उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना 10 अगस्त को महिला विधायकों से भेंट कर रहे थे. इस दौरान उन्हें पता चला कि ज्यादातर महिला विधायक सदन में क्षेत्र की समस्याओं से संबंधित लिखित सूचनाएं और प्रश्न तो लगाती हैं लेकिन किसी मुद्दे पर मुखरता से कभी नहीं बोलतीं. बैठक के बाद जब महाना ने विधानसभा की पिछली कार्यवाहियों के आंकड़े खंगाले तो पता चला कि पांच फीसद से कम महिला विधायक सदन की बहस में हिस्सा लेती हैं. इसके बाद महाना की पहल से महिला विधायकों की सदन में हिचक और खामोशी तोड़ने के लिए एक अनोखे उपवेशन की नींव पड़ी.
विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान 22 सितंबर को आजादी के बाद पहली बार एक ऐसी विशेष बैठक आयोजित की गई जिसमें सदन की कार्यवाही में केवल महिला सदस्यों ने ही भागीदारी की. वैसे तो हर सदस्य के बोलने के लिए पहले न्यूनतम तीन और अधिकतम आठ मिनट तय किए गए थे लेकिन नेता सदन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि महिला सदस्यों के बोलने में कोई समय सीमा न रखी जाए. नेता प्रतिपक्ष और समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी मुख्यमंत्री योगी की बात का समर्थन किया. फिर क्या था, 8 घंटे 12 मिनट तक चली सदन की कार्यवाही में एक-एक करके कुल 38 महिला विधायकों ने अपनी बात रखी. इसी दौरान सतीश महाना ने विधायक सैयदा खातून, मंजू सिवाच समेत कई महिला विधायकों को बुलाकर अपनी जगह अधिष्ठाता की सीट पर बिठाया. सदन में सत्ता पक्ष की दीर्घा में उपमुख्यमंत्री के लिए आवंटित सीट पर राज्यमंत्री विजय लक्ष्मी गौतम को बिठाया गया. पटल पर प्रस्ताव और सूचनाएं विजय लक्ष्मी गौतम के माध्यम से ही प्रस्तुत कराई गईं.
This story is from the December 14, 2022 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the December 14, 2022 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
सबसे अहम शांति
देवदत्त पटनायक अपनी नई किताब अहिंसाः 100 रिफ्लेक्शन्स ऑन द सिविलाइजेशन में हड़प्पा सभ्यता का वैकल्पिक नजरिया पेश कर रहे हैं
एक गुलदस्ता 2025 का
अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ ह्यूमनकाइंड जैसी चर्चित किताब के लेखक युवाल नोआ हरारी की यह नई किताब बताती है कि सूचना प्रौद्योगिकी ने हमारी दुनिया को कैसे बनाया और कैसे बिगाड़ा है.
मौन सुधारक
आर्थिक उदारीकरण के देश में सूत्रधार, 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया.
हिंदुस्तानी किस्सागोई का यह सुनहरा दौर
भारतीय मनोरंजन उद्योग जैसे-जैसे विकसित हो रहा है उसमें अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी आने, वैश्विक स्तर पर साझेदारियां बनने और एकदम स्थानीय स्तर के कंटेंट के कारण नए अवसर पैदा हो रहे. साथ ही दुनियाभर के दर्शकों को विविधतापूर्ण कहानियां मिल रहीं
स्वस्थ और सेहतमंद मुल्क के लिए एक रोडमैप
स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में हमारी चुनौतियों का पैमाना विशाल है. 'स्वस्थ और विकसित भारत' के लिए मुल्क को टेक्नोलॉजी के रचनात्मक उपयोग, प्रिडिक्टिव प्रिसीजन मेडिसिन, बिग डेटा और पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर कहीं ज्यादा ध्यान केंद्रित करना होगा
ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2025 में भारत की शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने, नवाचार, उद्यमिता और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए उत्प्रेरक का काम कर रही
ईवी में ऊंची छलांग के लिए भारत क्या करे
स्थानीयकरण से नवाचार तक... चार्जिंग की दुश्वारियां दूर करना, बैटरी तकनीक बेहतर करना और बिक्री के बाद की सेवाएं बेहतर करना ही इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति को मजबूत करने का मूल मंत्र है
अब ग्रीन भारत अभियान की बारी
देशों को वैश्विक सफलता का इंतजार करने के बजाए जलवायु को बर्दाश्त बनने के लिए खुद पर भरोसा करना चाहिए
टकराव की नई राहें
हिंदू-मुस्लिम दोफाड़ अब भी जबरदस्त राजनैतिक संदर्भ बिंदु है. अपने दम पर बहुमत पाने में भाजपा की नाकामी से भी सांप्रदायिक लफ्फाजी शांत नहीं हुई, मगर हिंदुत्व के कट्टरपंथी तत्वों के खिलाफ आरएसएस की प्रतिक्रिया अच्छा संकेत
महिलाओं को मुहैया कराएं काम के लिए उचित माहौल
यह पहल अगर इस साल शुरु कर दें तो हम देख पाएंगे कि एक महिला किस तरह से देश की आर्थिक किस्मत बदल सकती है