भविष्य का ईंधन
स्वच्छ बिजली के अहम स्रोत के तौर पर ग्रीन हाइड्रोजन और जरूरी हो गई है, खासकर जब जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करके कार्बन उत्सर्जन में कटौती की कोशिशें की जा रही हैं
कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने की विश्वव्यापी कोशिशें तेज रफ्तार पकड़ रही हैं. इनके केंद्र में उद्योग व रोजमर्रा की जिंदगी में कोयले, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल और डीजल सरीखे जीवाश्म ईंधनों के इस्तेमाल में कमी लाने का इरादा है. 2021 में ग्लासगो, स्कॉटलैंड में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी26) में भारी उद्योग, मालढुलाई, शिपिंग और विमानन को कार्बन मुक्त बनाने की गरज से उत्सर्जन कम करने के लिए जो संकल्प लिए गए, उनमें ग्रीन हाइड्रोजन प्रमुखता से उभरी.
से हाइड्रोजन के कई इस्तेमाल हैं-बिजली बनाने के लिए फ्यूल सेल में, रिफाइनिंग के लिए पेट्रोलियम में और उर्वरक उत्पादन में. यह परिवहन के ईंधन के रूप में तेजी से उभर रही है. हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए पानी को उसके दो घटकों हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में तोड़ना होता है, जो इलेक्ट्रोलायसिस नाम की प्रक्रिया से किया जाता है. जब इलेक्ट्रोलायसिस पवन या सौर ऊर्जा सरीखे ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का इस्तेमाल करते किया जाता है, तो उससे बने उत्पाद को 'ग्रीन हाइड्रोजन' कहते हैं. यह उस 'ग्रे हाइड्रोजन' से अलग है जो कोयले सरीखे पारंपरिक ईंधन से इलेक्ट्रोलायसिस करने पर बनती है.
यह गेमचेंजर क्यों है
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