पर्यटन आपको एक अलग जगह तो ले ही जाता है, कभी-कभी वह आपको एक अलग समय में भी ले जाता है। ऐसा ही कुछ महसूस हुआ इंग्लैंड के एक छोटे से शहर यॉर्क में पहुंचकर। पत्थर की दीवारों से घिरा यह शहर सदियों का इतिहास समेटे है। ऊज़ और फॉस नदियों के संगम पर बसे इस शहर के भग्नावशेष इसका काल 8,000 से 7,000 ईसा पूर्व का बताते हैं, पर उस समय का कोई लिखित इतिहास नहीं है।
71 ईसवी में यहां दुर्ग के निर्माण का लिखित विवरण है। उस समय इसे बनाने में लकड़ी का उपयोग किया गया था जिसे बाद में पत्थर से बनाया गया। आज भी यहां पत्थरों की दीवारें, भवन और सड़कें मौजूद हैं। अधिकांश सड़कें इतनी संकरी हैं कि उन्हें गलियां कहना बेहतर होगा। परंतु इन पथरीली गलियों में कुछ ऐसा आकर्षण है कि दुनियाभर से सैलानी यहां खिंचे चले आते हैं। ऐसे ही किसी आकर्षण की डोर हमें भी खींच रही थी।
पुराने शहर में नई तकनीक
यहां घूमने की योजना में सबसे पहले ठहरने की व्यवस्था करनी थी। हम यहां रेलवे स्टेशन के नज़दीक ठहरने की कोई जगह ढूंढ रहे थे, ताकि उस तक पहुंचने में आसानी हो। अधिकतर होटल कुछ दूरी पर थे। आख़िरकार एक ठिकाना मिला जो बिलकुल पास में था। चूंकि यह सारी छानबीन इंटरनेट पर की गई थी तो यॉर्क पहुंचकर उसे ढूंढना अपने आप में एक रोमांचक काम था। हम इसी उधेड़बुन में थे जब एक दिन सुबह उसके मकान मालिक के ईमेल पर हमें पूरी विस्तृत जानकारी मिली - स्टेशन पर उतरकर प्लेटफॉर्म नंबर एक की ओर बढ़ें। उसके एक छोर पर एक साइकल स्टैंड होगा, उसे अपने बाएं में रखते हुए आगे बढ़ें। प्लेटफॉर्म के अंत में एक छोटा रैंप होगा, उससे नीचे उतरकर आगे बढ़ें, एक कार पार्क मिलेगा, वहां से एक कोने पर ग्रे और पीले रंग के कुछ मकान दिखेंगे, उनकी ओर बढ़ें। सामने सड़क मिलेगी।
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