रूस- यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष ने विश्वभर के कूटनीतिक समीकरणों को एक असहज स्थिति में डाला है। राष्ट्रों में यह गंभीर सोच-विचार का विषय बना है। संयुक्त राष्ट्र महासभा, सुरक्षा परिषद या अन्य फोरमों की बैठक में किसके पक्ष में मतदान किया जाए या मतदान न करते हुए, वोटिंग प्रक्रिया से अनुपस्थित रहा जाए। लेकिन इसके बावजूद एक जिस बात पर भारत सहित सभी राष्ट्र सहमत हो रहे हैं वो यह है कि यूक्रेन मुद्दे का हल संवाद और कूटनीतिक मार्ग साथ ही लोकतांत्रिक मूल्यों का अनुसरण करते हुए ही होना चाहिए क्योंकि वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए पूर्व निर्धारित शर्त यही है। विश्व को तृतीय विश्व के अटकलों से दूर करने के लिए भारत जैसे देशों के निर्णायक दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से सामने आने की जरूरत थी और इसलिए भारत ने पिछले डेढ़-दो माह में यूक्रेन मुद्दे पर अपने स्पष्ट दृष्टिकोण से विश्व समुदाय को अवगत कराया है। 77वें संयुक्त राष्ट्र महासभा असेंबली में विश्व के नेताओं को संबोधित करते हुए भारत के विदेश मंत्री ने कहा था कि हमसे अक्सर पूछा जाता है कि हम किसके पक्ष में है और हमारा उत्तर हर बार सीधा और ईमानदार होता है। भारत शांति के पक्ष में खड़ा है और मजबूती से उसी है के साथ खड़ा रहेगा। हम उस पक्ष के साथ खड़े हैं जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर और उसके मौलिक सिद्धांतों का सम्मान करता है। हम उस पक्ष के साथ हैं जो बातचीत और कूटनीति के जरिए ही इस हल को निकालने की बात करता है। हम उन लोगों के पक्ष में हैं जो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, भले ही वे बढ़ते खाने, तेल और उर्वरक के दामों को ताक रहे हैं।
भारत के विदेश मंत्री ने रूस यूक्रेन विवाद को दूर करने के लिए डिप्लोमेसी की भूमिका पर सर्वाधिक बल दिया है। जयशंकर ने रूस-यक्रेन युद्ध के दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर का जिक्र करते हुए कहा कि इससे तेल, खाद्य और उर्वरक की उपलब्धता पर असर होगा और इसकी कीमतें बढ़ेंगी। संयुक्त राष्ट्र की 77वीं महासभा में जयशंकर ने कहा, इस संघर्ष का जल्द से जल्द समाधान निकालना संयुक्त राष्ट्र के अंदर और बाहर हम सभी के सामूहिक हित में है।
This story is from the November 2022 edition of DASTAKTIMES.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the November 2022 edition of DASTAKTIMES.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
बेगम स्वरा का नया लुक चर्चा में
स्वरा का जीवन एक दिलचस्प सफर है, जिसमें फिल्मी करियर, राजनीतिक सक्रियता और व्यक्तिगत जीवन की कई अहम घटनाओं ने उन्हें मीडिया और दर्शकों के बीच खास स्थान दिलाया है। 1988 में दिल्ली के एक हिन्दू परिवार में स्वरा भास्कर का जन्म हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के सीनियर स्कूल से की और बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद, स्वरा भास्कर ने जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय) से समाजशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त की।
ऋषभ पंत आईपीएल के नए किंग
आईपीएल 2025 के मेगा ऑक्शन में इस बार कुछ ऐसा देखने को मिला जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। टीम इंडिया के सुपरस्टार प्लेयर ऋषभ पंत आईपीएल के नये महाराज बन गये। पंत को लखनऊ सुपर जाएंट्स ने अपनी टीम का हिस्सा बनाने के लिए 27 करोड़ रुपए खर्च कर दिए, जिससे वह ऑक्शन के इतिहास में सबसे महंगे प्लेयर बन गए। ऋषभ पंत का दमदार प्रदर्शन उनकी छप्पड़फाड़ सैलरी की वजह बना।
प्रकृति, संस्कृति और स्त्री का बहुआयामी विमर्श
स्त्री चेतना, पर्यावरण और सामाजिक सरोकारों से जुड़ी सुप्रतिष्ठित लेखिका आकांक्षा यादव के आलेखों का संग्रह 'प्रकृति, संस्कृति और स्त्री' को पढ़ते हुए जहां हम विषयवार उनके विचारों, विवरणों और विवेचनों से प्रभावित होते हैं, वहीं हम निबंध विधा के महत्व को भी जान पाते हैं।
जन-गण-मन का भाग्य विधाता है संविधान
भारतीय गणतंत्र अमर है लेकिन राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा है। न्यायपालिका संविधान की जिम्मेदार संरक्षक है। न्यायपीठ ने प्रशंसनीय फैसले किए हैं। अदालतों में लंबित लाखों मुकदमे 'न्याय में देरी से अन्याय के सिद्धांत' की गिरफ्त में हैं। अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति का स्वातंत्र्य देता है। अनुच्छेद 20 अन्य बातों के अलावा, 'किसी अपराध के लिए किसी व्यक्ति को अपने ही विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य करने से रोकता' है।
संकट में पाकिस्तानी शिया
2023 की जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान के पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में आबादी 7.85 लाख है। इसमें 99 फीसदी पश्तून हैं। पश्तून आबादी में तुरी, बंगरा, जैमुश्त, मंगल, मुकबल, मसुजाई और परचमकानी जनजातियां हैं। तुरी और कुछ बंगश शिया हैं बाकी सब सुन्नी हैं। कुर्रम जिले में 45 प्रतिशत आबादी शिया समुदाय की है जबकि पूरे पाकिस्तान में इस समुदाय की आबादी करीब 15 फीसद है।
डिजिटल अरेस्ट डर के आगे हार!
आज के युग में मोबाइल या लैपटॉप आम आदमी के जीवन में काफी प्रसांगिक ये हैं। लेकिन डिजिटल विकास तमाम खूबियां के साथ कुछ खामियां भी लाया है। सात समुंदर पार बैठा शख्स भी किसी से नजदीकियां बढ़ा सकता है, लेकिन इस शख्स की सोच के बारे में कोई डिवाइस नहीं बता सकती है कि वह किस श्रेणी का इंसान है। यहीं से साइबर क्राइम की शुरुआत होती है।
शीतकालीन चारधाम यात्रा में भी गुलजार होगी देवभूमि
शीतकाल के छह महीने भगवान बदरी विशाल की पूजा चमोली जिले में स्थित योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर व नृसिंह मंदिर जोशीमठ, बाबा केदार की पूजा रुद्रप्रयाग जिले में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ और मां गंगा व देवी यमुना की पूजा क्रमशः उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगा मंदिर मुखवा (मुखीमट) और यमुना मंदिर खरसाली (खुशीमठ) में होती है।
कैसे अमेरिकी जासूसों की चीफ बनी - प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस
बहुत जल्द अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों की कमान नवनियुक्त निदेशक तुलसी गबाई के हाथ में होगी। अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी का आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पुराना रिश्ता रहा है। संघ परिवार से जुड़े भारतीय मूल के अमेरिकी हिंदू नागरिक उनके लिए हर चुनाव में लाखों डालर का चंदा जुटाते हैं। आरएसएस के इसी दुलार के कारण अमेरिका में तुलसी 'प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस' के नाम से चर्चित हैं। पहले तुलसी का डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ना फिर अचानक डोनाल्ड ट्रम्प को समर्थन देना और फिर रिपब्लिकन पार्टी का दामन थामकर इस मुकाम तक पहुंचना हॉलीबुड के किसी हाई प्रोफाइल पॉलिटिकल ड्रामे से कम नहीं। भारतीय मामलों में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की बेवजह 'अति सक्रिय' होने के बाद अचानक खुफिया एजेंसियों की कमान तुलसी गबार्ड को दिए जाने को भारत के कूटनीतिक दांव के रूप में देखा जा रहा है।
प्रदूषण से सांसत में जान
दिल्ली राजधानी क्षेत्र में आजकल हवा में पीएम 10 का स्तर 318 और पीएम 2.5 का स्तर 177 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा है जिसके फिलहाल कम होने की उम्मीद बेमानी है। जबकि स्वास्थ्य की दृष्टि से पीएम 10 का स्तर 100 से कम और पीएम 2.5 का स्तर 60 से कम ही उचित माना जाता है। खतरनाक स्थिति यह है कि दिल्ली के आसमान पर अब धुंध की परत साफ दिखाई दे रही है।
पीके अपनी पार्टी की रणनीति में हुए फेल
पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर ने जनसुराज पार्टी बनाने के करीब 40 दिन बाद अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया। प्रत्याशियों का चयन बहुत सोच-समझ किया गया। पीके की ओर से जीत के दावे भी थे, लेकिन वह परिणाम के रूप में सामने नहीं आ सके। हालांकि, पीके इस बात से थोड़े खुश जरूर होंगे कि तीन सीटों पर जनसुराज के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे।