बीजेपी की तेजी से हाथी की फूल रही सांस तो डगमगा रही साइकिल
DASTAKTIMES|October 2022
एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक लगातार दौरे कर माहौल बनाने में जुटे हैं तो दूसरी ओर यूपी बीजेपी की कमान सम्भालने वाले प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने अपनी नई जिम्मेदारी संभालने के पहले ही दिन से क्षेत्रवार मंथन का दौर चला रखा है।
अजय कुमार
बीजेपी की तेजी से हाथी की फूल रही सांस तो डगमगा रही साइकिल

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी नए 'क्लेवर और फ्लेवर' के साथ 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी है। विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी में काफी कुछ बदल गया है। पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। संगठन मंत्री भी बदल गए हैं। जातीय समीकरण भी काफी दुरुस्त कर लिए गए हैं तो योगी सरकार टू का चेहरा भी काफी बदला-बदला है। कई पुराने मंत्री हाशिये पर चले गए हैं जिनकी जगह नए नेताओं ने ले ली है। इन नए नवेले चेहरों के साथ योगी भी अपनी दूसरी पारी में काफी आक्रामक अंदाज से लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हैं। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि योगी सरकार, बीजेपी एवं संघ पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गए हैं जबकि अन्य दलों कांग्रेस, समाजवादी पार्टी तथा बसपा में चुनाव को लेकर अभी कोई सुगबुगाहट नहीं दिखाई दे रही है।

सियासत के जानकार कहते हैं निश्चित ही बीजेपी को इस तेजी का फायदा 2024 के चुनाव में बीजेपी को मिलेगा। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता, पदाधिकारी और नेता लगातार जनता के बीच जा रहे हैं, उनकी समस्याओं को सुनते हैं और सरकार से उसका समाधान कराने की कोशिश करते हैं। देश में 18वीं लोकसभा के सदस्यों के लिए चुनाव में अभी करीब डेढ़ साल का समय बचा है लेकिन यूपी में बीजेपी ने अभी से जिस स्तर की तैयारी शुरू कर दी है, उससे वो सपा और बसपा से कोसों आगे दिखने लगी है। यहां एक तरफ सीएम योगी आदित्यनाथ के धुआंधार दौरों का क्रम चल रहा है तो दूसरी ओर पार्टी की कमान सम्भालते ही नए प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने भी सभी क्षेत्रवार बैठकों का सिलसिला चलाकर सांगठनिक दृष्टिकोण से प्रदेश के कोने-कोने को मथ दिया है। बीजेपी में लगातार बैठकों और संवादों का दौर जारी है। संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे सभी नेताओं और सरकार के मंत्रियों को लगातार यह बताया जा रहा है कि उन्हें जनता से कैसे संवाद करना है, इसके साथ इन नेताओं मंत्रियों की मॉनिटरिंग भी आलाकमान द्वारा की जा रही है। 

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बहुत जल्द अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों की कमान नवनियुक्त निदेशक तुलसी गबाई के हाथ में होगी। अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी का आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पुराना रिश्ता रहा है। संघ परिवार से जुड़े भारतीय मूल के अमेरिकी हिंदू नागरिक उनके लिए हर चुनाव में लाखों डालर का चंदा जुटाते हैं। आरएसएस के इसी दुलार के कारण अमेरिका में तुलसी 'प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस' के नाम से चर्चित हैं। पहले तुलसी का डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ना फिर अचानक डोनाल्ड ट्रम्प को समर्थन देना और फिर रिपब्लिकन पार्टी का दामन थामकर इस मुकाम तक पहुंचना हॉलीबुड के किसी हाई प्रोफाइल पॉलिटिकल ड्रामे से कम नहीं। भारतीय मामलों में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की बेवजह 'अति सक्रिय' होने के बाद अचानक खुफिया एजेंसियों की कमान तुलसी गबार्ड को दिए जाने को भारत के कूटनीतिक दांव के रूप में देखा जा रहा है।

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