चंद्रयान-3 की सफलता में असम के पांच होनहार वैज्ञानिक
DASTAKTIMES|September 2023
चंद्रयान-3 मिशन में शामिल रहीं निधि शर्मा तिनसुकिया की बहू हैं। वैज्ञानिक निधि शर्मा चंद्रयान-3 मिशन की शुरुआत से ही इससे जुड़ी हैं। पिछले 10 वर्षों से इसरो में वैज्ञानिक के तौर पर काम कर रहीं निधि इससे पहले चंद्रयान-2 में भी शामिल थीं। उनकी शादी तिनसुकिया निवासी दिवाकर देब से हुई थी। वर्तमान में अपने पांच महीने के बच्चे के साथ गर्भवती निधि शर्मा ने इसरो के इस बड़े और सफल मिशन की एक सदस्य के रूप में देश को अपना समर्पण और उत्साह दिखाया है।
संजीव कलिता
चंद्रयान-3 की सफलता में असम के पांच होनहार वैज्ञानिक

भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा और इसके दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। चंद्रयान-3 की इस ऐतिहासिक सफलता के पीछे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के तमाम वैज्ञानिक और इससे जुड़े कई अन्य लोग भी शामिल हैं। श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के वैज्ञानिकों ने हर भारतीय को उनकी कड़ी मेहनत और गहराई से की गई अनुसंधान के नतीजे ने गौरवान्वित किया है। अभियान की इस सफलता से जहां पूरा देश जश्न मनाते नजर आया, वहीं असमवासियों का सिर गर्व से और ऊंचा हो गया जब इसकी सूचना मिली कि पूरी दुनिया की निगाहें टिकी इस अभियान को सफल करने में असम के पांच वैज्ञानिकों की भी भूमिका रही है। पांच असमिया वैज्ञानिकों की भागीदारी की खबर ने खासकर सूबे की नई पीढ़ी को काफी उत्साहित किया है और उनमें अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति अधिक उत्सुकता पैदा कर दी है। निश्चित रूप यह कहा ही जा सकता है कि इससे नई पीढ़ी को वैज्ञानिक बनने की प्रेरणा मिलेगी। इन वैज्ञानिकों की राह पर कई शिक्षित युवा आगे चलकर देश और प्रदेश का नाम रोशन कर सकेंगे। इनमें लखीमपुर जिले के चयन दत्त, विश्वनाथ जिले की उद्दीपना कलिता, तिनसुकिया जिले की निधि शर्मा, सिलचर के वाई विशाल सिंह और हैलाकांदी के सैयदबंद गांव के डॉ. बहारुल इस्लाम बरभुयां के नाम इन दिनों सभी लोगों की जुबान पर हैं। इससे पहले इनके बारे में न तो असम की मीडिया में कोई चर्चा हुई थी और न ही इन्हें कोई जानता अथवा पहचानता था। चांद की धरती पर चंद्रयान-3 के पहुंचते ही मानो असम के इन पांच वैज्ञानिकों पर सभी की निगाहें टिक गईं और उनके घरों में मीडियावालों का तांता लगना शुरू हो गया है।

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बहुत जल्द अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों की कमान नवनियुक्त निदेशक तुलसी गबाई के हाथ में होगी। अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी का आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पुराना रिश्ता रहा है। संघ परिवार से जुड़े भारतीय मूल के अमेरिकी हिंदू नागरिक उनके लिए हर चुनाव में लाखों डालर का चंदा जुटाते हैं। आरएसएस के इसी दुलार के कारण अमेरिका में तुलसी 'प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस' के नाम से चर्चित हैं। पहले तुलसी का डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ना फिर अचानक डोनाल्ड ट्रम्प को समर्थन देना और फिर रिपब्लिकन पार्टी का दामन थामकर इस मुकाम तक पहुंचना हॉलीबुड के किसी हाई प्रोफाइल पॉलिटिकल ड्रामे से कम नहीं। भारतीय मामलों में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की बेवजह 'अति सक्रिय' होने के बाद अचानक खुफिया एजेंसियों की कमान तुलसी गबार्ड को दिए जाने को भारत के कूटनीतिक दांव के रूप में देखा जा रहा है।

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