनके उल्लेख के बिना अधूरी है। 55 वर्षों से परदे की दुनिया पर सक्रिय और 50 से ज़्यादा फिल्में और 25 से ज़्यादा टीवी सीरियल कर चुके जेंटलमैन अभिनेता कंवलजीत सिंह हैं इस बार हमारे अहा अतिथि....
डॉ. अजय कुमार शर्मा
स्वभाव से भी कंवल...

आसमान न मिला, पर सितारा बने

कंवलजीत वायुसेना में जाकर लड़ाकू विमान उड़ाना चाहते थे। उनका यह स्वप्न तो पूरा न हुआ, परंतु नियति ने इस सुदर्शन युवा को रुपहले पर्दे का सितारा बना दिया।

मेरा जन्म कानपुर में 19 सितंबर को एक सिख परिवार में हुआ। कानपुर मेरी ननिहाल है। मैं परिवार में सबसे छोटा हूं। मुझसे बड़े मेरे दो भाई हैं। पिता एलआईसी में अधिकारी थे तो उत्तर प्रदेश में अलग-अलग जगह उनके तबादले होते रहते थे। देहरादून, लखनऊ, झांसी, आगरा। लेकिन मैं सहारनपुर को अपना मानता हूं। मैं यहां किशोर हुआ। बहुत-से सपने देखे और कुछ पूरे भी हुए।

मेरे नाम का भी अजब क़िस्सा है। आगरा की बात है। पापा जी रॉयल एनफील्ड मोटर साइकिल पर मुझे बिठाकर स्कूल में दाखिले के लिए ले जा रहे थे तब पापा ने मम्मी से पूछा कि इसका क्या नाम रखें तो मम्मी ने कह दिया- वहीं स्कूल का रजिस्टर देख लेना और जो सरदार वाला नाम सही लगे लिखा देना । पापा मुझे लेकर चल दिए। अभी कुछ दूर ही पहुंचे थे कि उन्हें कुछ याद आया और वे वापस घर की तरफ़ मुड़ गए। मम्मी घर के बाहर ही कपड़े धो रही थीं। वहीं दूर से बोले- रानी, इसका कंवलजीत नाम कैसा रहेगा? मम्मी ने हंसते हुए कहा- ठीक रहेगा। इस तरह मैं कंवलजीत सिंह हो गया। बचपन में मुझे सब 'कुक्कू' बुलाते थे।

सहारनपुर के एसडी कॉलेज से मैंने इंटर किया। फिर बीए के लिए जैन कॉलेज में प्रवेश लिया। मसूरी के बोर्डिंग स्कूल सेंट जॉर्ज में भी पढ़ा। मसूरी के मेरे अधिकतर दोस्त आर्मी में गए । मैंने भी एनडीए के लिए परीक्षा दी और पास होता चला गया। मुझे वायुसेना में जाना था। पायलट बनना था सब टेस्ट पास करने के बाद आख़िर में मेडिकल हुआ। तब पता चला कि मुझे सीधे कान से कम सुनाई देता है। मुझे कहा गया कि आप डेस्क वर्क कर सकते हैं, फ्लाइंग नहीं। मुझे लगा कि क्या फ़ायदा! वैसे, कान कुछ समय बाद इलाज कराने पर ठीक हो गया था। लेकिन एक बात बताऊं (हंसते हुए) अब भी जब मुझे किसी की बात नहीं सुननी होती है तो मैं अपना यह कान ख़राब ही बताता हूं।

लुक-छिप कर हीरो बनने चला था.....

This story is from the November 2024 edition of Aha Zindagi.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

This story is from the November 2024 edition of Aha Zindagi.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

MORE STORIES FROM AHA ZINDAGIView All
सबके शंकर...
Aha Zindagi

सबके शंकर...

उन्हें भारत में राजनीतिक कार्टूनिंग का जनक माना जाता है। उनकी धारदार रेखाओं से देसी-विदेशी कोई भी राजनेता नहीं बचा। नेहरू से लेकर अन्य कई बड़े नेता उनके प्रिय मित्रों में थे, लेकिन राजनीति में जाने के बजाय उन्होंने दुनियाभर के बच्चों के लिए कुछ विशेष करने का जुनून चुना। उम्र के जिस पड़ाव पर उन्होंने बच्चों के लिए चित्रकला, लेखन, नृत्य, संगीत की अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाएं, चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट, इंटरनेशनल डॉल म्यूज़ियम जैसी अनेक परियोजनाओं को अकेले अपने दम पर पूरा किया, तब अक्सर लोग नाती-पोतों के साथ आराम से दिन गुज़ारना चाहते हैं। एक व्यक्ति नहीं संस्था के रूप में वृद्धों और युवाओं में समान रूप से लोकप्रिय और दुनियाभर के बच्चों के लिए 'पाइड पाइपर' कहलाने वाले शंकर ही इस बार ज़िंदगी की किताब के हमारे हीरो हैं....

time-read
10+ mins  |
January 2025
आम वाला ख़ास शहर
Aha Zindagi

आम वाला ख़ास शहर

समुद्र की अनंत गहराइयों से लेकर नारियल के पेड़ों और आम के बाग़ों तक, रत्नागिरी एक ऐसी भूमि है जो अपने विविधतापूर्ण सौंदर्य में मानो एक पूरा विश्व समेटे हुए है। महाराष्ट्र के पश्चिमी तट पर बसा यह शहर प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक गौरव और सांस्कृतिक समृद्धि का एक अद्भुत संगम है।

time-read
5 mins  |
January 2025
सेब क्या है?
Aha Zindagi

सेब क्या है?

इसका सीधा जवाब होगा कि सेब एक फल है। लेकिन जवाब इतना सीधा-सरल होता तो ऐसा पूछा ही क्यों जाता?

time-read
3 mins  |
January 2025
एक तीर ने बदल दी हिंदुस्तान की तक़दीर
Aha Zindagi

एक तीर ने बदल दी हिंदुस्तान की तक़दीर

राहुल सांकृत्यायन ने जिस अकबर के बारे में कहा कि अशोक और गांधी के बीच में उनकी जोड़ी का एक ही पुरुष हमारे देश में पैदा हुआ....जिस अकबर ने बहुरंगी महादेश में समन्वय को अहम अस्त्र बनाकर आधी सदी तक राज किया....उसके गद्दीनशीन होने के दो प्रसंग बताते हैं कि सद्भावना और साहस के साथ संयोग ने भी उसकी क़िस्मत लिखी, और हिंदुस्तान की भी....

time-read
6 mins  |
January 2025
नए ज़माने का जरूरी व्रत
Aha Zindagi

नए ज़माने का जरूरी व्रत

व्रत-उपवास न सिर्फ़ संयम सिखाते हैं, बल्कि शारीरिक और मानसिक लाभ भी प्रदान करते हैं। नए ज़माने की डिजिटल फास्टिंग में भी ये सारे लाभ समाए हैं। अब बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी के लिए स्क्रीन उपवास अनिवार्य हो गया है।

time-read
5 mins  |
January 2025
पापा हीरो बेटी परी
Aha Zindagi

पापा हीरो बेटी परी

हर बेटी के लिए पिता उसका पहला हीरो होता है और हर पिता के लिए उसकी बेटी परी। बाप-बेटी के रिश्ते में प्यार-दुलार, संरक्षण, मार्गदर्शन के साथ प्रतिबंध, सख़्ती और एक डर का भाव भी बना रहता है। ज़िद पूरी होती है तो अनुशासन की अपेक्षा भी रहती है। बदलते दौर में इस रिश्ते के ताने-बाने भी बदल रहे हैं, पर नहीं बदली हैं तो पिता-पुत्री की एक-दूसरे के लिए भावनाएं।

time-read
7 mins  |
January 2025
आज सबसे अच्छा दिन है
Aha Zindagi

आज सबसे अच्छा दिन है

नववर्ष और उससे संबंधित संकल्प, दोनों ही पश्चिम की परंपराएं हैं। अक्सर ये संकल्प रस्मी तौर पर लिए जाते हैं और जल्द ही भुला दिए जाते हैं। ऐसे में भारतीय परंपरा संकल्पों को साकार करने में सहायक होगी।

time-read
4 mins  |
January 2025
सूर्य के नाना रूप सिखाते हैं
Aha Zindagi

सूर्य के नाना रूप सिखाते हैं

उदय से अस्त तक सूर्य अपने बदलते रूपों से सिखाता है कि जीवन भी परिवर्तनशील है, प्रतिपल नवीन है। संसार में सम्मान उसी को मिलता है जो इस निरंतर नवीनता को सहज स्वीकारते हुए सक्रिय रहता है। दुनिया को सूर्य की भांति ही ऐसे व्यक्ति के आगमन की भी प्रतीक्षा होती है।

time-read
6 mins  |
January 2025
एक नया मनुष्य
Aha Zindagi

एक नया मनुष्य

कैलेंडर बदल गया, एक नई तारीख़ आ गई। लेकिन मनुष्य तो वही पुराना रहा। पुरानेपन के साथ वह नए का आनंद कहां ले पाएगा, उसे समझ तक नहीं पाएगा। अगर मानव वास्तव में नया हो जाए तो उसके लिए हर दिन नववर्ष की तरह होगा, वह जीवन के हर पल में प्रसन्न रहेगा। लेकिन कैसे...?

time-read
6 mins  |
January 2025
नित नूतन जीवन
Aha Zindagi

नित नूतन जीवन

नया साल, नई उम्मीदें, नई शुरुआत। नवीनता सिर्फ़ एक शब्द नहीं, बल्कि जीवन का सार है और सूत्र भी। हमारा शरीर हर पल बदलता है, हर क्षण लाखों कोशिकाएं जन्म लेती हैं और मरती हैं। हर सांस हमें एक नए अनुभव से जोड़ती है। जैसे नदी का पानी कभी स्थिर नहीं रहता, वैसे ही हमारी सोच, वातावरण और परिस्थितियां भी बदलती रहती हैं। इस नववर्ष पर आइए, नएपन को गले लगाएं।

time-read
6 mins  |
January 2025