उत्तराखण्ड ने विगत 23 वर्षों में लगाई लम्बी छलांगें
DASTAKTIMES|November 2023
राज्य गठन के समय बैंकों की संख्या 873 थी जो कि आज 1452 तक पहुंच गयी। उस समय प्रति 10 हजार जनसंख्या पर एक बैंक था, अब 8 हजार की जनसंख्या पर एक बैंक माना जा रहा है। सन 2002 में जब पहली निर्वाचित सरकार ने सत्ता संभाली तो उस समय बैंकों का ऋण जमा अनुपात मात्र 19 था। मतलब यह कि बैंक जनता से 100 रुपये जमा करा रहे थे तो मात्र 19 रुपये यहां कर्ज दे रहे थे और बाकी धन का कहीं और व्यवसायिक उपयोग कर रहे थे।
जयसिंह रावत
उत्तराखण्ड ने विगत 23 वर्षों में लगाई लम्बी छलांगें

वगठित उत्तरांचल की अंतरिम सरकार के पहले वित्तमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 3 मई 2001 को जब राज्य का पहला बजट पेश किया था तो उसमें कुल व्यय 4,505.75 करोड़ और राजस्व प्राप्तियों 3,244.71 करोड़ प्रस्तावित थीं। राज्य गठन के समय उत्तरांचल को लगभग 1,750 करोड़ का घाटा विरासत में मिला था और अंतरिम सरकार ने 10 करोड़ के ओवर ड्राफ्ट के साथ अपना काम शुरू किया था। यही नहीं, नये राज्य को विरासत में भारी-भरकम कर्ज भी मिला था, जिसका ब्याज पहले बजट में 250 करोड़ बताया गया था। उसके बाद 10 मार्च 2008 को मुख्यमंत्री भुवनचन्द्र खण्डूड़ी ने जब राज्य का 2008-09 का सालाना बजट पेश किया तो बजट राशि बढ़ कर 12,441.32 करोड़ हो गयी, जिसमें राजस्व प्राप्तियां 10,456.56 करोड़ बतायी गयीं थी। जबकि 15 मार्च 2023 को मौजूदा वित्तमंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने 2023-24 का सालाना बजट पेश किया तो उसमें कुल व्यय 77407.08 करोड़ और राजस्व प्राप्तियां 76592.54 करोड़ प्रस्तावित थीं। इसके बाद फिर वित्तमंत्री अग्रवाल ने 11321.12 करोड़ अनुपूरक बजट भी पेश किया। मतलब साफ है कि जितना अब अनुपूरक बजट हो रहा है, उतना शुरुआती सालों में सालाना बजट भी नहीं होता था। उत्तरांचल के रूप में जन्म लेने वाले उत्तराखण्ड के बजट ने जिस तरह लम्बी छलांगें लगाई हैं, वे आसमान छूने जैसी हैं और इससे कल्पना की जा सकती है कि उत्तराखण्ड राज्य ने अपने मात्र 23 साल के जीवनकाल में आशातीत सफलताएं हासिल की हैं। हम कल्पना कर सकते हैं कि अगर प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता और केदारनाथ की जैसी आपदाएं न आतीं तो यह राज्य इससे भी कहीं अधिक तरक्की कर चुका होता। लेकिन इतनी तरक्की के बावजूद अभी उत्तराखण्डवासियों के कई सपने अधूरे ही हैं, जिनका उल्लेख अवश्य होना चाहिये ताकि प्रदेश के भाग्य निर्माता कमियों पर भी गौर कर सकें।

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ऐसे में उत्तराखंड के राजनीतिक क्षितिज पर पुष्कर सिंह धामी एक धूमकेतु बन कर उभरे। नई युवा दृष्टि, नया विज़न और नई इच्छा शक्ति से उत्तराखंड तरक्की की नई डगर पर चल निकला है। उत्तराखंड भ्रष्टाचार के दलदल से बाहर निकला है, समान नागरिक संहिता, सख्त नकलविरोधी कानून देशभर में एक नज़ीर बन गए। धामी की कम बोलने और ज्यादा करने की अनूठी कार्यशैली ने उत्तराखंड के जनमानस को यकीन दिला दिया है कि उत्तराखंड की बागडोर सही और सशक्त हाथों में सौंपी गई है। अब इस यकीन को बनाए रखना ही उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है।मौजूदा सदी में उत्तराखंड की 24 साल की विकास यात्रा का ब्योरा दे रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह रावत।

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फिर जुटा महाकुम्भ
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7वीं सदी के राजा हर्षवर्धन की तर्ज पर छह साल पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेला प्राधिकरण का गठन कर ऐतिहासिक कुंभ मेले को संस्थागत रूप दिया था। 2019 के कामयाब अर्धकुंभ ने प्रयागराज के आसपास की तमाम लोकसभा सीटें बीजेपी की झोली में डाल दी थीं। और इस कामयाबी का सेहरा योगी के सिर बंधा। तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संगम के सफाईकर्मियों के पांव पखार कर आशीर्वाद लेकर सबको चौंका दिया था। इस बार महाकुंभ है, करोड़ों श्रद्धालुओं का स्वागत करने के लिए योगी की टीम तैयार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक महीने पहले ही तैयारियों का जायजा ले चुके हैं। इस बार का मेला कई मायनों में अनूठा होगा। पढ़िए प्रयागराज से जाने-माने पत्रकार देवेन्द्र शुक्ल की यह रिपोर्ट।

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