जुलाई की 3 तारीख. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जनता दरबार चल रहा है. एक के बाद एक फरियादी आ रहे हैं. कटिहार से आए विजय कुमार ने अपनी मुश्किल साझा करते हुए बताया, "अपनी जमीन में मकान का एक्सटेंशन करना चाह रहा हूं, लेकिन पड़ोसी रोक रहे हैं." बेगुसराय के सरफराज अंसारी बताते हैं, “दबंगों ने मेरी जमीन पर कब्जा कर लिया है और अब मुझे परेशान कर रहे हैं..." मधेपुरा के एक युवक सुमन का कहना था, “मेरी जमीन को दलालों ने बेचकर उस पर मकान बनवा लिया, शिकायत की मगर निराकरण नहीं हुआ..." बांका के फरियादी राजीव ने बताया, "जमीन पर दबंगों का कब्जा है, थाने में शिकायत दर्ज नहीं हो रही..."
ये उन शिकायतों की बानगी है जो नीतीश कुमार के जनता दरबार में पहुंची थीं. उस रोज ऐसी 80 से अधिक शिकायतें पहुंचीं. जमीन विवाद से संबंधित इन शिकायतों की संख्या इतनी अधिक थी कि खुद नीतीश कुमार परेशान हो गए. उनके मुंह से निकल गया, “काफी केस आ रहा है भाई." ये विवाद भी मुख्य तौर पर पांच तरह के हैं- जमीन पर अवैध कब्जा, बंटवारे को लेकर विवाद, खरीद-फरोख्त में धोखा, भूमि अधिग्रहण से संबंधित विवाद और सीमांकन विवाद जिसके कारण पड़ोसी मकान बनाने से रोकते हैं.
बिहार सीएम के जनता दरबार में हमेशा से जमीन विवाद के मामले बहुतायत में आते रहे हैं. जनता दरबार का दूसरा चरण जुलाई, 2021 से शुरू हुआ है. तब से ऑनलाइन शिकायतें भी ली जा रही हैं. इनसे जुड़े आंकड़े बताते हैं कि जुलाई, 2023 के आखिर तक कुल 67,958 शिकायतें आईं, इनमें से 14,521 शिकायतें राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से संबंधित हैं. हालांकि जमीन विवाद से जुड़ी शिकायतें निबंधन विभाग और गृह विभाग से भी जुड़ी होती हैं. इसके बावजूद अगर राजस्व एवं भूमि सुधार की शिकायतों को ही गिना जाए तो यह साफ है कि जनता दरबार में हर पांचवीं शिकायत जमीन विवाद से संबंधित होती है.
This story is from the August 09, 2023 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the August 09, 2023 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
फिर उसी बुलंदी पर
वनडे विश्व कप के फाइनल में चौंकाने वाली हार के महज सात महीने बाद भारत ने जबरदस्त वापसी की और जून 2024 में टी20 विश्व कप जीतकर क्रिकेट की बुलंदियों एक को छुआ
आखिरकार आया अस्तित्व में
यह एक भूभाग पर हिंदू समाज के स्वामित्व का प्रतीक था. इसके निर्माण से भक्तों को एक तरह की परिपूर्णता और उल्लास की अनुभूति हुई. अलग-अलग लोगों के लिए राम मंदिर के अलग-अलग अर्थ रहे हैं और उसमें आधुनिक भारत की सभी तरह की जटिलताओं- पेचीदगियों की झलक देखी जा सकती है
बंगाल विजयनी
केवल आर. जी. कर और संदेशखाली घटनाक्रमों को गिनेंगे तो लगेगा कि 2024 ममता बनर्जी के लिए सबसे मुश्किल साल था, मगर चुनावी नतीजों का संदेश तो कुछ और ही
सत्ता पर काबिज रहने की कला
सियासी माहौल कब किस करवट बैठने के लिए मुफीद है, यह नीतीश कुमार से बेहतर शायद ही कोई जानता हो. इसी क्षमता ने उन्हें मोदी 3.0 में एक मजबूत स्तंभ के तौर पर स्थापित किया
शेरदिल सियासतदां
विधानसभा चुनाव में शानदार जीत ने न केवल उनकी पार्टी बल्कि कश्मीर का भी लंबा सियासी इंतजार खत्म कराया. मगर उमर अब्दुल्ला को कई कड़ी परीक्षाओं से गुजरना पड़ रहा—उन्हें व की बड़ी उम्मीदों पर खरा उतरना है, तो जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिलने तक केंद्र से जूझना भी है
शूटिंग क्वीन
मनु भाकर ने पेरिस 2024 ओलंपिक में बदलाव की शानदार पटकथा लिखी. अटूट इच्छाशक्ति से अतीत की निराशा को पीछे छोड़कर उन्होंने अपना भाग्य गढ़ा
नया सितारा पॉप का
दुनियाभर के विभिन्न मंचों पर धूम मचाने से लेकर भाषाई बंधन तोड़ने और पंजाबी गौरव का परचम फिर बुलंद करने तक, दिलजीत दोसांझ ने साबित कर दिया कि एक सच्चा कलाकार किसी भी सीमा और शैली से परे होता है
बातें दिल्ली के व्यंजनों की
एकेडमिक, इतिहासकार और देश के सबसे पसंदीदा खानपान लेखकों में से एक पुष्पेश पंत की ताजा किताब फ्रॉम द किंग्ज टेबल टु स्ट्रीट फूड: अ फूड हिस्ट्री ऑफ देहली में है राजधानी के स्वाद के धरोहर की गहरी पड़ताल
दो ने मिलकर बदला खेल
हेमंत और कल्पना सोरेन ने झारखंड के राजनैतिक खेल को पलटते हुए अपनी लगभग हार की स्थिति को एक असाधारण वापसी में बदल डाला
बवंडर के बीच बगूला
आप के मुखिया के लिए यह खासे नाटकीय घटनाक्रम वाला साल रहा, जिसमें उनका जेल जाना भी शामिल था. अब जब पार्टी लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए दिल्ली पर राज करने की निर्णायक लड़ाई लड़ रही, सारी नजरें उन्हीं पर टिकीं