यह कदम जितना बड़ा था, उतनी धूमधाम से नहीं आया. इससे आखिर देश के कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया का आमूलचूल कायापलट हो जाना तय था. कोविड- 19 महामारी की वजह से एक दूसरी क्रांति यानी ऑनलाइन पढ़ाई-लिखाई की तरफ छलांग तो पहले ही लगाई चुकी थी. कोविड के बाद की दुनिया में देश में उच्च शिक्षा के सर्वोच्च शासकीय निकाय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 2022 की गर्मियों में उस बदलाव का सूत्रपात किया जिसे सीयूईटी कहा जाता है और जो कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (साझा विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा) के पहले अक्षरों से मिलकर बना है. इसमें छात्रों की वैचारिक पढ़ाई-लिखाई और तार्किक ढंग से सोचने की क्षमता की जांच की जाती है, उस तोतारटंत पढ़ाई की नहीं, जिसमें उन्हें अंक तो मिल जाते हैं पर समझ नहीं मिलती. राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी के जरिए आयोजित इस चयन परीक्षा का नतीजा केंद्रीय विश्वविद्यालयों और दूसरे सहभागी संस्थानों में अंडरग्रेजुएट कोर्स में दाखिले की कसौटी बनेगा.
सीयूईटी के पहले संस्करण पर कोविड की छाया पड़ गई, जिससे पिछले साल के सत्र में देर हुई. इससे सबक सीखकर देश भर के छात्र इस साल फिर सीयूईटी में बैठे हैं, जिससे उन्हें अपना भविष्य का रास्ता तय करने वाला कोर्स और कॉलेज चुनने में मदद मिलेगी. सीयूईटी के आने से कट-ऑफ अंक की उस व्यवस्था का पटाक्षेप हो गया है, जो हाल के वर्षों में बेतुके स्तर पर पहुंच गई थी. छात्र अब कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा में अपने प्रदर्शन के बंधक बनकर नहीं रह जाएंगे. सीयूईटी उन्हें बराबरी का मैदान देता है, ताकि अंक देने की ज्यादा उदार प्रणाली अपनाने वाले बोर्ड के छात्रों को दूसरों पर बढ़त न मिले. इसके बजाए सभी एक रंग-रूप की परीक्षा में बैठें और उन्हें अपनी पसंद का कॉलेज और कोर्स चुनने का समान अवसर मिले. न ही छात्रों और उनके माता-पिता को कॉलेजों में दाखिले के वक्त गर्मियों में बड़े शहरों में डेरा डालना पड़ेगा, इस उधेड़बुन में कि उन्हें उस कॉलेज और कोर्स में दाखिला मिलेगा या नहीं जिसके लिए उन्होंने आवेदन किया है. छात्र अपने गृहनगर से ही प्रवेश परीक्षा में बैठ सकेंगे और कॉलेज विशेष में दाखिले की तस्दीक होने के बाद ही उन्हें वहां जाना होगा.
This story is from the July 05, 2023 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the July 05, 2023 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
फिर उसी बुलंदी पर
वनडे विश्व कप के फाइनल में चौंकाने वाली हार के महज सात महीने बाद भारत ने जबरदस्त वापसी की और जून 2024 में टी20 विश्व कप जीतकर क्रिकेट की बुलंदियों एक को छुआ
आखिरकार आया अस्तित्व में
यह एक भूभाग पर हिंदू समाज के स्वामित्व का प्रतीक था. इसके निर्माण से भक्तों को एक तरह की परिपूर्णता और उल्लास की अनुभूति हुई. अलग-अलग लोगों के लिए राम मंदिर के अलग-अलग अर्थ रहे हैं और उसमें आधुनिक भारत की सभी तरह की जटिलताओं- पेचीदगियों की झलक देखी जा सकती है
बंगाल विजयनी
केवल आर. जी. कर और संदेशखाली घटनाक्रमों को गिनेंगे तो लगेगा कि 2024 ममता बनर्जी के लिए सबसे मुश्किल साल था, मगर चुनावी नतीजों का संदेश तो कुछ और ही
सत्ता पर काबिज रहने की कला
सियासी माहौल कब किस करवट बैठने के लिए मुफीद है, यह नीतीश कुमार से बेहतर शायद ही कोई जानता हो. इसी क्षमता ने उन्हें मोदी 3.0 में एक मजबूत स्तंभ के तौर पर स्थापित किया
शेरदिल सियासतदां
विधानसभा चुनाव में शानदार जीत ने न केवल उनकी पार्टी बल्कि कश्मीर का भी लंबा सियासी इंतजार खत्म कराया. मगर उमर अब्दुल्ला को कई कड़ी परीक्षाओं से गुजरना पड़ रहा—उन्हें व की बड़ी उम्मीदों पर खरा उतरना है, तो जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिलने तक केंद्र से जूझना भी है
शूटिंग क्वीन
मनु भाकर ने पेरिस 2024 ओलंपिक में बदलाव की शानदार पटकथा लिखी. अटूट इच्छाशक्ति से अतीत की निराशा को पीछे छोड़कर उन्होंने अपना भाग्य गढ़ा
नया सितारा पॉप का
दुनियाभर के विभिन्न मंचों पर धूम मचाने से लेकर भाषाई बंधन तोड़ने और पंजाबी गौरव का परचम फिर बुलंद करने तक, दिलजीत दोसांझ ने साबित कर दिया कि एक सच्चा कलाकार किसी भी सीमा और शैली से परे होता है
बातें दिल्ली के व्यंजनों की
एकेडमिक, इतिहासकार और देश के सबसे पसंदीदा खानपान लेखकों में से एक पुष्पेश पंत की ताजा किताब फ्रॉम द किंग्ज टेबल टु स्ट्रीट फूड: अ फूड हिस्ट्री ऑफ देहली में है राजधानी के स्वाद के धरोहर की गहरी पड़ताल
दो ने मिलकर बदला खेल
हेमंत और कल्पना सोरेन ने झारखंड के राजनैतिक खेल को पलटते हुए अपनी लगभग हार की स्थिति को एक असाधारण वापसी में बदल डाला
बवंडर के बीच बगूला
आप के मुखिया के लिए यह खासे नाटकीय घटनाक्रम वाला साल रहा, जिसमें उनका जेल जाना भी शामिल था. अब जब पार्टी लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए दिल्ली पर राज करने की निर्णायक लड़ाई लड़ रही, सारी नजरें उन्हीं पर टिकीं