वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट 2023 पेश करने खड़ी हुईं, तो हर कोई जानता था कि यह संतुलन साधने की मुश्किल कवायद होने वाली है. भले इस वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7 फीसद रहने का अनुमान है, जो सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ऊंची है और वित्त मंत्री ने खुद उसे दुनिया में " चमकता सितारा" कहा है, मगर उन्हें कई अहम मसलों से टकराना है. कोविड-19 और रूस के युक्रेन युद्ध की वजह से भारी महंगाई और तीखी आर्थिक ढलान के चलते दुनिया भर में छाई मंदी के साए लंबे होते जा रहे हैं. जी-20 देशों के ताकतवर समूह का अध्यक्ष होने के नाते भारत के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था में देशों के रुख में फर्क पाटने और भरोसा बहाली की प्रेरणा बनना भी बेहद जरूरी है. यह साल नरेंद्र मोदी के लिए राजनैतिक तौर पर भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि नौ राज्यों के विधानसभा और 2024 में आम चुनाव भी होने हैं. विपक्ष, खासकर कांग्रेस बढ़ती बेरोजगारी के साथ-साथ महंगाई के लिए सरकार पर बुरी तरह हमलावर है.
अपने भाषण की शुरुआत में सीतारमण ने तीन महत्वपूर्ण आर्थिक एजेंडों का जिक्र किया, जो बजट का फोकस है. पहला, "वृद्धि और रोजगार सृजन को सर्वाधिक प्रोत्साहन देना." पहले से ही जुड़ा दूसरा यह है कि "देश के लोगों, खासकर युवाओं को अपनी आकांक्षाएं पूरी करने के लिए ढेर सारे अवसर मुहैया कराना." तीसरा, राजकोषीय घाटे को काबू में रखकर "व्यापक आर्थिक स्थायित्व को प्रश्रय देना." यह आसान काम नहीं था. अलबत्ता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन से वित्त मंत्री ने पूंजीगत खर्च में भारी इजाफे का ऐलान किया और उसके लिए 10 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया, जो 2022-23 के मुकाबले 33 फीसद की बढ़ोतरी थी. रेलवे और सड़क तथा राजमार्ग के लिए भी भारी प्रावधान किया गया, जो क्रमश: 48 फीसद और 24.4 फीसद की बढ़ोतरी थी. पीएम आवास योजना के तहत गरीबों के लिए घर की मद में भी 66 फीसद बढ़ोतरी का प्रावधान है. इसके अलावा पर्यटन और सूक्ष्म, लघु, और मझोले उद्योग (एमएसएमई) जैसे प्रमुख रोजगार संभावना वाले क्षेत्रों के लिए भी कई प्रोत्साहन का प्रावधान है, जिनमें बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की गुंजाइश है.
This story is from the February 15, 2023 edition of India Today Hindi.
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