भारत की तीसरी सबसे बड़ी विमानन कंपनी गो फर्स्ट ने 2 मई को जब ऐलान किया कि वह 12 मई तक अपनी उड़ानें रद्द कर रही है तो यात्रियों के साथ ही विमानन नियामक और केंद्र सरकार सभी एकदम सकते में आ गए. उन्हें इसका भी अंदाजा न था कि यह एयरलाइन राष्ट्रीय कंपनी लॉ न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के सामने खुद को दिवालिया घोषित करवाने के लिए अर्जी दाखिल कर देगी. कंपनी ने अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी प्रैट ऐंड व्हिटनी से उड़ान भरने लायक इंजन मिलने में लंबी देरी को दिवालिया घोषित करने के फैसले की वजह बताया. मगर विशेषज्ञों का कहना है कि असल मुद्दे इंजन की परेशानियों से कहीं आगे के हैं. वे एयरलाइन की माली हालत और भारतीय विमानन क्षेत्र की व्यवस्थागत खामियों की तरफ इशारा करते हैं. इनकी वजह से ज्यादातर विमानन कंपनियों को आगे कठिन दौर से गुजरना होगा. एविएशन कंसल्टिंग फर्म सीएपीए एडवाइजरी का कहना है कि भारतीय विमानन कंपनियों को वित्त वर्ष 2010 से 1.4 लाख करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है. 10 मई को एनसीएलटी ने गो फर्स्ट का आवेदन स्वीकार कर लिया और संपत्तियां अटैच होने से उसे सुरक्षा दे दी.
This story is from the May 24, 2023 edition of India Today Hindi.
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