मल्टी टैलेंटेड चाइल्ड आर्टिस्ट आरुष नंद परिचय के मुहताज नहीं हैं. खेलने की उम्र में आरुष नंद ने अपने काम से अंतर्राष्ट्रीय ख्याति हासिल कर ली है. घर पर उन का अपना डबिंग व साउंड स्टूडियो है. गुंडेचा हाई स्कूल, ओशिवारा, मुंबई के 12 वर्षीय छात्र आरुष नंद इतनी कम उम्र में ही औस्कर के लिए नामित इंग्लिश, सिंहली व तमिल भाषी फिल्म 'फनी बौय' के अलावा 'परमाणु', 'तान्हाजी' सहित कई हिंदी व मराठी भाषी फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं.
वे 1 50 एड फिल्में कर चुके हैं. इतना ही नहीं, वे अब तक हौलीवुड फिल्म 'लौयन किंग' से ले कर फिल्मों, वैब सीरीज व विज्ञापन फिल्मों सहित 70 फिल्मों के लिए वौयस ओवर आर्टिस्ट के रूप में अपनी आवाज में डबिंग भी कर चुके हैं. हाल ही में आरुष नंद ने रोहित शेट्टी के निर्देशन में वैब सीरीज 'इंडियन पुलिस फोर्स' की शूटिंग पूरी की है. उन से उन की जर्नी को ले कर बातें हुईं.
वौयस ओवर और अभिनय की शुरुआत कहां से हुई?
मैं ने सब से पहले 5 साल की उम्र में अभिनय करना शुरू किया था और 9 साल की उम्र से वौयस ओवर व डबिंग करनी शुरू की. जब मेरी उम्र लगभग 3 साल की रही होगी, तब शौपिंग मौल में एक कास्टिंग मैनेजर मिला. उस ने मेरी मम्मी से कहा था कि वे मुझ से अभिनय करवाएं.
तब मेरी मम्मी ने मना कर दिया था क्योंकि मेरी मम्मी नहीं चाहती थीं कि पढ़ाई में कोई व्यवधान आए. वे मुझे अच्छी शिक्षा दिलाना चाहती थीं लेकिन समय ने मुझे अभिनेता व वौयस ओवर आर्टिस्ट बना दिया. दरअसल 2 साल बाद मतलब जब मेरी उम्र 5 साल की रही होगी, तब फिर वह मैनेजर मिला. उस ने एक बार फिर मम्मी के सामने प्रस्ताव रखा कि अपने बेटे को अभिनय के क्षेत्र में डाल दीजिए. मेरी मां दुविधा में पड़ गईं.
आप ने शुरुआत कहां से की?
मैं ने सब से पहले एक एड फिल्म की थी. इस एड फिल्म में मुझे स्कूटर पर बैठना था और मुझे स्कूटर पर सोने का अभिनय करना था. मैं 'ताज', 'मर्सडीज' सहित 150 विज्ञापन फिल्में कर चुका हूं.
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